नई दिल्ली। अब तक गैर राजनीतिक प्रदर्शन का दम भरने वाले किसान आंदोलन में राजनीतिक रंग और चटक होने लगे हैं। बंगाल विधानसभा चुनाव में तो भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पहले ही BJP के खिलाफ चुनाव प्रचार कर चुके हैं। अब वे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी BJP के खिलाफ प्रचार करेंगे। इसके साथ ही वे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए किसानों के उस धरना स्थल पर पॉलिटिकल मंच भी तैयार करेंगे, जहां पिछले 7 महीनों से धरना चल रहा है।
दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को साथ देने का भरोसा दिया है। ये सारी चर्चा 9 जून को कोलकाता में दोनों के बीच हुई मुलाकात के दौरान हुई। इसमें दीदी ने साफ किया कि हम किसानों का मुद्दा संसद में उठाएंगे और टिकैत ने कहा कि किसान UP के हर जिले में भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे। आज पढ़िए इस अहम मुलाकात की इनसाइड स्टोरी...
बंगाल में जीत के बाद ममता के हौसले बुलंद हैं। अब वे दूसरे राज्यों में भी पैर जमाने की योजना पर काम कर रही हैं। अगले साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। सबसे बड़ा दांव उत्तर प्रदेश में खेला जाएगा और यहां के लिए ममता ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। तृणमूल की प्राथमिकता यहां पर दलित, पिछड़ा, महिला और किसान वर्ग है।
ममता-टिकैत की मुलाकात का शेड्यूल सीक्रेट रखा गया
अपनी प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए ही ममता ने किसान नेता टिकैत से मुलाकात की। सूत्रों ने भास्कर को बताया कि ममता ने एक स्थानीय किसान संगठन के जरिए राकेश टिकैत को बंगाल आने का न्योता भेजा था। इस मुलाकात का शेड्यूल इतना गुप्त रखा गया कि भारतीय किसान यूनियन ने भी इसे लेकर पहले से कोई बयान नहीं दिया। दरअसल, दीदी का ही संदेश था कि मुलाकात से पहले इसकी खबर नहीं फैलनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ किसान फोर्स कितनी मजबूत होगी, इसका अंदाजा ममता के साथ बैठक में शामिल नेताओं से ही लगाया जा सकता है। इस मीटिंग में स्थानीय किसान संगठन वेस्ट बंगाल, किसान को-ऑर्डिनेशन कमेटी के कन्वीनर तेजिंदर सिंह बाल, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के किसान नेता युद्धवीर सिंह मौजूद थे। हालांकि तेजिंदर ने कहा कि ये बैठक दीदी ने नहीं, हमारे संगठन ने कराई थी।
धरना स्थल पर बनेगा ममता के लिए अलग मंच
जिस किसान आंदोलन को अब तक गैर राजनीतिक कहा जा रहा था, उसी को अब ममता के राजनीतिक मंच के तौर पर तैयार करने के लिए राकेश टिकैत ने हामी भर दी है। मीटिंग में मौजूद तेजिंदर सिंह ने भास्कर से कहा कि ममता का मंच किसानों नेताओं के लिए बने मंच से अलग होगा।
इसके अलावा गैर भाजपाई मंत्रियों से भी ममता बनर्जी बातचीत कर रही हैं। दिल्ली में कोरोना के हालात संभलने के बाद ही ममता का राजनीतिक मंच तैयार करने पर फैसला होगा। लेकिन अगर ये कम नहीं होता है तो ममता बनर्जी के लिए वर्चुअल मंच तैयार होगा।
सूत्रों ने बताया कि टिकैत और ममता के बीच बातचीत करीब एक घंटे तक चली। इसमें ममता ने टिकैत से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार की बात कही। उन्होंने बंगाल में भाजपा के खिलाफ प्रचार के लिए टिकैत को शुक्रिया भी कहा और साथ ही किसान आंदोलन पर संसद से सड़क तक समर्थन की बात कही।
टिकैत ने भी कहा कि वे UP चुनाव में अपना रोल निभाएंगे। हालांकि किसान आंदोलन के लिए बने संयुक्त किसान मोर्चा के लीडर के तौर पर टिकैत दीदी से नहीं मिले। उन्होंने ये मुलाकात भारतीय किसान यूनियन के नेता के तौर पर की।
UP के लिए बनाया गया प्लान
- सूत्रों ने बताया कि ममता ने अभी से UP में किसानों को संगठित कर उन्हें प्रचार अभियान में लगाने की सलाह दी है।
- तृणमूल UP के चुनाव में उतरेगी तो घोषणा पत्र में कोरोना कुप्रंबधन, किसान, महिला, दलित, अति पिछड़ा वर्ग को प्रमुखता से शामिल करेगी।
- टिकैत ने दीदी को भरोसा दिया है कि वे UP के हर जिले में किसानों के खिलाफ हुए अन्याय के साथ ही कोरोना के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को भी लोगों के बीच ले जाएंगे।
- किसान संगठन छोटी-छोटी टीमें बनाकर पंचायतों में बैठकें करेंगे। मुद्दे समझाएंगे, भाजपा की नाकामी का रिपोर्ट कार्ड दिखाएंगे। संभवतः दीपावली के आसपास किसान संगठन बैठकें शुरू कर देंगे।
- जून के आखिर से लेकर अक्टूबर तक भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) सभी किसान संगठनों के साथ भाजपा के खिलाफ चुनाव प्रचार की रणनीति को लेकर विचार-विमर्श और ठोस प्लानिंग करेगा।
- उत्तर प्रदेश में ऐसे औद्योगिक घरानों से संपर्क साधने की कोशिश हो रही है, जिनका कारोबार ठप हो चुका है। उन्हें बंगाल बुलाकर सस्ते दामों में जमीन देने के साथ ही दूसरी सहूलियत देने की प्लानिंग भी चल रही है।
मायावती को साधने की कोशिश में ममता
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी के कई नेताओं से संपर्क में है। मायावती के बेहद करीबी सतीश चंद्र मिश्रा भी इनमें शामिल हैं। अभी यह साफ नहीं है कि तृणमूल अपने सहयोगी की तलाश में है या फिर अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
तृणमूल के एक बड़े नेता कहते हैं कि हमारी पहली प्राथमिकता इन राज्यों में जड़ें जमाने की है। हमें लगता है कि सहयोगी के साथ चुनाव लड़कर हम सत्तासीन पार्टी को चुनौती दे सकते हैं। इसके लिए गठबंधन से बिल्कुल भी ऐतराज नहीं होगा।
मुलाकात पर अभी असंतोष भी है
संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ असंतुष्ट किसानों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि बंगाल में चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ टिकैत का प्रचार अभियान भी दीदी के बुलावे पर ही किया गया था। किसान संगठनों के बीच खटपट भी यहीं से शुरू हुई थी। कुछ किसान संगठनों का कहना था कि हमें पॉलिटिक्स नहीं करनी चाहिए। चुनाव प्रचार से दूर रहना चाहिए।