रतलाम। कोरोना के संक्रमण काल में लॉकडाउन की वजह से हर वर्ग और तबका परेशान हुआ है। जिनकी मदद के लिए सरकार के साथ समाजसेवी संस्थाओं ने भी दिल खोलकर मदद की है। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी मूक पशुओं को उठानी पड़ी है । इसमें भी यदि वह पशु भारी भरकम शरीर वाला हाथी हो तो उसका पेट भरने के लिए क्विंटलों भोजन भी कम पड़ने लगता है। लेकिन रतलाम के पशु प्रेमियों ने एक घायल हथिनी की ऐसी सेवा की है कि अब यह सेवा मिसाल बन गई है।
दरअसल लक्ष्मी नाम की यह पालतू हथिनी लंबे समय से रतलाम जिले के आसपास के क्षेत्र में भ्रमण करती रहती है । जहां रतलाम शहर के लोग इस हथिनी के भोजन की पर्याप्त व्यवस्था करते थे लेकिन कोरोना संक्रमण काल में इस हथिनी के महावतो के सामने लक्ष्मी के लिए भोजन जुटाने की समस्या खड़ी हो गई । वही इस हथिनी के पैर में चोट भी लग गई । ऐसे में गणगोरिया उकाला हनुमान मंदिर क्षेत्र के रहवासियों और सेवादारों ने इस हथिनी के उपचार और भोजन की व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई। जहां आसपास के लोगो ने इस हथनी की ऐसी सेवा और खातिरदारी की है जिससे अब वह स्वस्थ हो गई है ।
पूरे लॉकडाउन में डॉक्टरी ईलाज के साथ उसे गन्ने और उसकी पसंद के आलू का भरपेट भोजन दिया गया । सब्जियां ,तरबूज, घास और ठन्डे पानी की व्यवस्था हथिनी के लिए मंदिर परिसर में की गई। जिसके बाद अब यह हथनी अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है । छतरपुर जिले के रहने वाले हाथी सेवक हेमंत भी मानते हैं कि रतलाम के लोगों ने दिल खोलकर हथिनी लक्ष्मी की सेवा की है । जिनकी वजह से आज लक्ष्मी फिर से स्वस्थ और मस्त हो गई है। वहीं, इस मंदिर क्षेत्र में मौजूद हथिनी लक्ष्मी मंदिर की शोभा बढ़ा रही है । आसपास के क्षेत्र के लोग इस हथिनी के हाल-चाल जानने पहुंचते हैं ।
बहरहाल गजराज की इस अनूठी सेवा ने साबित कर दिया है कि, रतलाम रतलाम के लोग केवल मानव सेवा ही नहीं बल्कि मूक पशुओं की सेवा में भी नंबर वन है ।