भोपाल। जूनियर डॉक्टर्स में फूट पड़ने के बाद प्रदेश जूडा पदाधिकारियों ने हड़ताल वापस ले ली है। सबसे पहले ग्वालियर और रीवा में जूनियर डाॅक्टरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। ग्वालियर में काम पर लौट आए, इसके बाद भोपाल में प्रदेश जूडा के पदाधिकारियों ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिले। अपनी हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी, पहले मांगों को पूरा करने के लिखित आदेश पर ही काम पर लौटने की बात कही थी, लेकिन कुछ देर बाद कहा कि सरकार ने सभी मामलों के लिए कमेटी बना दी है। इसलिए हम काम पर लौट रहे हैं।
जूडा का प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरविंद मीणा ने कहा, हम हाईकोर्ट का सम्मान करते हैं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और जूडा पदाधकारियों की बैठक में कमेटी बनाई गई है। ग्रामीण इलाकों में अनुबंध को लेकर कमेटी 2 महीने में निर्णय लेगी। इसलिए हम हड़ताल वापस ले रहे हैं, काम पर सभी लौट रहे हैं।
ग्वालियर जूडा अध्यक्ष बोले- सरकार ने मांगे मान ली है
ग्वालियर जूडा के जिलाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा का कहना है कि हमारी मांगों को मान लिया गया है, अब हाईकोर्ट के सम्मान और परेशान हो रहे मरीजों के लिए हम काम पर वापस लौट रहे हैं। जूडा के हड़ताल वापसी की घोषणा से एक दिन पहले रविवार को 46 सीनियर रेजीडेंस ने भी काम पर लौटना भी शुरू कर दिया था। जूडा के समर्थन पर उतरने में इन 46 सीनियर रेजीडेंट को मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि रविवार शाम के बाद ही हड़ताल वापसी की योजना बन गई थी। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने जिन सीनियर रेजीडेंट को बर्खास्त किया था अब वह आदेश वापस लिया जा रहा है।
रविवार को बनती बात बिगड़ गई थी
रविवार शाम जूनियर डॉक्टर और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की मुलाकात के बाद भी हड़ताल खत्म नहीं हुई थी। जूडा ने तीन और मांगे जोड़ दी हैं। जूडा से मंत्री ने कहा, हमने जूडा की मांगें पहले ही मान ली हैं। जूडा हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान कर हड़ताल वापस ले और काम पर लौटे। वही, मंत्री से मिलने के बाद मध्यप्रदेश जूडा अध्यक्ष डॉक्टर अरविंद मीणा ने कहा, हम मंत्री जी से मिलने खुद आए थे। हम हड़ताल खत्म करना चाहते हैं, लेकिन मंत्री जी ने हमारी मांगों को लेकर न तो कोई आदेश दिया न कोई मीडिया के सामने कोई आश्वासन दिया। हमारी हड़ताल आगे भी जारी रहेगी।
इंदौर में रविवार को जूनियर डॉक्टरों ने मोमबत्ती जलाकर प्रदर्शन किया था।
इंदौर में वैकल्पिक व्यवस्था
इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से जुड़े लगभग 450 जूनियर डॉक्टर्स एमवायएच, डेंटल कॉलेज और कोविड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर सेवाएं नहीं दे रहे हैं। इससे मरीजों को खासी परेशानी हो रही है। हड़ताल के चलते मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में व्यवस्था चरमरा रही है। शासकीय अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज से 30 डॉक्टर और शासकीय डेंटल कॉलेज से 30 असिस्टेंट सर्जन की ड्यूटी अस्पतालों में लगाई गई है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के साथ ही खंडवा कॉलेज से 50 डॉक्टर पहले ही बुलाए गए थे।
एबीवीपी ने समर्थन किया
उधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी जूडा की हड़ताल का समर्थन करते हुए स्टायपेंड बढ़ाने की मांग को सही करार दिया है। एबीवीपी ने सरकार से जूडा का स्टायपेंड बढ़ाने की सिफारिश की है। जूडा ने कहा जब तक सरकार लिखित में नहीं दे देती, मांगें पूरी होने तक जूडा की हड़ताल जारी रहेगी। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित का कहना है कि सरकार की तरफ से जो आदेश आएगा, उसका पालन किया जाएगा।
रविवार देर शाम मप्र मेडिकल काउंसिल ने जेडीए अध्यक्ष डॉ. प्रखर चौधरी के साथ ही जेडीए पदाधिकारी डॉ. रणसिंग तंवर, डॉ. नयन गुप्ता, डॉ. पूजा कुमार और डॉ. सक्षम कुमार को पंजीयन निरस्ती का नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इन सभी को 10 जून को भोपाल में एथिकल कमेटी के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा गया है। नोटिस में कहा है कि अनावश्यक रूप से ड्यूटी से गैरहाजिर होने के अलावा आप लोग अन्य डॉक्टर्स को भी काम करने से रोक रहे हैं।
अवमानना पर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई
सोमवार को चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक, जस्टिस सुजॉय पाल की खंडपीठ इस पर सुनवाई करेगी। इसके पहले डिवीजन बेंच ने जूनियर डॉक्टर्स द्वारा की गई हड़ताल को अवैधानिक करार देते हुए तल्ख टिप्पणी की थी। यह भी कहा था कि 24 घंटे के भीतर डॉक्टर काम पर लौटें। इस आदेश को काफी समय हो गया पर जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर अड़े रहे। अब जब हड़ताल वापस हो गई है तो सरकार कोर्ट में नरमी की अपील कर सकती है।