श्योरपुर। कोरोना वैक्सीन को लेकर गांवों में भ्रम और उत्साह की स्थिति है। कुछ जगह लोग वैक्सीन लगवाने से डर रहे हैं तो कुछ जगह लोगों में टीके लेकर उत्साह है। आदिवासी बाहुल्य कम साक्षर गांवों में स्थिति बड़ी चौंकाने वाली रही। कम साक्षर गांवों में कम वैक्सीनेशन का अंदाजा लगाया जा रहा था लेकिन ऐसा नहीं है। कराहल ब्लॉक के ऐसे सात गांव हैं, जहां 1% लोग भी पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन टीकाकरण 100% लोग करवा चुके हैं।
वहीं बड़ाैदा क्षेत्र जिले का सबसे विकसित माना जाता है लेकिन वहां पर स्थिति इसके उलट है। यहां पर आठ गांव ऐसे हैं, जहां साक्षरता दर 58 प्रतिशत है लेकिन वैक्सीन एक ने भी नहीं लगवाई। अब स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे गांवों के प्रति अपनी रणनीति बदली है। जिन गांवों के लोग विरोध कर रहे हैं, उस गांव के पड़ोस के गांव में वैक्सीनेशन शुरू करवा रहे हैं।
इन 2 उदाहरणों से समझें, टीकाकरण कहीं 100%, कहीं 0% कैसे?
1. पहले डर के मारे गांव छोड़कर भागे, बाद में पड़ोस के गांव में सभी ने लगवाई वैक्सीन तो सरारी में चेते
कराहल तहसील के 831 की आबादी वाले सरारी गांव में करीब दस दिन पहले पहली बार स्वास्थय विभाग की टीम काेराेना वैक्सीन लगाने के लिए यहां पहुंची ताे डर के मारे लोग गांव छोड़कर भाग गए थे। ऐसा लगातार तीन दिन हुआ। इसके बाद स्वास्थ विभाग की टीम ने पड़ाेसी गांव सूसवाड़ा में टीकाकरण शुरू किया। यहां भी लाेगाे में भ्रम था लेकिन लाेगाें काे समझाया ताे वे मान गए।
असर यह हुआ कि सरारी गांव के लाेगाें भी समझ आया कि वैक्सीन लगवाने से मरने और बीमार होने की बात सिर्फ अफवाह है। क्योंकि न तो कोई मरा और न ही बीमार पड़ा। इसके बाद सरारी गांव में सौ प्रतिशत पात्र लोगों ने टीका लगवा लिया है। यहां पर 18 साल से अधिक के 295 लोगों ने टीका लगवाया है। 45 साल से अधिक के 346 ने टीका लगवाया है। जिले के कराहल क्षेत्र में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है। यहां सूसवाड़ा, सरारी, सिरसनवाड़ी, पनार, गड़ी सहराना, फतेहपुर और सलापुरा में 100% वैक्सीनेशन का दावा स्वास्थ्य विभाग ने किया और यहां पात्र लोगों के वैक्सीनेशन की पुष्टि की।
2. पांडोली के लोगों में बीमारियों से ग्रसित लोगों में भ्रम की स्थिति बनी, इसलिए नहीं लगवा रहे टीके
मंदिर पर बैठे पांडोली गांव के लोग जो वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नहीं हैं।
बड़ौदा के 732 की आबादी वाले पांडोली गांव में अब तक एक भी व्यक्ति ने टीका नहीं लगवाया है। जबकि यहां पर 495 लोग टीके लिए पात्र हैं। गांव की साक्षरता दर 58 प्रतिशत है। जब-जब स्वास्थ विभाग की टीम यहां पहुंची तो लोगाें में भ्रम की स्थिति थी। लोगों ने हर बार यही कहा कि वह मर जाएंगे, लेकिन टीकाकरण नही कराएंगे। क्योंकि इससे कई लोग मर गए हैं। गांव के लोगों ने वैक्सीन लगाने आई टीम के सामने बहाने बनाने के लिहाज से यह भी तर्क दिए कि गांव में कई लोग पहले से ही बीपी व हार्ट के पेशेंट हैं। आप लोग बिना उपकरणों के टीका लगाने आ गए।
अब इस गांव के लोग भी वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित हो सकें इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने पड़ोस के गांव पांडोला में टीकाकरण शुरू कर दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कराहल में जिन गांवों में विरोध था वहां के पड़ोसी गांव में वैक्सीनेशन करवाया और पड़ोस के गांव के देखा-देखी विरोध करने वालों ने भी टीका लगवाना शुरू किया। बड़ौदा क्षेत्र के गांवों में वैक्सीनेशन सबसे कम है। यहां तुलसेफ, बासोंद, बाजरली, बागल्दा, हनुमानखेड़ा, प्यारीपुरा, बड़ौदिया बिंदी और पांडोली गांव में टीकाकरण 0% पर हैं।
बीपी, हार्ट के मरीजों को टीकाकरण से खतरा तो नहीं, जवाब नहीं मिल रहा
जिन गांवों में वैक्सीनेशन को लेकर भ्रम की स्थिति है, उन गांवों में लोग यही सवाल ज्यादा कर रहे हैं कि क्या बीपी, कैंसर, हार्ट पेशेंट को टीकाकरण होना चाहिए। इस पर कई जगह टीम सवालों के जवाब नहीं दे पा रही है।
रूपरेखा बदली, लोगों के सवालों के जवाब देंगे ताकि वह संतुष्ट हो सकें
^अब हमने वैक्सीनेशन को लेकर रुपरेखा बदल दी है, जिन गांवों में लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। उनके पड़ोसी गांवों में हम वैक्सीनेशन कर रहे हैं। इससे हो यह रहा है कि उस गांव के लोग भी वैक्सीन लगवाने आगे आ रहे हैं, जो पहले मना कर रहे थे। इसी तरह 0 फीसदी वैक्सीनेशन वाले गांवों में भी किया जा रहा है। यह भी सही है कि जब तक हम लोगों के सवालों के जवाब नही देंगे, वह संतुष्ट नहीं होंगे। इसलिए हमें उन्हें संतुष्ट करना भी जरूरी है।
डॉ. बीएल यादव, सीएमएचओ, स्वास्थ्य विभाग, श्योपुर