दमोह। दमोह में मिली हार के बाद भाजपा में सियासी मेल-मुलाकातों का दौर जारी है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की बंद कमरे में हुई बातचीत ने कांग्रेस को बोलने का मौका दे दिया, तो शर्मा की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी। ठीक बाद प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत और सहसंगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी सीएम हाउस पहुंच गए।
इतना ही नहीं तीनों ने सीएम हाउस आने से पहले संघ कार्यालय भी गए थे। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) भी भाजपा की छवि को सुधारने के लिए मैदान में उतर गया है। सूत्रों की माने तो यह किसी बड़े फेरबदल या पार्टी में बदलाव की ओर इशारा करता है। इसको लेकर कांग्रेस ने भाजपा और शिवराज पर निशाना साधा है।
एक कोशिश सिंधिया कैंप के लोगों को जगह दिलाने की
बताया जाता है कि पूरे दिन चली इन सियासी मुलाकात का असर प्रदेश कार्यसमिति के गठन, कोर ग्रुप, प्रदेश चुनाव संचालन समिति और अनुशासन समिति के नए नामों को लेकर हो सकता हे। माना जा रहा है कि सरकार एक बार फिर पार्टी की छवि लोगों में सकारात्मक बनाने के लिए आर्थिक और कृषि सुधार समेत लोगों से जुड़े मुद्दों को लेकर कुछ समितियां बनाकर राज्य सरकार के कामकाज के साथ संतुलन बिठाकर उसे पार्टी स्तर से नीचे तक ले जाने का काम करेगी।
अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ज्योतिरादित्य सिंधिया कैंप के लोगों को लेने पर सहमति बनाए जाने की है। मंत्री-विधायकों और चुनाव हारने वालों के साथ कांग्रेस में पदाधिकारी रहे सिंधिया खेमे के लोगों को भी भाजपा प्रदेश कार्य समिति में रखने का दबाव है। हालांकि सभी को शामिल करने की जगह कुछ प्रमुख नामों को लेकर चर्चा भी हुई है, लेकिन इसमें सिंधिया की सहमति जरूरी है।
कोरोना के बाद अब सरकार के कामकाज की चिंता
सरकार यह मान रही है कि दूसरी लहर के बाद स्थिति काफी कुछ सुधरी है, लेकिन पार्टी के नेताओं का कहना है कि लोगों में गुस्सा बहुत है। कोरोना के कारण लोगों में आक्रोश बढ़ गया है, ऐसे में सरकार को जल्दी से जल्दी संगठन और सरकार में नए चेहरों और स्फूर्ति के साथ काम करना होगा। जनता से जुड़े मुद्दों पर जल्द से जल्द निर्णय लेकर उसे आम लोगों तक पहुंचाना होगा।
कांग्रेस का तंज- सब ठीक नहीं
भाजपा नेताओं की बंद कमरे में बैठक को लेकर कांग्रेस ने भी तंज कसा है। भाजपा नेता कह रहे हैं कि लॉकडाउन खुला है। इसलिए सभी एक दूसरे से मिल रहे हैं। महज मुलाकात थी और कुछ नही। अब सभी को पता है कि किसका लॉक खुलने के लिए और किस को डाउन करने के लिए बगैर मास्क के यह मुलाकात हो रही है। बेचारे भाजपा के ये सभी गद्दावर नेता लॉक डाउन में कितने असहाय थे कि एक दूसरे से मिल भी नहीं पा रहे थे।