जबलपुर में आलीशान बंगले को बना रखा था AK-47 असेंबल करने का कारखाना; नक्सलियों को एक हथियार 5 लाख रु. में बेचा

Posted By: Himmat Jaithwar
6/5/2021

जबलपुर। रीवा के छोटे से गांव से निकल कर देश से गद्दारी करने वाले जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्टरी के रिटायर आर्मरर पुरुषोत्तम लाल रजक ने चंद पैसों के लालच में सेना के हथियारों को नक्सलियों और बदमाशों को बेच दिए। पत्नी, बेटे सब शामिल थे जो आज भी जेल में हैं। जब इनकी करतूत का खुलासा हुआ तो उसके पड़ोसी तक दंग रह गए। आरोपी ने हथियार बेच कर अकूत संपत्ति बनाई। वह न पड़ोसियों से बातचीत करता था, न मिलता जुलता था। जबलपुर के अपने आलीशान बंगले को हथियार असेंबल करने की फैक्टरी में बदल दिया था जो अब बंद पड़ा है।

जांच में खुलासा हुआ कि वह महंगी शराब पार्टियों में शामिल होता था। उसके पहनावे और लग्जरी लाइफस्टाइल को देखकर लोग दंग रह जाते थे। देश का ये गद्दार अब जेल में है। देश की सबसे बड़ी एजेंसी एनआईए उसके करतूतों को चार्जशीट के माध्यम से स्पेशल कोर्ट में पेश कर चुकी है।

पुरुषोत्तम लाल रजक मूलत: रीवा के मनगवां थाना क्षेत्र के बैकुंठपुर का रहने वाला है। वह 2008 में जबलपुर स्थित सेंट्रल ऑर्डनेंस डिपो (सीओडी) से रिटायर हुआ था। सीओडी में सेना के नए और पुराने हथियार रखे जाते हैं। यहां इनकी मरम्मत भी होती है। पुरुषोत्तम लाल रजक जबलपुर के अलावा लखनऊ, बिहार, लेह, जम्मू, अरुणाचल प्रदेश में भी पदस्थ रहा। पहली बार वह चर्चा में तब आया, जब 29 अगस्त को बिहार की मुंगेर पुलिस ने जुबली वेल चौक से मिर्जापुर बरदह निवासी मोहम्मद इमरान को 3 एके-47 राइफल और उसके पार्ट्स के रूप में दबोचा था। इमरान ने पूछताछ में पुरुषोत्तमलाल रजक के नाम का खुलासा किया था।

पंचशील नगर स्थित पुरुषोत्तम रजक का घर, पिछले तीन साल से बंद पड़ा है।
पंचशील नगर स्थित पुरुषोत्तम रजक का घर, पिछले तीन साल से बंद पड़ा है।

तीन साल से बंद पड़ा है घर, जाले चढ़ गए

पुरुषोत्तम लाल रजक का पंचशील नगर स्थित घर तीन साल से बंद पड़ा है। वह पड़ोसियों से कम व्यवहार रखता था। उसके बारे में पड़ोसी भी अधिक कुछ नहीं जानते थे। तीन साल पहले जब पुलिस पहुंची, तब वे उसकी करतूत सुनकर दंग रह गए थे। अब एनआईए द्वारा पुरुषोत्तम सहित 14 आरोपियों के खिलाफ पटना के स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद दैनिक भास्कर ने उसके पड़ोसियों से बात करने की कोशिश की, तो कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ। पड़ोसी सुशील बहरानी ने बताया कि वे 2020 में यहां शिफ्ट हुए हैं। तब से पुरुषोत्तम के मकान को बंद ही देखा है। इसी मोहल्ले में किराना स्टोर संचालक सुनील जेठानी ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद ही उसके बारे में जाना। वह किसी से संबंध नहीं रखता था।

पांच लाख रुपए में बेचता था एक एके-47

पुरुषोत्तम लाल रजक मुंगेर के हथियार तस्करों इमरान व शमशेर को एक एके-47 पांच लाख रुपए में बेचता था। इसमें से एक लाख रुपए वह सुरेश ठाकुर को देता था। उसके लग्जरी जीवन शैली का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जब वह पकड़ा गया, तो 16 हजार रुपए कीमत का जूता पहने था। वह शहर के बड़े बार में बैठकर अंग्रेजी शराब पीता था। वह कई बार विदेश तक घूम आया है। वह सीओडी से सुरेश ठाकुर द्वारा चुरा कर लाए गए एके-47 पार्ट्स को अपने घर में ही असेम्बल करता था। इसके लिए उसने एक कमरे को कारखाने के रूप में तब्दील कर दिया था। इस कमरे में किसी को फटकने तक नहीं देता था। उसके दो मंजिला मकान के सारे कमरे में एसी और चारों ओर सीसीटीवी लगा रखा है।

05 सितंबर 2018 को तत्कालीन एसपी अमित सिंह ने इस हाइ प्रोफाइल मामले का खुलासा करते हुए। ( फाइल फोटो)
05 सितंबर 2018 को तत्कालीन एसपी अमित सिंह ने इस हाइ प्रोफाइल मामले का खुलासा करते हुए। ( फाइल फोटो)

4 सितंबर 2018 को जबलपुर की पुलिस ने दबोचा

इमरान की गिरफ्तारी की भनक पुरुषोत्तम को लग चुकी थी। उसने जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र स्थित पंचशील नगर के मकान में ताला लगाकर पत्नी चंद्रवती व बेटे शीलेंद्र को जहां ससुराल भेज दिया। वहीं, खुद अपने पैतृक गांव भाग गया था। गोरखपुर व क्राइम ब्रांच की टीम ने 4 सितंबर को उसे रीवा के बैकुंठपुर गांव से दबोचा था। बाद में उसकी पत्नी व बेटे और जयप्रकाश नगर अधारताल निवासी सीओडी में स्टोर मैनेजर सुरेश ठाकुर को दबोचा था।

देश से गद्दारी कर अकूत संपत्ति बनाई

पुरुषोत्तम लाल रजक ने देश से गद्दारी कर अकूत संपत्ति बनाई। रिटायर होने के बाद उसने बेटी की शादी की। उसकी बेटी जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र स्थित पंचशील नगर में रहती है। बाद में इसी कॉलोनी में उसने भी मकान खरीदा। वर्ष 2012 के बाद उसने कृष्णा हाइट्स में तीन फ्लैट, दो दुकानें और दो कारें खरीदीं। बैंक बैलेंस सहित रीवा में कई एकड़ जमीन, प्लॉट बनाए।


सेना के बेकार असलहे आरएसएसडी गोदाम में होते हैं जमा

सेना में उपयोग होने वाले एके-47 समेत दूसरे असलहे का कोई भी पार्ट्स खराब होने पर उसे रिटर्न स्टोर सब डिपो (आरएसएसडी) में जमा करना होता है। फिर इसे ई-ऑक्शन के माध्यम से वीडियोग्राफी कराकर नष्ट कराने का नियम है। पुरुषोत्तम लाल रजक सीओडी में आर्मरर रहा, इस कारण उसे हथियार बनाने व सुधारने का प्रशिक्षण मिला हुआ है। वह इन राइफल के बेकार पार्ट्स को बदल देता था। सुरेश ठाकुर इसी आरएसएसडी गोदाम से पुरुषोत्तम के कहे अनुसार अलग-अलग पार्ट्स निकालता था ओर अपनी कार की डिक्की में छुपाकर ले जाता था। स्टोर मैनेजर होने की वजह से उसकी कार को चेक नहीं किया जाता था।

पुरुषोत्तम की गिरफ्तारी के बाद उसके घर से जब्त हुई थी डायरी

पुरुषोत्तम की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच और गोरखपुर पुलिस ने उसके पंचशील नगर घर से एक डायरी जब्त की थी। इस डायरी में पुरुषोत्तम ने एके-47 से लेकर एसएलआर, पिस्टल सहित कई दूसरे हथियार बनाने की विधि लिखी थी। उसके घर से पड़ोसियों को ग्राइंडर जैसी आवाज अक्सर आती थी, लेकिन वह पड़ोसियों से संपर्क ही नहीं रखता था। दो दिन में वह एक एके-47 को असेम्बल कर फायरिंग योग्य बना देता था। दो-चार हथियार होने पर बिहार मुंगेर के तस्कर उसके यहां या खुद पुरुषोत्तम लाल रजक इसे पहुंचाने बिहार जाता था।

1999 में सुरेश ठाकुर से हुआ था संपर्क

पुरुषोत्तम लाल रजक 1999 से 2002 तक जबलपुर के सीएसडी कैंटीन में वाइनशॉप में पदस्थ था। उसी दौरान उसकी सुरेश ठाकुर से पहचान हुई थी। जबकि बिहार के हथियार तस्करों से 2008 में पुरुषोत्तम का संपर्क सेना में लांस नायक भागलपुर बिहार निवासी नियाजुल हसन के माध्यम से हुई थी। नियाजुल ने ही बाद में अपने रिश्तेदार इमरान और शमशेर की पुरुषोत्तम से मिलाया था। इमरान व शमशेर कई बार पुरुषोत्तम के घर भी रुके थे। 15 एसएलआर पुरुषोत्तम ने पहले दोनों तस्करों को बेचा था।

2012 में पुरुषोत्तम से तस्करों ने एके-47 को लेकर संपर्क साधा

इमरान व शमशेर ने 2012 में पुरुषोत्तम से एके-47 को लेकर संपर्क साधा। एक एके-47 के एवज में पांच लाख रुपए मिलने की पेशकश सुनकर वह लालच में आ गया। इसके बाद पुरुषाेत्तम ने सुरेश ठाकुर से मिला। उसे एक लाख रुपए एक एके-47 रायफल के बदले में देने की बात कही। फिर तय हुआ कि वह एक-एक पार्ट्स चुरा कर लाएगा। इससे किसी काे संदेह भी नहीं होगा। हुआ भी यही सुरेश ठाकुर अपनी कार की डिक्की में पार्ट्स के रूप में हथियार लाने लगा। 16 अगस्त को उसे गेट पर ड्यूटी चेंज होने वाले दूसरे सुरक्षा कर्मियों ने हैंडग्रॉड के साथ पकड़ भी लिया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया था।

2012 से 2018 के बीच 70 एके-47 बेच डाला

जबलपुर की क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरफ्तारी के समय पुरुषोत्तम के घर से 5.78 लाख रुपए, पांच इंसास रायफल के कारतूस, एके-47 के उपकरण, डायरी, तीन कारतूस, मैगजीन, स्प्रिंग, बट, ट्रिगर ग्रिप, 22 बॉटल अंग्रेजी शराब व बीयर जब्त किए थे। वहीं सुरेश ठाकुर के घर से 6 लाख रुपए जब्त हुए थे। 2012 से 2018 के बीच में पुरुषोत्तम ने 70 एके-47 बेचने की बात स्वीकार की थी। पर इसमें से बिहार की मुंगेर पुलिस 22 एके-47 ही बरामद कर पाई। अन्य हथियार नक्सलियों के पास होने से जब्ती नहीं हो पाई।

कटनी से ट्रेन में सवार होता था

जबलपुर रेलवे स्टेशन में मेटल डिटेक्टर से बचने के लिए पुरुषोत्तम लाल रजक कटनी से बिहार की ट्रेन में सवार होता था। बेटा शीलेंद्र ई-टिकट निकालता था। कई बार तो इमरान व शमशेर भी कटनी आकर हथियार ले गए थे। 28 अगस्त 2018 को पुरुषोत्तम अपनी पत्नी चंद्रवती के साथ दो बैग में 3 एके-47 लेकर कटनी से बिहार की ट्रेन में सवार हुआ था। 29 अगस्त को मुंगेर में इमरान को ये बैग दिया था। इमरान की गिरफ्तारी की खबर सुनकर उसने बेटे को फोन कर घर में रखे पैसे और अन्य साक्ष्य मिटाने को कहा था। वहां से एक सितंबर को लौटने पर वह एके-47 के कलपुर्जे को मंडला रोड स्थित गौर नदी में फेंक आया था। वहीं सुरेश ठाकुर ने कुछ पार्ट्स तिलवारा में फेंक दिया था।

29 अगस्त को बिहार में हुई गिरफ्तारी से हुआ था भंडाफोड़मुंगेर पुलिस ने 29 अगस्त को जमालपुर के जुबली वेल चोक से मिर्जापुर बरदह निवासी मोहम्मद इमरान को तीन एके-47 रायफल के साथ दबोचा था। उसके पास 30 एके 47, मैगजीन, सात पिस्टल, सात स्प्रिंग, सात बॉडी कवर, सात रिक्वायल स्प्रिंग, सात ब्रीज ब्लॉक जब्त हुए थे। ये सभी रायफल फैक्ट्री मेड हैं। उस पर अंकित आर्सलर नंबर मिटा दिया गया था। इसी के बाद पुरुषोत्तम लाल रजक व सुरेश ठाकुर की सेना से गद्दारी का खुलासा हुआ।



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