एमपी के जबलपुर सेंट्रल ओर्डिनेंस डिपो (COD) से 70 रिजेक्टेड राइफल्स चोरी मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें खुलासा किया है कि स्टोर से 70 रिजेक्टेड एके-47 रायफल पार्ट्स के रूप में चोरी करके असेम्बल किए गए थे। एके-47 को बिहार के मुंगेर में बेचा गया था, जहां से ये नक्सलियों तक पहुंचाया गया है। एनआईए ने चार्जशीट में जबलपुर सीओडी के एक्स आर्मोरर को किंगपिन बताया। चार्जशीट में एके-47 रायफल मुंगेर होकर बिहार-झारखंड के बदमाशों और सक्रिय नक्सलियों को बेचे जाने की बात कही है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने दो जून को पटना स्थित स्पेशल जज गुरविंदर सिंह मल्होत्रा की अदालत में 22 एके-47 रायफल की बरामदगी मामले में 14 आरोपियों के खिलाफ चार्ज शीट दाखिल की है
जबलपुर सेंट्रल ओर्डिनेंस डिपो के स्टोर से 70 के लगभग रिजेक्टेड एके-47 रायफल पार्ट्स के रूप में चोरी किए गए। स्टोर कीपर अधारताल निवासी सुरेश ठाकुर इसे डिपो के पूर्व आर्मोरर गोरखपुर पंचशील नगर निवासी पुरुषोत्तम लाल रजक को देता था। पुरुषोत्तम लाल रजक उसे असेम्बल कर अलग-अलग तारीखों में बिहार के मुंगेर में तस्करों तक पहुंचाता था। पुरुषोत्तम मूलत: रीवा का रहने वाला है और 2008 में सीओडी से रिटायर हुआ था।
29 जुलाई 2018 को हुआ था भंडाफोड़
मुंगेर (बिहार) जिले के जमालपुर थाने की पुलिस ने 29 जुलाई 2018 को जुबली बेल इलाके में मुफस्सिल थाना अंतर्गत मिर्जापुर बरदह गांव निवासी मोहम्मद इमरान आलम और शमशेर को दबोचा था। दोनों के पास से 5 एके-47 राइफल, 30 मैगजीन, एके-47 राइफल का 7 पिस्टन, 7 स्प्रिंग, 7 बॉडी कावर, 7 रीकॉइल स्प्रिंग, 7 ब्रिज ब्लॉक और अन्य पुर्जे जब्त हुए थे। यह हथियार उसे स्टेशन पर पुरुषोत्तम लाल रजक और उसकी पत्नी चंद्रवती ने दिया था। उनकी टिकट का बंदोबस्त बेटा शैलेंद्र करता था।
4 अगस्त को जबलपुर पुलिस ने दबोचा था
मुंगेर में हुई गिरफ्तारी के आधार पर जबलपुर की गोरखपुर और क्राइम ब्रांच पुलिस ने चार अगस्त को पुरुषोत्तम, पत्नी चंद्रवती, बेटा शैलेंद्र और अधारताल निवासी सुरेश ठाकुर को दबोचा था। गोरखपुर में अपराध क्रमांक 588/18 दर्ज है। पुरुषोत्तम से बड़ी मात्रा में एके-47 के पार्ट्स जब्त हुए थे। बाद में इस मामले में मुंगेर के 9 आरोपी और बनाए गए थे। 20 दिसंबर 2018 को 173 (8) में पुलिस ने न्यायालय में चालान पेश कर दिया। अभी नौ आरोपी जबलपुर नहीं लाए जा सके।
वहीं दो एफआईआर बिहार के जमालपुर में 29 जुलाई 2018 और मुफस्सिल थाना में 7 सितंबर 2018 को दर्ज हुआ था। इसमें 26 आरोपी बने हैं। बाद में पांच अक्टूबर 2018 को एनआइए ने इस मामले को टेकओवर कर लिया था।
बिहार में कुल 22 एके-47 हुए थे जब्त
बिहार की मुंगेर पुलिस ने एक स्पेशल टीम बनाकर इस मामले की जांच आगे बढ़ाई। कुल 22 लोगों की गिरफ्तारी बिहार व झारखंड से हुई। चार आरोपी जबलपुर से ले जाए गए। आरोपियों ने घर के आंगन स्थित कुंए, नाले में और घर में उक्त हथियार छुपा रखे थे। शेष हथियारों को वे बिहार-झारखंड के बदमाशों, कोल माफिया और नक्सलियों को बेच दिए थे।
दो साल की जांच के बाद अब चार्जशीट दाखिल की गई
एनआईए ने दो साल की जांच के बाद अब चार्जशीट दाखिल की है। दो जून को एनआईए ने पटना के विशेष कोर्ट में 14वें आरोपी के खिलाफ आइपीसी की धारा 120 (बी), 380, 414, आर्म्स एक्ट 25 (ए), 25 (1 ए), 25 (1 ए ए), 25 (1 ए ए ए), 26 और यूएपी की धारा 39 के तहत चार्जशीट दाखिल की।। इस पूरक चालान में आरोपी गया जिले के रामपुर थाना क्षेत्र के तेतर गांव का मुखिया रह चुका राजीव कुमार सिंह उर्फ चुन्नू सिंह है। राजीव को 7 दिसंबर 2020 में गिरफ्तार किया था।
एनआईए की चार्जशीट में ये है खास
- जबलपुर स्थित सीओडी से वर्ष 2002 से 2018 के दौरान एके-47 सहित अन्य हथियारों को पार्ट्स के तौर पर निकाला गया और उसे असेम्बल कर बेचा गया।
- जबलपुर के सेंट्रल ओर्डिनेंस डिपो COD से 70 के लगभग एके-47 और 13 अन्य असलहों को पार्ट्स के रूप में चुराया गया।
- चोरी के बाद असेम्बल कर अधिकतर AK-47 हथियारों को मुंगेर के तस्करों के माध्यम से नक्सलियों और बदमाशों को 5 से 8 लाख रुपए में बेचे गए।
- इस मामले में COD के वर्तमान और कुछ पूर्व अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है।
- 29 जुलाई 2018 को मुंगेर में इमरान और शमशेर राणा की गिरफ्तारी के बाद 5 एके-47 की जब्ती से मामले का भंडाफोड़ हुआ था।
- बिहार और झारखंड के नक्सलियों के अलावा कोल माफिया को सेना की AK-47 राइफल बेची गई है।
सीओडी में बड़ा खेल, नहीं होती जांच
नियम आर-4 के तहत सीओडी के स्टोर में कंडम हथियारों को रखा जाता है। स्टॉक रजिस्टर में पूरा विवरण दर्ज किया जाता है। और समय-समय पर डिस्मेंटल की प्रक्रिया पूरी करानी पड़ती है। पर स्टोर में जमा हथियारों की सुध कभी नहीं ली गई। आरोपी इन्हीं डिस्टमेंटल बताए गए हथियारों के अलग-अलग पार्ट्स निकाल कर असेम्बर करते थे और फिर तस्करों के माध्यम से बेचते थे।
सुरेश को भी पकड़ने के बाद छोड़ दिया था
सुरेश ठाकुर सीओडी के जिस स्टोर से एके-47 चोरी कर वह पुरुषोत्तम लाल रजक को देता था, उसके सुरक्षा गार्डों ने 15 जुलाई 2018 को उसे पकड़ लिया था। पर तब सीओडी के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। प्रकरण का खुलासा होने पर सीओडी की ओर से आरोपी सुरेश के खिलाफ रांझी थाने में चोरी का प्रकरण दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन 15 जुलाई की घटना से संबंधी कोई जानकारी साझा न किए जाने पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज नहीं किया।
सीओडी की जांच नहीं कर पाई एनआईए
जबलपुर की गोरखपुर और एनआईए की टीम ने सीओडी के अंदर जांच करने गए, लेकिन वहां कोई जानकारी सुरक्षा का हवाला देकर नहीं बताया गया। सीओडी गार्डों ने पूर्व में पदस्थ रहे आरके शर्मा और एसके खत्री को इंसास, एसएलआर, पिस्टल सहित दूसरे असलहों के 148 पार्ट्स के साथ पकड़ा था। इस मामले में 14 अगस्त 2018 को एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया लेकिन विभागीय जानकारी देने से मना कर दिया। फिर अचानक 14 सितंबर 2018 को सीओडी की ओर से लिखित में दे दिया गया कि उसके यहां से एक भी एके-47 या दूसरे असलहे गायब नहीं हुए हैं।
सीओडी ने पुलिस और एनआईए को ये जवाब नहीं दिए-
- सुरेश ठाकुर सहित आरके शर्मा व एसके खत्री से कौन से पार्ट्स जब्त हुए थे।
- पार्ट्स जब्त करने वाले सुरक्षा कर्मी, विभागीय जांच की रिपोर्ट और रजिस्टर की मूल प्रति।
- पार्ट्स को जब्त करने वाले अधिकारी का नाम, वर्तमान पदस्थापना, स्टॉक रजिस्टर की प्रति, विभागीय जांच की सत्यापति प्रति।
- सीओडी के डीपो इंचार्ज से ऑडिट की रिपोर्ट, जिसमें अंतिम समय में हथियरों की गिनती, सत्यापन, गोदाम में रखे असलहों के आर्सलर नंबर की जानकारी मांगी थी।
2002 में एसएलआर से शुरू हुई थी तस्करी
एनआईए की जांच में बताया गया कि आरोपी लांस नायक नियाजुल रहमान की 2002 में लखनऊ में पुरुषोत्तम से मुलाकात हुई थी। उसी दौरान तस्कर शमशेर व इमरान से भी परिचय कराया था। बाद में उसका तबादला सीओडी जबलपुर हो गया। 2002 में उसने पहली बार एसएलआर निकाला। उसने 15 एलएलआर जमालपुर स्टेशन तक पहुंचाए थे। वर्ष 2012 में उसने पहली बार एके-47 रायफल शमशेर और इरफान को पहुंचाया था।