उज्जैन। उज्जैन महाकाल मंदिर परिसर में सोमवार को मिले अवशेषों को लेकर नया खुलासा हुआ है। खुदाई के दौरान मंदिर के दक्षिण क्षेत्र में प्राचीन मंदिर की दीवार दिखाई दी है। बताया गया है कि यह दीवार करीब 2100 साल पुरानी विक्रमादित्य काल की है। बुधवार को भोपाल से पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने यहां जांच की। अधिकारियों का कहना है कि मंदिर की खुदाई अब जानकारों की निगरानी में होना चाहिए। अब इसकी रिपोर्ट बनाकर संस्कृति मंत्रालय को सौंपेगी।
महाकाल मंदिर का विस्तारीकरण किया जा रहा है। यहां विश्राम भवन बनना है। इस कारण पिछले एक साल से यहां खुदाई कार्य किया जा रहा है। पिछले साल दिसंबर 2020 में भी हजारों साल पुराने शिलालेख मिले थे। इसके बाद खुदाई का कार्य रोक दिया गया। फिलहाल महाकाल मंदिर के अग्रभाग में कंट्रोल रूम के पास खुदाई की जा रही है। यहां खुदाई के दौरान सोमवार को माता की प्रतिमा मिली। संस्कृति विभाग ने पुरातत्व विभाग भोपाल से चार सदस्य टीम उज्जैन भेजी।
बुधवार को उज्जैन पहुंची टीम ने मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरीक्षण किया। टीम को लीड कर रहे पुरातत्वीय अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने बताया कि 11वीं, 12वीं शताब्दी का मंदिर नीचे दबा है, जो उत्तर वाले भाग में है। वहीं, दक्षिण की ओर चार मीटर नीचे दीवार मिली है, जो करीब 2100 साल पुरानी हो सकती है। फिलहाल, टीम रिपोर्ट तैयार कर संस्कृति मंत्रालय को सौंपेगी।
संस्कृति मंत्रालय के आदेश पर भोपाल संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के चार सदस्य डॉ. रमेश यादव ( पुरातत्वीय अधिकारी), डॉ. धुवेंद्र सिंह जोधा (शोध सहायक), योगेश पाल (पर्यवेक्षक) और डॉ. राजेश कुमार ने बुधवार को मंदिर में निरीक्षण किया। डॉ. यादव ने बताया, 12 शताब्दी का मंदिर दबा हुआ प्रतीत हो रहा है, जो कि मंदिर के उत्तर वाले भाग में स्थित है। 1100 वर्ष पुराने अवशेष दबे पाए गए।
उसमें स्तंभ खंड, शिखर के भाग, रथ के भाग समेत अन्य स्थापत्य खंड मिले हैं। कुछ दिन पूर्व भी मंदिर की सरंचना प्रकाश में आई थी। खास बात है, दक्षिण की तरफ सरफेस से चार मीटर की गहराई पर एक दीवार के अवशेष मिले हैं जो कि विक्रमदित्य काल के हैं। करीब 2100 साल पुराने प्रतीत हो रहे हैं।
वर्ल्ड हेरिटेज मॉन्यूमेंट्स भी मिल सकते हैं
डॉ. रमेश यादव ने दावा किया कि खुदाई कार्य को जानकारों की निगरानी में करने की जरुरत है। यहां बड़े अवशेष भी मिल सकते हैं। हालांकि रिपोर्ट में मंत्रालय को पेश करेंगे। आने वाले दिनों में कार्य की रिकॉर्डिंग कराई जाएगी। इधर, भोपाल के रहने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रिटायर्ड अधीक्षक डॉ. नारायण व्यास ने भी माना कि महाकाल वन की खुदाई की जानी चाहिए। अभी जो साक्ष्य मिले, वो ईसा पूर्व हो सकते हैं। साइंटिफिक पद्धति से स्टडी करवाने की जरुरत है। महाकाल मंदिर में वर्ल्ड हेरिटेड मॉन्यूमेंट्स भी मिल सकते हैं।