अकेले कपड़ा कारोबार का ही आंकड़ा साढ़े 300 करोड़ से ज्यादा, व्यापारी बोले - न किराया दे पा रहे, न बिजली बिल भर पा रहे

Posted By: Himmat Jaithwar
6/1/2021

इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर ने आर्थिक नगरी इंदौर को पूरी तरह से सुस्त कर दिया है। कारोबार के लिए मशहूर इस शहर के बाजार दस अप्रैल से 31 मई तक पूरी तरह से बंद रहे। यानी पिछले 50 दिनों तक यह लॉक ही रहा। इससे 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। फाॅर्मा को छोड़कर हर सेक्टर को नुकसान हुआ है। वैसे तो यहां सामान्य दिनों में एक दिन में डेढ़ सौ से 200 करोड़ तक का कारोबार होता है। त्योहारी सीजन में यह आंकड़ा और बढ़ जाता है।

कपड़ा, रियल एस्टेट, आटोमोबाइल सहित सभी प्रकार के कारोबार यहां पर प्रभावित हुए हैं। फार्मा को छोड़ दें तो किसी भी सेक्टर ने इस दौरान खुलकर व्यापार नहीं किया है। दैनिक भास्कर ने इंदौर के फेमस मार्केट शीतला माता बाजार सहित पूरे कपड़ा बाजार का जायजा लिया तो यहां व्यापारियों का दर्द सामने आया। उन्होंने बताया कि अकेले शीतला माता बाजार में ही 100 करोड़ से ज्यादा का व्यापार प्रभावित हुआ है। वहीं, इंदौर के कपड़ा बाजार की बात करें तो यह आंकड़ा साढ़े 300 करोड़ से ज्यादा का हो जाता है।

व्यापारियों की मांग है कि दो घंटे ही खोलने का ही समय दे दें।
व्यापारियों की मांग है कि दो घंटे ही खोलने का ही समय दे दें।

किससे कहें अपनी परेशानी, दो घंटे की तो छूट दो दो

शीतला माता बाजार के अध्यक्ष हेमाभैय्या पंजवानी ने बताया कि जिस समय बाजार बंद हुआ था। उस दिन शुक्रवार था। हमें कहा गया था कि दो दिन के लिए बाजार बंद हो रहा है। लग्नसरा के साथ ही त्योहार पड़ने से हमने काफी माॅल का ऑर्डर भी कर दिया था। त्योहार के कारण हमें एडवांस में माल लेना होता है। इसके बाद ऐसा लॉकडाउन लगा कि अब तक खुलने का पता नहीं है।

पहली लहर और दूसरी लहर दोनों में ही हमें बहुत संकट का सामना करना पड़ा है। दो साल से कपड़ा व्यापारियों को मार पड़ रही है। हम किससे कहें, कहां जाएं। न तो दुकानों का किराया भर पा रहे हैं। न ही बिजली का बिल। हमें कम से कम दो घंटे की तो छूट दे दो, जिससे हम अपना माल व्यवस्थित कर सकें। यहां चूहों की भी बड़ी परेशानी है। नहीं देखा तो वे पूरा माल खराब कर देंगे। हम तो बैंक की किस्त तक नहीं भर पा रहे हैं। कुदरत ने बहुत बड़ी मार दी है। यहां प्रतिदिन एक दुकानदार कम से कम 25 से 30 हजार का बिजनेस करता है।

शीतला माता बाजार अध्यक्ष हेमाभैय्या पंजवानी और महामंत्री अतुल नीमा।
शीतला माता बाजार अध्यक्ष हेमाभैय्या पंजवानी और महामंत्री अतुल नीमा।

300 से 400 करोड़ का नुकसान हुआ

बाजार महामंत्री अतुल नीमा ने बताया कि पिछले साल जब आखातीज का समय आया तो लॉकडाउन लग गया। इस बार भी रमजान और आखा-तीज के समय ही बाजार लॉक हुआ। गर्मी में ही कपड़े का बाजार उठता है। अब बारिश आने वाली है, ऐसे में दो तीन महीने ऐसे की बीत जाएंगे। अभी भी हमारे लिए कठिन समय है। कपड़ा बाजार की बात करें तो इस लॉकडाउन में 100 कराेड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। पूरे इंदौर की बात करें तो यह आंकड़ा 300 से 400 करोड़ के पार हो जाता है। दुकान का किराया, कर्मचारी की पगार, बिजली बिल सहित कई प्रकार की समस्या व्यापारियों के समक्ष खड़ी हो गई हैं। शीतला बाजार पूरा रिटेल मार्केट है। यहां पर साढ़े 300 से ज्यादा दुकानें हैं। वहीं, भीतर कपड़ा मार्केट है, जो होलसेल का काम करता है। इस बाजार में इंदौर के अलावा पूरे प्रदेश सहित महाराष्ट्र तक के लोग खरीदारी करने आते हैं।

दुकान संचालक सुमित, पवन और राजेश कुमावत।
दुकान संचालक सुमित, पवन और राजेश कुमावत।

दुकान का किराया तक नहीं दे पाए

दुकान संचालक राजेश कुमावत ने बताया कि हमारी हालत बहुत खराब है। सेल कुछ नहीं है, लेकिन खर्चे वही के वही हैं। दो कर्मचारी हैं, उन्हें भी पगार देना है। डेढ़ महीने बाद हम दुकान देखने आए तो पाया कि चूहे बहुत हो गए हैं, जो माल को खराब कर रहे हैं। पूरी दुकान अस्त-व्यस्त हो गई है। दुकान का 25 हजार रुपए किराया है। बिना धंधे के ही 60 हजार रुपए किराया देना है। घर का खर्च अलग है। बिना दुकान खोले ही 1600 रुपए बिजली बिल भी भरना है। जो सीजन था वह चला गया। अब यदि दुकान खुल भी जाती हैं तो कुछ ज्यादा होने वाला नहीं है।

बाजार में 70 हजार तक किराए वाली दुकानें

पवन जोशी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है। यहां पर कई दुकानों का किराया 70 हजार रुपए महीने तक का है। तीन महीने से उन पर कर्ज चढ़ रहा है। जिन्होंने नया स्टाक मंगवाया था। वह वैसे का वैसा ही पड़ा है। दुकान खुलते ही सबसे पहले पुराने माल की उधारी चुकानी होगी। अब जुलाई आ गया, मार्केट में उठाव ताे आना नहीं है। जिन्होंने किराए से दुकान ले रखी है, उनकी स्थिति तो बहुत बुरी है।

दो से ढाई लाख का नुकसान, उधारी में काम चला रहे

स्ट्रीचिंग का काम करने वाले सुमित का कहना है कि लोगों से उधार लेकर काम चला रहे हैं। दुकान बंद होने के बाद भी 4 हजार रुपए बिजली बिल आ गया है। दुकान का किराया है। उसे भी भरना पड़ा रहा है। यह सीजन ऐसा था जब हर माह हम एक से डेढ़ लाख रुपए का बिजनेस कर लिया करते थे। यदि हम दुकान देखने तक के लिए खोलते हैं तो निगमवाले चालान काटने चले आते हैं। बैंक की किस्त समय पर नहीं दो तो वे भी परेशान कर रहे हैं।

हर दिन 200 करोड़ का कारोबार

इंदौर में हर माह कारोबार का हिस्सा छह हजार करोड़ है। यानी औसतन हर दिन 200 करोड़ का कारोबार होता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते केवल किराना, फार्मा सेक्टर में ही कारोबार रहा और आमजन का खर्चा भी केवल इन दो सेक्टरों में ही हुआ। वहीं अधिक टैक्स वाले कारोबार आटोमोबाइल, एसी, फ्रिज जैसे आयटम, कपड़ा, जूते व शादियों में अन्य इसी तरह के लगने वाले सामान, ज्वेलरी आदि का कारोबार एकदम गिर गया है। कारोबार की हालत का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि माल परिवहन के लिए देश में मार्च माह में औसतन हर दिन 23 लाख ई वे बिल जारी होते थे, लेकिन अप्रैल-मई के दौरान यह घटकर दस से 13 लाख के बीच ही रह गए हैं।



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