इंदौर के एमवाय अस्पताल में कोरोना पीडित की मौत व रतलाम में जनाजा निकलने के बाद उनजे हालात को देखते हुए इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने बड़ा निर्णय ले लिया है। अब इंदौर में अस्पताल में किसी की मौत होने पर शव को जिले से बाहर नहीं भेजा जाएगा। अंतिम क्रिया इंदौर में हीे होगी।
रतलाम। इंदौर के एमवाय अस्पताल में कोरोना पीडित की मौत व रतलाम में जनाजा निकलने के बाद उनजे हालात को देखते हुए इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने बड़ा निर्णय ले लिया है। अब इंदौर में अस्पताल में किसी की मौत होने पर शव को जिले से बाहर नहीं भेजा जाएगा। अंतिम क्रिया इंदौर में हीे होगी। इसकी वजह 4 अप्रैल को एक मरीज की मौत के बाद रतलाम में शव को लाकर अंतिम क्रिया की गई। अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उसके बाद रतलाम में सख्ती लागू की गई।
यह था मामला
रतलाम का एक व्यक्ति एक वर्ष से इंदौर में रह रहा था। एमवाय अस्पताल में बीमार होने के बाद भर्ती किया गया। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। 4 अप्रैल को परिवार ने बगैर सूचना दिए शव को रतलाम लाकर अंतिम क्रिया कर दी। इस अंतिम क्रिया में परिवार सहित रिश्तेदार शामिल हुए। 8 अप्रैल को इंदौर से रिपोर्ट आई कि मृतक कोरोना पीडित था। इसके बाद शहर विधायक चेतन्य काश्यप ने कड़ी आपत्ती लेकर पूरे मामले की जांच की मांग मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से की थी। विधायक चेतन्य काश्यप की नाराजी को देखते हुए कलेक्टर रुचिका चौहान ने मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव को पत्र घटना की जानकारी देते हुए लिखा। इसी दौरान रतलाम ग्रामीण क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रवीण फुलपगारे को पूरे मामले की जांच सौंपी गई। पूरे मामले में इंदौर के एमवाय अस्पताल प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई, जिन्होंने मृतक के बारे में सूचना देना तक रतलाम प्रशासन को जरूरी नहीं समझा।
यह लिया निर्णय
मामले में अब इंदौर कलेक्टर मनीषसिंह ने निर्णय लिया है कि रतलाम की घटना के बाद अब इंदौर में भर्ती किसी मरीज की मौत होने के बाद शव को जिले की सीमा से बाहर नहीं भेजा जाएगा। अंतिम यात्रा में सिर्फ पांच लोग शामिल होंगे। इसमे बड़ी बात यह है कि मरीज कोरोना बीमारी का पॉजीटिव हो या अन्य बीमारी का, शव इंदौर जिले की सीमा से बाहर नहीं जाएगा। शव को कोरोना प्रोटोकाल के नियम का पालन करते हुए पैक करना होगा। इधर रतलाम में कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि किसी व्यक्ति की मौत होने पर पांच से अधिक व्यक्ति अंतिम क्रिया में शामिल नहीं होंगे। इनकी आपस में दूरी भी पांच मीटर की होगी।