मुरैना: मुक्तिधाम का नाम सुनते ही आपके ज़हन में जलती हुई चिताएं चारों तरफ सन्नाटा पसरा नजर आता है. लेकिन मुरैना जिले के पोरसा कस्बे में एक मुक्तिधाम ऐसा भी है जिसमें चिंताएं तो जलती है लेकिन आसपास का नजारा सुंदर और रमणीय है.
मंगल गीत से होता है गुंजायमान
मुक्ति धाम से अक्सर बच्चों को दूर रखा जाता है लेकिन बच्चे यहां खेलने आते हैं. इसके अलावा सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों के दौरान महिलाएं मंगल गीत गाती हैं. हरियाली साफ-सफाई और बेहतर मैनेजमेंट की वजह से इस नागाजी मुक्तिधाम को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.
पहले था उजड़ा अब बना आकर्षक
26 साल पहले पोरसा मुक्तिधाम भी अन्य मुक्तिधामों की तरह वीरान उजड़ा था. लेकिन डॉ अनिल गुप्ता ने इसके कायाकल्प का संकल्प लिया. आज इस मुक्तिधाम में सत्यम, शिवम, सुंदरम की थीम पर मेहंदी की आकर्षक डिजाइन देखने को मिलते हैं. मुक्तिधाम में बच्चों को खेलने के लिए झूले बनाए गए हैं. इसके साथ ही वृद्धजन योगासन करने के लिए यहां आते हैं. इस मुक्तिधाम में तरह-तरह की औषधियों के पौधे लगाए गए हैं.
जरूरतमंदों की निःशुल्क सेवा
मुक्तिधाम के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल गुप्ता से जब हमने बात की तो बताया कि पोरसा का मुक्तिधाम पहला ऐसा मुक्तिधाम है जिसकी खुद की वेबसाइट है. यहां जरूरतमंद गरीबों के परिजन और लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए कंडे व लकड़ियां निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं.