बाहरी लोगों को एंट्री नहीं देने की तस्वीरें वायरल की थीं, वहां के सरपंच को ही नहीं पता- गांव में कितने संक्रमित; लोग डरकर कहते हैं- हम घर पर ही ठीक

Posted By: Himmat Jaithwar
5/26/2021

इंदौर। शहरी की सीमा के पास इंदौर-भोपाल हाईवे पर मांगलिया से लगा है सांवेर तहसील का गांव ढाबली। 450 मकान और करीब 1700 आबादी वाला यह गांव इन दिनों चर्चा में है। कारण- प्रदेश के मुखिया का गांव को लेकर सोशल मीडिया पर किया गया मैसेज। सीएम के मैसेज के बाद ऐसी हवा उड़ी कि गांव को कोरोना मुक्त बता दिया गया। गांव के मुख्य मार्ग को रोक कर लोगों की आवाजाही को बैन कर दिया गया। कांग्रेस भी गांव पहुंच गई। दावा किया, यहां 50 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जबकि इस लहर में 25 से 30 लोगों की जान गई है। 

ढाबली गांव में जाने के दो रास्ते हैं, एक मांगलिया से तो दूसरा सांवेर से। वैसे ढाबली पंचायत में कई मोहल्ले हैं। 4500 से ज्यादा वोटर हैं। 6 हजार से ज्यादा जनसंख्या। मुख्य गांव ढाबली में 450 मकान हैं, यहां 1700 लोग रहते हैं। टीम मांगलिया होते हुए गांव में दाखिल हुई। एक छोटी सी पुलिया को पार करते ही गांव की सीमा शुरू हो गई। शाम करीब 5 बज रहे थे, लेकिन गांव की गलियां सूनी थीं, जबकि तूफान के कारण बादल छाए थे। गांव में कुछ ही दूर गए कि एक दो युवक घर के बाहर बैठे नजर आए। पूछने पर एक ने अपना नाम जितेंद्र बताया।

जितेंद्र ने बताया, गांव में 25 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे और करीब 10 मौतें हुईं। हालांकि वह यह नहीं बता पाए कि इनमें से कोरोना से कितनी मौतें हुई थीं। बस यही कहा कि सरकारी आंकड़े तो तीन मौत बता रहे हैं। गांव में रास्ता रोककर बाहरियों की पाबंदी पर बताया कि हां, कुछ दिन ऐसा चला था। यहां से दूध वाले रोज दूध बांटने जाते हैं। वे मास्क तो लगाते हैं, लेकिन ग्लव्ज कोई नहीं लगाता। शाम ढल रही थी। हम गांव में भीतर की ओर बढ़ रहे थे। ।

चारों ओर सन्नाटा था। इक्का-दुक्का लोग ही आवाजाही कर रहे थे। जब इस बारे में एक दो लोगों से और बात की, तो उन्होंने बताया कि कोरोना का डर यहां ज्यादा है। पहले काफी चहल-पहल रहती थी, लेकिन अप्रैल के बाद से ऐसा ही माहौल है। उससे जब माैतों के बारे में पूछा तो उन्होंने उंगली पर गिनते हुए गांव में 5 से 6 मौत कोरोना से होने का बता दिया। हालांकि यह सरकारी आंकड़ों से भिन्न था।

गांव के लाेग कम ही बाहर निकला पसंद कर रहे हैं।
गांव के लाेग कम ही बाहर निकला पसंद कर रहे हैं।

सरपंच को नहीं पता सही आंकड़े

सरपंच से बात करने की कोशिश की, तो पहले तो वे झिझके फिर बोले- कोरोना नियंत्रण के लिए हमने गांव में बहुत काम किया। युवकों की टोली बनाई और गांव में घूम-घूमकर समझाइश दी। उनसे जब पूछा गया कि यहां पर संक्रमित कितने हुए और मौत कितनों की हुई, तो उन्होंने कहा कि मौत तो तीन हुई हैं, लेकिन संक्रमित कितने हुए यह आंकड़ा तो स्वास्थ्य विभाग ही बता पाएगा। बैरिकेडिंग करवाकर आवाजाही रोकने को लेकर कहा कि यह कोरोना नियंत्रण के लिए था। हमने मेन रोड को बंद कर बाहरियों का आना-जाना बंद कर दिया था। सरपंच का कहना था कि कई लोग सर्वे टीम का सपोर्ट नहीं करते हैं। कई लोग तो विवाद भी करने लगते हैं।

ग्रामीण बबलू यादव का कहना था कि यहां तीन मौत की बात कह रहे हैं, लेकिन मौत ज्यादा हुई हैं। अब यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग नहीं बता रहा या बात कुछ और है, यह मुझे नहीं पता। उन्होंने अंगुली में मौत की गिनती करते हुए बताया कि एक पंच, पूर्व महामंत्री के भाई, पंडित, स्कूल संचालक के परिवार में मौत हुई। उनके यहां पर अभी भी कई लोग पॉजिटिव हैं। इसके अलावा कॉलोनियों में भी कई मौतें हुई हैं।

एक कोचिंग वाली मैडम की मां की मौत हुई है। पूरे ग्राम पंचायत की बात करें, तो आधा सैकड़ा से अधिक लोग पॉजिटिव हैं। इसमें से कुछ अस्पताल में हैं। कुछ होम आइसोलेशन में हैं। पूरे ग्राम पंचायत में 25 से 30 की मौत हुई है। गांव का नाम मीडिया में आने के बाद सभी एक्टिव हुए और जांच तेज की गई। मंत्री जब गांव में आए थे तब भी कई लोग पॉजिटिव थे। एक नेता का तो करीब-करीब पूरा परिवार ही पॉजिटिव हो गया। बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता रोकने को लेकर कहा कि यह सड़क मुख्य मार्ग है। ऐसे में इसे बंद कैसे किया जा सकता था।

कोरोना के कारण गांव का स्कूल जो लंबे समय से बंद है।
कोरोना के कारण गांव का स्कूल जो लंबे समय से बंद है।

गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर कोविड केयर सेंटर

टीम ने जब कोविड केयर के बारे में जानकारी निकाली तो पता चला कि यहां आधा दर्जन से ज्यादा लोग इलाजरत हैं। यह करीब 15 दिन पहले ही तैयार किया गया है। इसके पहले लोग राधा स्वामी कोविड केयर सेंटर इंदौर में इलाज करवाने जा रहे थे। टेस्टिंग को लेकर कहा कि वैसे तो हम सभी इंदौर जाकर ही इलाज करवाते हैं, क्योंकि शहर से लगे होने के कारण वह पास पड़ता है और इलाज भी बेहतर मिल जाता है। उन्होंने बताया कि कोविड केयर सेंटर में आसपास के कई गांव के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।

वैक्सीनेशन का पूछा तो सामने आई यह कहानी

वैक्सीनेशन के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि 45 प्लस के ज्यादातर लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है। 18+ के वैक्सीन तो लगवाना चाहते हैं, लेकिन स्लाॅट नहीं मिल पा रहा है। वहीं, कुछ तो रजिस्ट्रेशन और स्लाॅट से अनभिज्ञ नजर आए। उन्होंने कहा कि यह क्या होता है। डॉक्टर आएंगे गांव तो सुई लगवा लेंगे। इसी बीच वैक्सीन को लेकर एक और बात यहां सामने आई। बताया गया कि एक 83 साल की महिला ने वैक्सीन लगवाया था। दो तीन दिन उसे बुखार रहा और फिर उसकी मौत हो गई। जब पूछा तो पता चला कि उनकी वैक्सीन लगवाने के एक दो दिन पहले तबीयत खराब थी। इसके बाद भी उन्होंने वैक्सीन लगवाई थी।

बैरिकेडिंग की बात मीडिया में क्या पहुंची, दूर-दूर से रिश्तेदार करने लगे फोन

एक ग्रामीण ने बताया कि जब काेरोना का पहला मामला सामने आया तो गांव में ज्यादातर लोग घरों में कैद हो गए। हालात ऐसे हो गए कि रात-दिन एक जैसा हो गया। चाराें ओर सन्नाटा। इसके बाद मेन रोड पर बैरिकेडिंग कर दी गई। यह बात मीडिया में पहुंची तो बाहर रहने वाले हमारे रिश्तेदारों को फोन आने लगे। पूछने लगे कि गांव के क्या हाल हैं। बहुत ज्यादा संक्रमण फैल गया है क्या। तुम तो ठीक हो ना। लगातार फोन आते रहे। कोई टेंशन में नजर आया, तो किसी ने इस पहल की सराहना भी की।

मंत्री तुलसी सिलावट कलेक्टर के साथ गांव पहुंचे थे।
मंत्री तुलसी सिलावट कलेक्टर के साथ गांव पहुंचे थे।

कोरोना जांच करवा लूंगा, पाॅजिटिव आई तो क्या करूंगा

कोराेना का डर इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ग्रामीण ने अपनी पत्नी का टेस्ट इसलिए नहीं करवाया कि उसे लगा कि यदि वह पॉजिटिव आ गई तो फिर घर का काम कैसे होगा। उसे अलग रखना पड़ेगा। जब ग्रामीणों ने उसे समझाया, तो उसने काेरोना की जांच करवाने के पहले टायफाइड की जांच करवाई। हालांकि पत्नी को टाइफाइड निकला और उसका इलाज चला, अब वह ठीक हो चुकी है। वह कहता है भगवान का शुक्र है कोरोना नहीं था।

मौत के कार्यक्रम में शामिल हुए और फैल गया संक्रमण

बाताें-बातों में पता चला कि आखिर गांव में संक्रमण फैला कैसे। इस पर बताया गया कि गांव में एक मौत हुई थी। सख्ती के बाद भी कार्यक्रम हुआ। हालांकि ज्यादा लोग शामिल नहीं हुए, घरवाले ही थे। इसमें एक दो लोग जरूर बाहर के आए थे। इसके बाद उसी परिवार के एक सदस्य को कोरोना हुआ। उसके बाद तीसरे को। इसी दौरान एक और मौत हुई और फिर यह सिलसिला ऐसा चला की गांव की पूरी एक सड़क संक्रमण की चपेट में आ गई।

मंत्री तुलसी सिलावट और कलेक्टर ने गांव के बाहर खड़े होकर ही ग्रामीणों से बात की थी।
मंत्री तुलसी सिलावट और कलेक्टर ने गांव के बाहर खड़े होकर ही ग्रामीणों से बात की थी।

मंत्री बाहर से लौटे, कांग्रेसी भीतर तक घूम गए

9 मई को जब जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट अपने विधानसभा क्षेत्र के इस गांव में पहुंचे, तो उन्हें मुख्य मार्ग पर बैरिकेडिंग मिली। लोगों ने कहा कि उन्होंने मुख्य मार्ग को बंद कर दिया है और बाहरियों का आना मना है। मंत्री और कलेक्टर मनीष सिंह ने उनके इस पहल की तारीफ की। बाहर से ही बात कर लौट गए। इसके बाद गांव ढाबली के इस पहल की सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर तारीफ की। इसके बाद कांग्रेसी भी यहां दौरा करने पहुंचे, लेकिन उन्हें कहीं बैरिकेडिंग नजर नहीं आई और वे पूरे गांव में घूम गए। उन्हें उनके कार्यकर्ताओं ने मौत और संक्रमित को आंकड़ा दिया।

आंकड़े कहते हैं 36 संक्रमित, 3 की मौत

आंकड़ों की बात करें तो पूरे पंचायत में 36 संक्रमित और तीन की मौत हुई है। हालांकि ग्रामीणों की माने तो पूरी पंचायत में 40 से 45 संक्रमित और 20 से 25 लोगों की मौत हुई है। वहीं गांव में वे 15 से 20 पॉजिटिव और 5 से 7 मौतों की बात कहते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया कि ढाबली मुक्तिधाम पर दो महीने में 70 से 80 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ। हालांकि इनमें कितनी मौतें कोरोना से हुईं, यह पता नहीं है।



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