ग्वालियर। कोरोना काल में धंधा क्या चौपट हुआ पति-पत्नी के रिश्ते में दरार आ गई। पत्नी ने तलाक तक मांग लिया। यही नहीं, कोर्ट में आवेदन भी लगाने पहुंच गई, लेकिन कोरोना कर्फ्यू के चलते फैमिली कोर्ट अभी बंद है, इसलिए मामले को समाज की पंचायत के सामने रखा। यहां दोनों को समझाया गया। फिर से रिश्ते को समय देने के लिए कहा गया। समझाने पर दंपती मान गए हैं। साथ ही पंचायत ने अब महिला को घर में लीड भूमिका सौंपी है।
हालांकि यह मामला तो सुलझ गया, लेकिन पंचायत के बाद ऐसे 15 मामले विचाराधीन हैं। पंचायत इसे लॉकडाउन, कोरोना कर्फ्यू के साइड इफेक्ट मान रही है। पूज्य सिंध हिंदू जनरल पंचायत और कायस्थ समाज कर रहे इस तरह के प्रयास। यह सामुदायिक मध्यस्थता केन्द्र सुलझा रहे हर एक मामला।
हर साल आते हैं 70 से 80 मामले
पूज्य सिंध हिंदू पंचायत के महासचिव श्रीचंद पंजाबी ने बताया कि पंचायत की न्याय कमेटी पंचायत के अध्यक्ष श्रीचंद वलेचा के नेतृत्व में काम करती है। कमेटी के पास एक साल में 70 से 80 मामले आ जाते हैं। 15 मामले अभी सुलझाने का काम कमेटी कर रही है। कमेटी ने 90 फीसदी मामलों में घरों को बचाने में कामयाब रहे हैं।
रिश्ते बचाने में सफल हो रहे सामुदायिक मध्यस्थता केन्द्र
पिछले कुछ दिनों में देखने में आया है कि कोर्ट कचहरी में पहुंचने के बाद रिश्ते बनने के बजाय टूट जाते हैं, जबकि सामुदायिक मध्यस्थता केन्द्र फैमिली कोर्ट का एक अच्छा विकल्प है। इसमें रिश्तों को बचाने पर जोर दिया जाता है। सिंधी समाज, कायस्थ समाज, पंजाबी समाज के अलावा अन्य कुछ समाज इस तरह के केन्द्र चलाकर रिश्तों को बिखरने से बचा रही हैं।
केस-1: एक का काम बंद हुआ दूसरे की नौकरी तो झगड़ा बढ़ा
मामा का बाजार निवासी 32 वर्षीय राजेश (बदला हुआ नाम) का रेडिमेड गारमेंट्स का काम था, लेकिन लॉकडाउन उसके बाद मंदी और अब कर्फ्यू ने धंधा चौपट कर दिया। हालत यह है कि इकलौते बेटे को बुजुर्ग मां-पिता, पत्नी और बेटी की जिम्मेदारी उठाने में परेशानी आने लगी। पत्नी भी प्राइवेट जॉब करती है, लेकिन उसका भी काम बंद है। तंगी बढ़ी तो पति-पत्नी के बीच झगड़े और मनमुटाव बढ़ता चला गया। नौबत तलाक की आ गई। परिवार के लोगों ने दोनों को कोर्ट में जाने से पहले पूज्य सिंध हिंदू जनरल पंचायत में जाने के लिए कहा। यहां पति-पत्नी दोनों से बात की गई। दोनों को समझाया गया। इसके बाद दोनों रिश्ते को फिर से समय देने के लिए तैयार हैं।
केस-2: घर पर पति, व्यापार में घाटा बढ़ा तो बढ़ने लगी तकरार
लश्कर निवासी फुटवियर व्यवसायी आशीष (बदला हुआ नाम) की कहानी है। कोरोना कर्फ्यू के कारण वह घर पर हैं। व्यवसाय में घाटा चल रहा है। घर में होने के कारण उनकी और पत्नी के बीच बीते कुछ महीनों से लगातार बहस हो रही थी। अब बात तलाक तक आ गई। उनके एक बेटा-बेटी है। जब मामला सामुदायिक मध्यस्थता केन्द्र में पहुंचा तो सदस्यों ने दंपती को एक साथ बैठाया। पता लगा कि असल में दोनों के बीच बड़ा विवाद नहीं था। कभी एक दूसरे के मोबाइल चलाने, तो कभी TV के रिमोर्ट तो कभी बच्चों से कुछ कहने की बात पर विवाद हो जाता था। साफ दिख रहा था कि लॉकडाउन की मंदी का तनाव रिश्तों पर पड़ रहा था। समझाइश से रिश्ते बनते चले गए।
केस-3: मोबाइल पर बात करने पर संदेह
हाल ही में महिला परामर्श केन्द्र में भी इस तरह का मामला सामने आया था। नवदंपती आपस में लड़ते हुए पहुंचे और तलाक की इच्छा जाहिर की। दोनों ने एक दूसरे को उनके लायक न बताते हुए अलग होने की मंशा जताई। युवक ने पत्नी पर मां-पिता का ख्याल न रखने का आरोप लगाया। युवती ने पति पर मायके वालों की इज्जत न करने का आरोप लगाया। जब दोनों को साथ बैठाया तो मनमुटाव की असल वजह सामने आई। दोनों एक दूसरे के मोबाइल पर अकेले में बात करने पर संदेह करते थे। उनको समझाया गया। साथ ही, युवती को समझाया कि वह पति के मां-पिता में अपने मां पिता को देखे तो बुराई भी अच्छाई लगेगी। यही बात उसके पति को समझाई गई। अब दोनों ने साथ रहने का फैसला किया है।