खंडवा: शहर के एक आईएएस डॉक्टर ने एनेस्थीसिया में उपयोग होने वाले बेन सर्किट और बाइपेप मास्क से ऑक्सीजन बचाने का सफल प्रयोग किया है. इससे वह लगभग 10 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट बचा रहे हैं. हरसूद में पदस्थ आईएएस एसडीएम परीक्षित झाड़े खुद एक डॉक्टर है. उन्होंने नागपुर मेडिकल कॉलेज में अपने बैचमेट डॉक्टरों के सहयोग से यह प्रयोग किया जो काफी सफल माना जा रहा है. लगभग 20 मरीजों पर वह इसका सफल प्रयोग कर चुके हैं. यदि प्रदेश स्तर पर इसे अप्लाई किया जाए तो ऑक्सीजन की किल्लत को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा.
ऑक्सीजन बचाने का दूसरा प्रयोग
खंडवा कलेक्टर अनय द्विवेदी पहले भी मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन का ऑडिट करवाने के मामले में प्रदेश में नाम कमा चुके हैं. अब उन्होंने अपने सहयोगी IAS और हरसूद के एसडीएम डॉ. परीक्षित झाड़े के साथ ऑक्सीजन बचाने को लेकर दूसरा प्रयोग किया है.
इस तरह बचा रहे ऑक्सीजन
डॉ झाड़े डॉक्टर होने के साथ-साथ IAS भी है. उन्होंने बाइपेप मास्क को एनेस्थीसिया के मोडिफाइड बेन सर्किट के साथ जोड़ते हुए ऑक्सीजन सप्लाई करने का सिस्टम तैयार किया. ऑपरेशन के दौरान एनेस्थिसिया देते समय मॉडिफाइड बेन सर्किट का उपयोग किया जाता है. वही बाइपेप मास्क से 100% ऑक्सीजन मरीज को मिलती रहती है. जबकि बड़ी नली से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती रहती है एवं रिजर्ववायर बैग में जमा होकर उसे लगे वाल्व से बाहर निकलती रहती है. साथ में पीप (पॉजिटिव एंड एक्सपीरेट्री प्रेशर) बनाए रखने में मदद करती है.
5 लीटर प्रति मिनट पर ले आए ऑक्सीजन
इस प्रयोग से जिस मरीज को 15 से16 लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट खपत हो रही थी, वह अब 5 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन पर समान spo2 लेवल मेंटेन कर रहा है. इससे प्रति मरीज प्रति मिनट बहुत ऑक्सीजन बच रही है, जो दूसरे मरीजों के काम में आएगी.
आपको बता दें कि एसडीएम डॉ. परीक्षित झाड़े का ये नया प्रयोग ऑक्सीजन को बचाने की दिशा में एक नई शुरुआत मानी जा सकती है. जिससे बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन बचाई जा सकती है. खंडवा कलेक्टर और उनकी टीम लगभग 1 माह से इस योजना पर काम कर रहे थे और उन्होंने 20 मरीजों पर इसे सफलतापूर्वक अप्लाई किया है उसके बाद ही इसे सार्वजनिक किया.
खंडवा की तारीफ कर चुके सीएम
इससे पहले खंडवा कलेक्टर अनय द्विवेदी भी ऑक्सीजन किल्लत के दौर में ऑक्सीजन बचाने को लेकर कई प्रयोग कर चुके हैं. उन्होंने खंडवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन के वेस्टेज और तकनीकी त्रुटि का ऑडिट करवाते हुए भी कई सिलेंडर ऑक्सीजन बचाने का मॉडल तैयार किया था. जिसकी प्रदेश स्तर पर चर्चा हुई थी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके इस मॉडल को अन्य जिलों में अप्लाई करने के निर्देश दिए थे.