गुना। गुना जिले बीनागंज में वेयर हाउस से फर्जी तरीके से धनिया निकलकर बेंचने के मामले में 21 साल बाद मामला दर्ज हो पाया है। पुलिस ने बीनागंज चौकी में आईपीसी की धारा 420, 409, 467, 468 के तहत प्रकरण बुधवार को दर्ज किया। एसपी के द्वारा एसडीओपी से जांच कराने के बाद यह मामला दर्ज किया गया है।
क्या है मामला
फरियादी भैंरूलाल साहू निवासी बीनागंज ने शिकायत की थी कि वेयर हाउस बीनागंज के प्रबंधक विजय कुमार अग्रवाल ने उनके फर्जी हस्ताक्षर कर 417 बोरी धनिया के वेयरहाउस से निकलवाकर बेंच दिए थे। 31 मार्च 1999 को यह धनिया शासकीय राज्य भंडारण गृह के वेयर हाउस में रखा गया था। उस समय इसकी कीमत लगभग 4 लाख रुपए आंकी गयी थी। साल 2000 में तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने इसे फर्जी तरीके से निकलवाकर 6 लाख 50 हजार में बेंच दिया था।
इस मामले की फरियादी ने कई बार एसपी, कलेक्टर से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक में शिकायत की थी। इस दौरान लगभग 15 पुलिस अधीक्षक बदल गए। वहीं इतने ही कलेक्टर गुना रहकर रवाना हो गए, लेकिन आरोपी के ख़िलाफ मामला दर्ज नहीं हो पाया।
एसपी राजीव मिश्रा ने बताया की क्राइम मीटिंग के दौरान यह मामला सामने आया। इतने सालों से इस मामले के लंबित रहने की जानकारी जब लगी तो एसडीओपी चांचौड़ा से इसकी जांच कराई गयी। जांच में यह बात सही पायी गई। इसके बाद बुधवार को इस मामले में प्रकरण दर्ज किया गया।
बीनागंज चौकी में तत्कालीन शाखा प्रबंधक विजय कुमार अग्रवाल निवासी अम्बा रोड केंद्रीय विद्यालय के पास मुरैना के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। आरोपी पर प्रकरण क्रमांक 218/21 धारा 420, 409, 467, 468 के तहत दर्ज कर लिया गया है। जांच में यह सामने आया की तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने वेयरहाउस से 417 बोरी धनिये के निकालकर किसी अशोक कुमार पालीवाल को बेंच दिए थे।
इस मामले में था बीनागंज थाने में पहला आवेदन 8 अप्रैल 2000 को सौंपा गया। इसके बाद 10 साल तक यह निरंतर एसपी, कलेक्टर को आवेदन देता रहा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुछ समय के लिए फरियादी बीनागंज छोडक़र चला गया था, जिस वजह से मामला लंबित पड़ा रहा।
साल 2020 में नवंबर में फरियादी ने पुनः एसपी को आवेदन सौंपकर जांच की मांग की। एसपी राजीव कुमार मिश्रा ने 12 फरवरी 2021 को गुना में जॉइन किया। सभी थानों में लंबित मामलों की समीक्षा बैठक के दौरान यह प्रकरण भी एसपी के सामने आया। अप्रैल में उन्होंने एसडीओपी चांचौड़ा मुनीष राजोरिया को इसकी जांच कर प्रतिवेदन देने को कहा। एसडीओपी की जांच में यह आरोप सही पाए गए। उन्होंने 19 मई को इस संबंध में एसपी को अपना प्रतिवेदन सौंपा। इसके आधार पर 19 मई को ही संबंधित थाने में मामला दर्ज कर लिया गया।
ढाई गुना ज्यादा है वर्तमान कीमत
साल 2000 में बेचे गए धनिये कि कीमत 4 लाख रुपए थी। गल्ला व्यापारियों के अनुसार अब इसकी कीमत लगभग 10 लाख रुपए से ज्यादा है। 40 किलो की एक बोरी धनिया की पैक की जाती है। उस समय एक हजार रुपए एक बोरी की कीमत थी। आज 2500-2700 रुपए तक एक बोरी की कीमत है।