उज्जैन। कोरोना कहर के चलते जहां एक तरफ कई व्यवसायिक संस्थान बंद है, वहीं मंदिरों के भी पट बंद है। व्यवसायिक संस्थानों को आर्थिक मार झेलना पड़ रही है तो मंदिर भी इससे अछूते नहीं है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में नाममात्र की दान राशि मिल रही है। इससे मंदिर प्रबंधन के खर्च भी नहीं निकल पा रहे हैं। ऐसे में मंदिर संस्थान को अपनी जमा पूंजी में से खर्च करना पड़ रहा है।
सामान्य दिनों में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर महीने 2 से 2.5 करोड़ रुपए की आमदनी होती थी। लेकिन 2021 के अप्रैल और मई में महज 2 लाख 62 हजार 226 रुपए ही ऑनलाइन दान के रूप में मिले है।
महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया अप्रैल 2021 में महाकाल मंदिर की कुल आय 1 लाख 5 हजार 413 रुपए हुई। मई में अब तक ऑनलाइन के माध्यम ही पूरा दान आया है, जो कि 1 लाख 56 हजार 813 रुपए है। प्रति माह मंदिर की व्यय राशि करीब एक करोड़ से अधिक अनुमानित है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते 12 अप्रैल 2021 से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद कर दिया गया। तभी से महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं का महाकाल मंदिर में दर्शन के सिलसिले पर रोक लगी तो रोजाना आने वाले दान में भी कमी आ गई। सामान्यतः मंदिर की आय प्रति माह दो से ढाई करोड़ रुपए होती थी। मंदिर में करीब 650 कर्मचारी अलग अलग तरह की सेवाएं देते है। इनकी प्रतिमाह तनख्वाह और अन्य खर्च के रूप में 1 से सवा करोड़ रुपए का व्यय मंदिर समिति का होता है। अब कोरोना कर्फ्यू के कारण बीते 38 दिनों से मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद है। ऐसे में मंदिर का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
महाकाल मंदिर में कर्मचारियों की तनख्वाह के अलावा बिजली बिल, अन्न क्षेत्र, गौशाला, सफाई, पूजन सामग्री, सुरक्षा समेत अन्य कार्यों पर भी खर्च होता है। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कर्मचारियों को वेतन तो दे रही है लेकिन अभी मंदिर की जमा पूंजी में से ही देना पड़ रहा है।
दूसरी बार कोरोना के कारण महाकाल से दूर हुए भक्त
बारह ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर पिछले वर्ष 2020 में भी लॉकडाउन के कारण 75 दिनों से अधिक समय के लिए पहली बार बंद रहा था। तब भी मंदिर समिति की आय में गिरावट देखने को मिली थी। करीब तीन माह बाद 9 जून 2020 को मंदिर को दोबारा खोला गया था।