मध्यप्रदेश में कोरोना के केस घट रहे हैं, लेकिन अब ब्लैक फंगस के मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं। अब तक 573 मरीज मिल चुके हैं। 31 मरीजों की मौत हो चुकी है। इंजेक्शन की कमी है। कोरोना संक्रमण के बाद सरकार अब ब्लैक फंगस पर फोकस कर रही है। सरकार ने इससे निपटने के लिए टास्क फोर्स टीम का गठन किया है। इसमें सरकार के दो मंत्री भी शामिल हैं।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ब्लैक फंगस से निपटने के लिए टास्क फोर्स टीम बनाने के निर्देश दिए है। टास्क फोर्स में सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, मंत्री विश्वास सारंग सहित एसीएस एसपी दुबे और हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक लोकेंद्र दवे भी शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकॉरमाइकोसिस) की प्राथमिक अवस्था में ही पहचान कर हर मरीज का उपचार करें। इस कार्य को जन-आंदोलन का रूप दिया जाए तथा हर जिले में इसकी जांच की व्यवस्था हो। इस कार्य में निजी डॉक्टरों का भी पूरा सहयोग लिया जाए।
प्रदेश में ब्लैक फंगस के अब तक 573 मरीज मिल चुके हैं। इसकी रोकथाम और उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। हालांकि ब्लैक फंगस के एंटी फंगल इंजेक्शन के लिए मारामारी भी मच गई है। बता दें कि प्रदेश में वर्तमान में 5 मेडिकल कॉलेज इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा में इसका नि:शुल्क उपचार किया जा रहा है।
नि:शुल्क नेजल एंडोस्कॉपी की व्यवस्था
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि ब्लैक फंगस की जांच के लिए जिलों में नि:शुल्क नेजल एंडोस्कॉपी की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में भी इसकी नि:शुल्क जांच के लिए डेस्क बनाई जा रही है।
प्राइवेट अस्पतालों को भी दिए जाएंगे इंजेक्शन
ब्लैक फंगस के इलाज में लगने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों के अलावा प्राइवेट अस्पतालों को भी उपलब्ध कराए जाएंगे। प्रदेश में ढाई हजार एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन प्राप्त हो गए हैं। जबकि 10 हजार इंजेक्शन शीघ्र ही मॉयलान कंपनी के प्रदेश को मिल जाएंगे।