भोपाल: एक तरफ़ लोग कोरोना से परेशान है. स्तिथि भयावह बनी हुई है दूसरी तरफ़ ऐसे लोग भी है वो मानवता छोड़ कर ऐसी स्थिति में भी लोगों को ठगने से बाज नहीं आ रहे है.
भोपाल में कोविड जांच के नाम पर आर्मी अधिकारी बनकर अस्पतालों ओर पैथोलॉजी के साथ ठगी के मामले बढ़ते ही जा रहे है. इसको देखते हुए साइबर सेल ने अलर्ट घोषित करते हुए एडवाइजरी जारी की है.
किस तरह की ठगी के मामले आये सामने
संक्रमण काल में जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे लोगों की मजबूरी का फायदा कर साइबर अपराधी ठग रहे हैं.
साइबर ठग खुद को सेना का बड़ा अधिकारी या कर्मचारी बताकर व्हाट्सएप पर आर्मी की ड्रेस वाली डीपी(प्रोफाइल फ़ोटो) लगाकर अस्पताल और पैथोलॉजी MRI करने वाले सेंटर को फोन करते हैं. खुद को बाहर पदस्थ होने की बात कहकर शहर में मौजूद अपने परिजनों की जांच करवाने की बात करते हैं.
प्रतिष्ठान का ऑनलाइन ट्रांजैक्शन खाता नंबर लेकर उसमें थोड़ी राशि ट्रांसफर कर व्यक्ति को भरोसे में लेकर बाद में अपराधी से महंगी महंगी जांच का बिल बनवा कर ऑनलाइन फंड ट्रांसफर की रिक्वेस्ट मोबाइल पर मंगवाते हैं.
मोबाइल पर आए ओटीपी की डिमांड की जाती है यह मिलते ही प्रतिष्ठानों के संचालक के खाते से रुपए उड़ा लिए जाते है.
सायबर सेल का अलर्ट
स्टेट साइबर सेल ने ठगी से बचने के लिए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में सावधानी बरतने को लेकर एडवाइजरी जारी की.
राजधानी में इस तरह की ठगी के बढ़ते मामलों को लेकर साइबर सेल जांच में जुट गई है. बढ़ती ठगी की घटनाओं को लेकर साइबर सेल ने सभी पैथोलॉजी और अस्पताल प्रबंधन सहित मेडिकल जांच करने वाले सेंटर्स को अलर्ट जारी किया है.
आर्मी या सेना की यूनिफार्म का फोटो या आईकार्ड यदि व्हाट्सएप पर दिखाया जाता है तो उस पर पूर्णतः विश्वास ना करें.
हमेशा ध्यान रखें कि यूपीआई पेमेंट रिसीव करते समय किसी भी पिन की आवश्यकता नहीं होती.
प्राप्त होने वाले किसी भी फ़र्ज़ी कॉल, मेसेज, ईमेल पर बिना पुष्टि के विश्वास ना करें.
यदि आपके साथ कोई अपराध हुआ हो तो नज़दीकी थाने में जाकर या www.cibercrime.gov.in पर या टोल फ्री नंबर 155260 पर संपर्क करें.
इस तरह के कई मामले सामने आने के बाद और शिकायतें दर्ज होने के बाद साइबर सेल अलर्ट मोड पर आया और गाइड लाइन्स तैयार कर एडवाइजरी जारी की है. ताकि आगे कोई और इसका शिकार ना बन सके .