इंदौर। कोरोना महामारी से निपटने के लिए नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। बाजार में बढ़ती हुई रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड को देखते हुए अब लिक्विड के रूप में आ गया है। वहीं इंजेक्शन को ले जाने के लिए मोबाइल फ्रीज भी आ गया है। आम जनता के लिए पूरी जानकारी लेकर आया है। इससे नकली और असली इंजेक्शन की पहचान की जा सकती है।
वैक्सीन हब के संचालक मनोज राय ने बताया कि वर्तमान में रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली देश भर की 5 जानी-मानी कंपनियों में से 4 कंपनियों ने अपने इंजेक्शन को लिक्विड फॉर्म में उतार दिया है। सिपला, हेट्रो, डॉक्टर रेडी और कैडिला यह चार कंपनियों के इंजेक्शन बाजार में लिक्विड फॉर्म में उपलब्ध है। वही जूबिलेंट फार्मा द्वारा अभी तक इंजेक्शन को पाउडर फॉर्म में ही बाजार में दिया जा रहा है।
वर्तमान में लिक्विड इंजेक्शन में यह अहम पहचान है
- पहले पाउडर फॉर्म में जो इंजेक्शन मिल रहे थे उनकी कांच की बोतल एक काफी हल्की थी, लेकिन इस बार लिक्विड फॉर्म में मिलने वाले इंजेक्शन की बोतलें काफी भारी बनाई गईं।
- पहले जो पाउडर फॉर्म में इंजेक्शन आता था उसमें केवल mg लिखा होता था, लेकिन इस बार लिक्विड में mg के साथ ml शब्द का भी उपयोग किया गया।
- सिपला कंपनी के इंजेक्शन जोकि पाउडर फॉर्म में 4000 रुपए का था वही लिक्विड फॉर्म में अब 3000 का मिल रहा है ।
- पहले जहां पाउडर फॉर्म वाले इंजेक्शन को 30 डिग्री पर रखा जा सकता था, लेकिन लिक्विड इंजेक्शन को 2 से 4 डिग्री पर ही रखा जाना अनिवार्य है।
प्रदेश का पहला मोबाइल फ्रीजर
जहां वैक्सीनेशन के लिए इन इंजेक्शन को लाने और ले जाने में काफी दिक्कतें का सामना करना पड़ रहा था। वहीं मध्यप्रदेश का पहला मोबाइल फ्रिज इंदौर में आया है। इसे वैक्सीन हाउस के मनोज राय द्वारा खरीदा गया है। इसकी कीमत लगभग 79 हजार रुपए बताई जा रही है। फ्रिज की विशेषता यह है कि वह 1 घंटे चार्ज करने पर 18 घंटे तक ठंडा रहता है। इसमें 200 वैक्सीन रखा जा सकता हैं। यह फ्रीज अंदर से 2 से 8 डिग्री तक के तापमान रखता है। 120 लीटर इस फ्रीज की क्षमता हैं। इसकी संख्या पांच जल्द होने वाली है।
मोबाइल फ्रीज
कैसे करे पहचान इंजेक्शन को
आईपीएस मोनिका भारद्वाज ने भी जागरुकता के लिहाज से सोशल मीडिया पर इंजेक्शन की पहचान को लेकर ट्वीट किया है। ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
1. नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर इंजेक्शन के नाम से ठीक पहले ‘Rx‘ नहीं लिखा हुआ है।
2. पैकेज पर लिखी गई तीसरी लाइन में एक कैपिटलाइजेशन एरर है। असली पैकेट पर ‘100 mg/Vial’ लिखा हुआ है, जबकि नकली पैकेट पर ‘100 mg/vial’ लिखा हुआ है।
3. प्रोडक्ट के ब्रांड नेम में भी एरर है। नकली और असली रेमडेसिविर इंजेक्शन के पैकेट पर अंतर को नोट करें। नकली पैकेट पर ब्रांड नाम के नीचे ‘Vial/vial’ में एक और एरर है।
4. नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर एक और कैपिटलाइजेशन एरर है. असली पैकेट पर ‘For use in’ लिखा हुआ है और नकली पैकेट पर ‘for use in’ लिखा हुआ है
5. असली पैकेट के पीछे चेतावनी लेबल (‘Warning’ Label) लाल रंग में है, जबकि नकली पैकेट पर ‘Warning’ लेबल काले रंग में है।
6. नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर ‘Warning’ लेबल के ठीक नीचे मुख्य सूचना ‘Covifir’ (ब्रांड नाम) is manufactured under the licence from Gilead Sciences, Inc’ नहीं लिखी हुई है ।
7. दवा बनाने वाली कंपनी, हेटेरो लैब्स की पहचान करने वाले टेक्स्ट में भी कैपिटलाइजेशन एरर है. नकली रेमडेसिविर पैकेट में ‘India’ की जगह ‘india’ लिखा हुआ है।
8. नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन वाले पैकेट पर पूरे पते । अंतर छिपे हुए होते हैं। इन पॉइंट्स की मदद से आप असली और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की पहचान कर सकते हैं।