लक्षण दिखने पर कोरोना के साथ मलेरिया जांच भी कराएं, क्योंकि मलेरिया ग्रस्त कोरोना मरीज को स्टेरॉयड देना जानलेवा हो सकता है

Posted By: Himmat Jaithwar
5/13/2021

कोरोना व मलेरिया में काफी समानता है। दोनों ही बीमारियों में मरीज को बुखार, बदन दर्द, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानी होती है। ऐसे कोरोना संक्रमण के दौर में अगर किसी व्यक्ति को बुखार आता है तो उसका कोरोना टेस्ट कर उसके अनुसार इलाज प्रारंभ कर दिया जाता है। वहीं, मलेरिया पर ध्यान ही नहीं जाता है। ऐसे में आईआईटी इंदौर द्वारा ओडिशा के कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (केआईएमएस) के साथ मिलकर रिसर्च की गई है।

डॉ. हेम चंद्र झा ने अपने शोध छात्र ओमकार इंदारी और बुद्धदेव बराल के साथ मिलकर अध्ययन किया है।
डॉ. हेम चंद्र झा ने अपने शोध छात्र ओमकार इंदारी और बुद्धदेव बराल के साथ मिलकर अध्ययन किया है।

रिसर्च के अनुसार अगर किसी मरीज की कोरोना के साथ मलेरिया रिपोर्ट भी पॉजिटिव है तो उसके इलाज में स्टेरॉयड के प्रयोग से बचना चाहिए। शोध के अनुसार मलेरिया पॉजिटिव कोरोना मरीज को स्टेरॉयड देने से असामान्य न्यूरोलॉजिकल प्रभाव उत्पन्न होने लगते हैं। इसके बेहद गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इस वजह से सेरेब्रल मलेरिया, कोमा आदि जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में कोरोना के इलाज में बेहद प्रभावी साबित हो रही स्टेरॉयड मलेरिया के इलाज में जानलेवा साबित हो सकती है।

बारिश के मौसम में दोनों की जांच कराना जरूरी है
यह अध्ययन आईआईटी इंदौर में इंफेक्शन बायो इंजीनियरिंग ग्रुप के प्रमुख डॉ. हेम चंद्र झा ने अपने शोध छात्रों ओमकार इंदारी और बुद्धदेव बराल और केआईएमएस के प्रोफेसर निर्मल कुमार मोहाकुड की टीम के साथ मिलकर किया है। डाॅ. हेम चंद्र झा का कहना है कि मलेरिया और कोविड-19 के दोहरे संक्रमण के कारण घातक न्यूरोलॉजिकल प्रभावों को लेकर दुनियाभर में पहला शोध है।

शोध के परिणाम को ध्यान में रखते हुए बारिश के मौसम में देशभर में जो भी मलेरिया बाहुल्य क्षेत्र हैं वहां कोरोना टेस्ट के साथ मलेरिया टेस्ट भी जरूर करना चाहिए, जिससे की लोगों को सही ट्रीटमेंट मिल सके। इस शोध के परिणाम उन लोगों के लिए एक चेतावनी हैं जो कोरोना का इलाज घर पर कर रहे हैं और बिना डॉक्टर की सलाह और निगरानी में स्टेरॉयड का सेवन कर रहे हैं।



Log In Your Account