शिवराज सरकार 2005 के बाद भर्ती अधिकारियों-कर्मचारियों की पेंशन में सरकार अपना अंशदान 4% बढ़ाने जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार शाम होने वाली कैबिनेट बैठक में वित्त विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है। बता दें, अभी राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत कर्मचारी और सरकार 10-10% अंशदान जमा करते हैं।
वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है, मुख्यमंत्री ने बजट सत्र के दौरान राष्ट्रीय पेंशन योजना में 4% अंशदान बढ़ाने की सैद्धांतिक सहमति दे दी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली थी, लेकिन एक बार फिर यह प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा गया है।
केंद्र सरकार अपने अंशदान को 10 से बढ़ाकर 14% कर दिया है। प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों (IAS,IPS व IFS) को भी इसका लाभ मिलने लगा है, लेकिन प्रदेश के 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी इससे वंचित हैं। वे लंबे समय से इसकी मांग भी कर रहे हैं। सरकार ने अब अंशदान बढ़ाने को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। इसकी घोषणा बजट में की जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक 2005 के बाद भर्ती अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना लागू है। इसके तहत जितना अंशदान कर्मचारी जमा करते हैं, उतनी ही राशि राज्य व केंद्र सरकार भी मिलाती है। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए एक अप्रैल 2019 से अंशदान 10 से बढ़ाकर 14% कर दिया है। राज्य सरकार ने 20 मार्च 2020 से यह प्रावधान मध्य प्रदेश में कार्यरत अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए लागू कर दिया है, लेकिन इसका लाभ प्रदेश के कर्मचारियों को नहीं दिया गया।
चमक विहीन गेहूं का वित्तीय भार सरकार उठाएगी
वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर खरीद गए चमक विहीन गेहूं का करीब 30 करोड़ रुपए वित्तीय भार सरकार उठाएगी। कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। दरअसल, केंद्र सरकार ने गेहूं के उपार्जन के लिए गुणवत्ता का मापदंड तय किया है। इसके आधार पर ही केंद्र गेहूं खरीदती है। यदि मापदंड से कम गुणवत्ता होने पर वित्तीय भार राज्य सरकार को उठाना पड़ता है।
इन प्रस्तावों को मिल सकती है मंजूरी
- सिनेमा से जुड़े सभी विषय कमर्शियल टैक्स विभाग से लेकर नगरीय विकास व आवास विभाग को देने का प्रस्ताव।
- राज्य एवं जिला सहकारी कृषि व ग्रामीण विकास बैंकों के शेष कर्मचारियों का संविलियन की योजना की अवधि बढ़ाना।
- कृषक मित्र के चयन से संबंधी नियमों में संशोधन।