भोपाल के गांवों में कोरोना संक्रमण कैसे फैला, इसके बड़े कारणों में कुंभ भी शामिल है। सबसे पहले बात बैरसिया तहसील की। भास्कर पड़ताल में पता चला है कि यहां से 15 बसें और कई छोटी गाड़ियां 650 से अधिक लोगाें को हरिद्वार में कुंभ में स्नान ले गई थीं। ये लोग 15 अप्रैल तक लौटकर आए तो ज्यादातर बुखार और खांसी से बीमार थे। गांवों में एक परंपरा है कि जब कोई कुंभ या चार धाम यात्रा करके आता है, तब लोग उससे मिलने जाते हैं। यहां भी वही हुआ। जो लोग बीमार होकर आए थे, लोग उनसे मिले और संक्रमण की चेन बनती चली गई। कुछ बीमार लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराते रहे और उनकी मौत भी हो गई।
लेकिन सरकारी रिकॉर्ड तो दूर गांव में भी किसी ने इन मौतों को कोरोना से होना नहीं माना। कुछ बीमार लोगों ने भोपाल में अपनी जांच कराई। पॉजिटिव मिलने पर भर्ती हुए। यहां जिनकी जान गई, सिर्फ उन्हीं की मौत रिकॉर्ड में दर्ज हुई। 18 अप्रैल को कुंभ से लौटने वाले सिर्फ दो लोगों ने प्रशासन को सूचना दी। इनमें एक तलैया और दूसरा करोंद का है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने कुंभ से लौटने की जानकारी छिपाए रखी। बीमार होने की बात भी सामने नहीं आने दी।
झोला छाप डॉक्टर से इलाज और झाड़-फूंक का सहारा
कलारा के एक युवक मोनू ठाकुर ने बुखार-खांसी होने पर हर्राखेड़ा के झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराया। उसकी मौत हो गई। मोनू कुंभ तो नहीं गया था, लेकिन वहां से लौटे लोगों के संपर्क में आया था। इसी तरह कई लोग मोतीझरा के नाम पर झाड़-फूंक कराने सीहोर जा रहे हैं।
गांव-गांव में बसों से इकट्ठा किया कुंभ यात्रियों को
बैरसिया तहसील सहित राजधानी के समीप के अन्य गांवों से कुंभ में जाने के लिए छोटे-छोटे ट्रांसपोर्टर्स ने अपनी बसें लगा दी थीं। ग्रामीणों को 8000 से 10 हजार रुपए में कुंभ के साथ आसपास के अन्य धार्मिक स्थलों का भ्रमण कराने की बात बता कर बसें हरिद्वार गईं थीं। इन बसों में यात्रियों की बुकिंग के लिए गांव-गांव में एजेंट भी बनाए गए थे। ज्यादातर गांवों के बुजुर्ग ही इन बसों में कुंभ स्नान के लिए गए। कुछ लोगों ने जीप जैसी गाड़ियों से भी यात्रा की।
वे नाम... जिनकी जान कुंभ से लौटकर या इनके संपर्क में आने से चली गई
- बरखेड़ा बरामद के बुजुर्ग कृपाल सिंह की कोरोना से मौत। कुंभ गए थे।
- रोंझिया के पूर्व सरपंच किशोर सिंह की कोरोना से मौत। ये कुंभ से लौटे अपने रिश्तेदार से मिले थे।
- कलारा की एक महिला की भाेपाल में मौत। वे भी कुंभ से लौटे लोगोंे के संपर्क में आई थीं।
- तरावली मंदिर के पास गांव दिल्लौर में 35 साल की एक महिला, 90 वर्षीय बुजुर्ग और एक अन्य महिला की मौत बुखार-खांसी के बाद हुई। ये तीनों कुंभ से लौटे लोगों के संपर्क में आए थे।
- रोडिया में बैजनाथ पटेल की बुखार से मौत। उनके गांव के लोग कुंभ गए थे। पटेल इनसे मिले थे।
स्टाफ संक्रमित था, इसलिए इलाज नहीं मिल सका; जिस समय ग्रामीण कुंभ से लौटे, तब गुनगा का उप स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़ा था। स्वास्थ्य विभाग में जब पूछा गया तो बताया कि यहां का स्टाफ संक्रमित हो गया है। इसी दौरान गुनगा में ही एक महिला सहित दो लोगों की मौत बुखार और खांसी से हो गई।
अस्पताल में इलाज ही नहीं मिला तो कोरोना से मौत नहीं होने का दावा कैसे
सोमवार को प्रशासन की टीम ने आदमपुर छावनी पहुंच कर जांच की। पटवारी अंजनी मिश्रा ने दावा किया कि यहां कोरोना से कोई मौत नहीं हुई। गांव के ही लोग उनके इस दावे से संतुष्ट नहीं हैं। प्रशांत ठाकुर ने कहा कि जब घर में ही लोगों की मौत हो गई, कोई जांच ही नहीं हुई तो यह कैसे कहा जा सकता है कि उनकी मौत कोरोना से नहीं हुई। 10-15 लोगों की मौत प्रशासन को सामान्य लग सकती है, लेकिन हमें नहीं।