इंदौर। महामारी के दौर में ग्लूकोज व नमक से नकली इंजेक्शन बना रेमडेसिविर के नाम पर बेचने वाले गिरोह ने कई जानें ली हैं। भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ है कि इन्होंने 700 इंजेक्शन इंदौर में और 500 जबलपुर में बेचे हैं। कॉल रिकॉर्डिंग और चैट हिस्ट्री से पुलिस अब तक ऐसे तीन परिवारों तक पहुंच पाई है, जिनके परिजन की इंजेक्शन लगाने के बाद मौत हो गई।
प्रदेश के जिन 1200 लोगों को ये इंजेक्शन लगे, उनमें कितनों की मौत हुई, पुलिस इसकी की लिस्ट बना रही है। सरगना सुनील मिश्रा व उससे जुड़े दिनेश बंसीलाल चौधरी और धीरज साजनानी ने सोशल मीडिया के जरिये लोगों को नकली इंजेक्शन बेचे। पीड़ितों के सामने आने पर आरोपी सुनील, कौशल वोरा और पुनीत शाह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ाई हैं, लेकिन ये नाकाफी हैं। उधर, आरोपियों से कुछ निजी अस्पतालों ने भी इंजेक्शन खरीदे हैं, फिलहाल वे पुलिस जांच से बाहर हैं।
चैट पर पूरा सौदा फिर तस्दीक कर डिलीवरी, पांच और हिरासत में, इनमें कुछ समाजसेवी भी
भास्कर के पास आरोपियों की चैट के स्क्रीन शॉट हैं, जिनसे स्पष्ट है कि वे कैसे सोशल मीडिया पर नकली रेमडेसिविर के सौदे करते थे। इमोशनली ब्लैकमेल कर 35 हजार रुपए तक लूट लेते। उधर, पुलिस ने 5 और लोगों को हिरासत में लिया है, इनमें कुछ समाजसेवी व कुछ मुनाफाखोर हैं। इन्होंने आरोपियों से इंजेक्शन खरीदे।
देवास से सौ इंजेक्शन बरामद, दवा कारोबारी का सुराग मिला
उधर, क्राइम ब्रांच ने सोमवार देर रात देवास जिले के ग्राम सतवास से सौ नकली रेमडेसिविर जब्त किए हैं। इनका सुराग चीकू नाम के एक दलाल से मिला था, जो इंदौर के दवा कारोबारी से जुड़ा है। इस कारोबारी ने भी आरोपियों से सौ नकली इंजेक्शन खरीदे थे। मामला उजागर होने के बाद से ही यह फरार है। हालांकि पुलिस को कारोबारी का भी पुख्ता सुराग मिल गया है। उससे जुड़े तीन दलाल हिरासत में लिए जा चुके हैं। इन्हीं में से एक का नाम चीकू है।
ऐसे केस में हत्या साबित करना मुश्किल
^एसपी आशुतोष बागरी के मुताबिक, मृतकों का पोस्टमाॅर्टम नहीं हो पाया है। इस वजह से इसे हत्या साबित कर पाना मुश्किल है। निजी अस्पतालों के जुड़ाव का कोई पुख्ता सुराग अभी नहीं मिला है। यदि समाजसेवा के लिहाज से किसी ने इंजेक्शन खरीदे होंगे तो उन्हें छोड़ देंगे।
चंद रुपयों के लालच में कालाबाजारियों ने जीवनभर का दर्द भर दिया है
इंजेक्शन के 3 घंटे बाद पिता गुजरे, मां सदमे से चली गई
गुलाबबाग काॅलोनी की एक युवती ने सोशल मीडिया के माध्यम से पिता के लिए मुख्य सरगना सुनील मिश्रा से 8 हजार में इंजेक्शन खरीदा था। पिता बॉम्बे हॉस्पिटल के पास यूनिवर्सल हॉस्पिटल में भर्ती थे। इंजेक्शन लगने के तीन घंटे बाद ही पिता की मौत हो गई। डॉक्टर समझ नहीं पाए अचानक क्या हुआ। सदमे में कुछ घंटे बाद मां की भी मौत हो गई। घर में अब भाई-बहन ही बचे हैं।
उम्मीद थी जल्दी ठीक हो जाएगा, जिंदगी नहीं बची
आरोपी सुनील ने एक इंजेक्शन राऊ के एक परिवार को 16 हजार रुपए में बेचा था। शाम काे युवक को इंजेक्शन लगाया गया और सुबह ही उसकी मौत हो गई। इंजेक्शन मिलने से परिवार को उम्मीद थी कि जल्दी ठीक हो जाएगा, लेकिन सुबह कुछ भी बाकी नहीं रहा। मामला खुलने के बाद उन्हें पता चला कि क्या धोखा हुआ है।
सदमा इतना गहरा, रिपोर्ट को तैयार नहीं हो पा रहे
खजराना के एक युवक ने अपने भाई के लिए सुनील से आठ हजार रुपए की दर से छह इंजेक्शन खरीदे थे। इंजेक्शन लगवाने के अगले दिन भाई की मौत हो गई। पुलिस ने जब भाई से संपर्क किया तो वह भड़क गया। कहने लगा-भाई को खो चुका हूं, जब परिवार को इस धोखे का पता चलेगा तो और झटका लगेगा। अभी उन्हें और तनाव नहीं दे सकता।