उज्जैन। देवास के अमलतास अस्पताल में पहले पति की मौत हुई और फिर पांच दिन बाद पत्नी ने भी दम तोड़ दिया। उज्जैन जिले के निवासी पति-पत्नी कोरोना संक्रमित हुए थे और उन्हें देवास में भर्ती कराया गया था। पास के बेड पर पति की जान देखती रही पत्नी भी कोरोना से हार गई। परिवार वालों का कहना है कि दोनों कभी अलग नहीं रहे। मौत भी लगभग एकसाथ ही हुई।
कोरोना महामारी के तांडव के बीच कई लोगों ने अपनों को खोया तो किसी के पूरे परिवार ने दम तोड़ दिया। उज्जैन के हार्नियाखेड़ी के रहने वाले 65 वर्षीय हरिनारायण चौहान और उनकी पत्नी 60 वर्षीय रेशम चौहान की कोरोना से पांच दिन के अंतराल में मौत हो गई। दोनों कई दिनों से कोरोना संक्रमित होने के बाद से ही देवास के अमलतास अस्पताल में भर्ती थे। जहां सांस लेने में दिक्कत के चलते ICU में भर्ती रहे। होनी को कुछ और मंजूर था। पहले 3 मई को हरिनारायण की और उसके पांच दिन बाद 8 मई को रेशमबाई की भी कोरोना से मौत हो गई।
दामाद भोपाल निवासी कैलाश चौहान ने बताया कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह में तबीयत बिगड़ने के बाद हरिनारायण चौहान को एक मई को देवास के अमलतास कोविड सेंटर में भर्ती कराया। दो दिन बाद पत्नी रेशमबाई को भी हरिनारायण के साथ वाले बेड पर भर्ती करा दिया गया। अपने ही पास भर्ती पति हरिनारायण की मौत के बाद शव रातभर पास ही के बेड पर पत्नी देखती रही। पत्नी की भी हालत बिगड़ने लगी। दोनों पति पत्नी शादी के बाद कभी अलग नहीं हुए। मौत भी उन्हें ज्यादा दिन तक अलग नहीं रख सकी। पांच दिन बाद ही पत्नी रेशमबाई की भी मौत हो गई।
अस्पताल में परिवार वाले लाकर दे रहे थे ऑक्सीजन
परिवार वालों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि मरीज को लगने वाली ऑक्सीजन हमसे मंगवाते थे। पिछले सात दिन के लिए घर के ही दो लड़कों को इस काम के लिए लगाया। वह दिन रात सिर्फ ऑक्सीजन सिलेण्डर भरवाने का काम करते रहे। बड़ी मन्नतों के बाद ऑक्सीजन सिलेण्डर की व्यवस्था की और फिर सुबह शाम देवास से उज्जैन और इंदौर के प्लांट पर जाकर ऑक्सीजन भरवाई। इसके बावजूद भी दोनों को बचाया नहीं जा सका।