लालू यादव, भारतीय राजनीति का वो किरदार जो एक छोटे से गांव की झुग्गी-झोपड़ी और पगडंडियों से होकर संसद तक पहुंचा। लगातार दो बार बिहार के मुख्यमंत्री की कमान संभाली। केंद्र में रेल मंत्री भी रहे। बतौर रेल मंत्री दुनियाभर में वाहवाही बटोरी। आलम ये कि IIM और हार्वर्ड तक से उन्हें लेक्चर के लिए बुलावा आया।
गांव और गंवई अंदाज लालू का ब्रह्मास्त्र रहा। इसके बलबूते वे आम जनता के बीच इस कदर लोकप्रिय हुए कि लोग भैंस पर चढ़कर उनके भाषण सुनने आते थे, लेकिन आज वो जीवन में पहली बार वर्चुअल मीटिंग करने जा रहे हैं।
लालू यादव लगातार दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। 1997 में चारा घोटाला में नाम आने के बाद उनको इस्तीफा देना पड़ा था। फोटो: राजीव कांत
लालू की शुरुआती पढ़ाई गोपालगंज से हुई। इसके बाद वे लॉ की पढ़ाई के लिए पटना आ गए। इस दौरान वे राजनीति में दिलचस्पी लेने लगे थे। 1973 में उन्होंने छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की। इसके बाद वे जेपी आंदोलन से जुड़ गए। इसके ठीक चार साल बाद यानी 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की और 29 साल की उम्र में सांसद बने।
तस्वीर तब की है जब मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार लालू अपने गांव फुलवरिया गए थे। फोटो - राजीव कांत
10 मार्च 1990 को लालू पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। पांच साल बाद फिर से उनकी वापसी हुई। 1997 में वे जनता दल से अलग हो गए और राष्ट्रीय जनता दल नाम से खुद की पार्टी बनाई। इसी साल उन पर चारा घोटाला का आरोप लगा और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। राबड़ी देवी को उनकी जगह मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद लालू फिर कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
तस्वीर तब की है जब मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार लालू ने अपना बर्थ डे मनाया था। इस दौरान उनके दोनों बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी भी मौजूद थे। फोटो - राजीव कांत
लालू यादव शुरुआत से ही बहुत लोकप्रिय रहे। उनके भाषण सुनने के लिए लोग भैंस पर बैठकर ग्राउंड में आते थे। फोटो - राजीव कांत
2004 में केंद्र में यूपीए की सरकार बनी। लालू की पार्टी भी यूपीए सरकार में शामिल हुई। लालू को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। 2009 तक वे रेल मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने कई अहम काम किए जिसकी तारीफ भारत के साथ-साथ दुनिया के दूसरे देशों में भी हुई। IIM से लेकर हार्वर्ड तक उनके काम और मैनेजमेंट स्किल्स की चर्चा हुई। रेल मंत्री रहते हुए लालू ने स्टेशनों पर प्लास्टिक के कप की जगह कुल्हड़ों में चाय बेचने का ऑर्डर दिया ताकि ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़े। गरीब रथ लालू की ही देन है। कहा जाता है कि बिना किराया बढ़ाए लालू ने रेलवे को मुनाफा दिलाया था।
तस्वीर 2006 की है, जब लालू यादव IIM अहमदाबाद में लेक्चर देने गए थे। तब उन्होंने रेलवे में अपने काम को लेकर खूब वाहवाही बटोरी थी।
दिल्ली में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ लालू यादव। रेल मंत्री रहते हुए लालू हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने भी जा चुके हैं।
तस्वीर 2006 की है। तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव दिल्ली में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और व्हार्टन बिजनेस स्कूल के छात्रों से मिलते हुए। फोटो-सोनदीप शंकर
चारा घोटाले में नाम आने के बाद 1997 में सक्रिय नेता के रूप में पहली बार वे जेल गए। करीब चार महीने बाद वे रिहा हुए। इसके बाद 28 अक्टूबर 1998 को उन्हें जेल जाना पड़ा। तब उन्हें पटना के बेऊर जेल में रखा गया था। इसके बाद 11 अप्रैल 2000 को पांच दिनों के लिए जेल गए। इसके बाद 2013 में लालू फिर जेल गए, चुनाव लड़ने पर रोक लग गई। हालांकि कुछ दिनों बाद वे रिहा हो गए और बिहार में नीतीश कुमार के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसके बाद दिसंबर 2017 में उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा। करीब चार साल बाद वे पिछले महीने रिहा हुए हैं।
दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास और वर्जिनिया के छात्रों के साथ चर्चा करते हुए लालू यादव। फोटो- मनीष स्वरूप
2007-08 के रेलवे बजट सत्र के दौरान लालू यादव। वे 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहे थे। क्रेडिट - गेटी इमेजेज
जेल से छूटने के बाद लालू यादव एक्शन मोड में आ गए हैं। आज वे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग करने वाले हैं। लालू की यह पहली वर्चुअल मीटिंग होगी। कहा जा रहा है कि लालू इस मीटिंग में पार्टी को मजबूत बनाने और आगे की रणनीतियों को लेकर चर्चा कर सकते हैं। कोरोना को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को किस तरह से घेरा जाए, इसको लेकर वे अपने कार्यकर्ताओं को कुछ मंत्र दे सकते हैं। फिलहाल लालू की तबीयत बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए वे बिहार नहीं जा पा रहे हैं। डॉक्टरों की देखरेख में वे दिल्ली में ही रहेंगे।
लालू यादव ने 2015 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के साथ मिलकर लड़ा था। दोनों को बहुमत भी मिला, लेकिन ढाई साल बाद फिर से अलग हो गए।
तस्वीर 2018 की है जब CBI की स्पेशल कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को तीन साल पांच महीने की जेल की सजा सुनाई थी।