बेटे के लीवर में इंफेक्शन के बाद हेड कांस्टेबल ने ली 6 महीने की छुट्‌टी; कोरोनाकाल में फर्ज के लिए बेटे को पति के भरोसे छोड़ फील्ड में उतर आई

Posted By: Himmat Jaithwar
5/9/2021

इंदौर। मानव सेवा के मौके बहुत कम मिलते हैं और जब मिले हैं तो फिर पीछे नहीं हटना। यह कहना है इंदौर के MIG थाने की हेड कांस्टेबल अनीता शर्मा का। अनीता ने पिछले लॉकडाउन में ड्यूटी और मां का फर्ज साथ-साथ निभाया। 13 साल के बेटे के लीवर में इंफेक्शन होने पर उन्होंने छह महीने का अवकाश तो लिया, लेकिन कोराेना के कहर ने उनके कदमों को घर पर रुकने नहीं दिया।

छुट्‌टी को बीच में ही कैंसिल कर वे बेटे को पिता के भरोसे छोड़कर मानव सेवा के लिए फील्ड पर तैनात हो गईं। उन्होंने न सिर्फ ड्यूटी की बल्कि इस दौरान वे जरूरतमंदों की मदद भी करती रहीं। 

MIG थाने में तैनात हेड कांस्टेबल अनीता शर्मा ने बताया कि पिछले साल कोराेना संक्रमण के पहले उन्हें पता चला कि उनके 13 साल के बेटे रुद्राक्ष शर्मा के लीवर में इंफेक्शन है। इस कारण उन्होंने बेटे की देखभाल के लिए 180 दिन का चाइल्ड लीव ले ली। फरवरी 2020 में वे अवकाश पर चली गईं। उनके अवकाश पर जाने के कुछ दिनों बाद ही कोरोना का कहर बढ़ने लगा। बेटे की देखभाल के बीच आए दिन कोरोना की न्यूज देखकर उनका मन विचलित होने लगा। उनका दिल कहने लगा कि अब उन्हें ऐसे समय में फील्ड में उतरकर अपना फर्ज अदा करना चाहिए। हालात बिगड़ते देख कई बार तो उन्हें रात-रातभर नींद नहीं आती थी।

अनीता अपने साथ काम करने वालों को गर्मी से बचाने के लिए आम का पना पिलाना नहीं भूलती हैं।
अनीता अपने साथ काम करने वालों को गर्मी से बचाने के लिए आम का पना पिलाना नहीं भूलती हैं।

अनीता ने बताया कि अभी एक, सवा महीने ही उन्हें हुआ था और वे अचानक एक दिन थाने पर पहुंचीं और थाना प्रभारी डीबीएस नागर से मिलीं। उन्होंने कहा कि सर मैं ड्यूटी जॉइन कर इन हालातों में मानव सेवा करना चाहती हूं। यह सुन TI थोड़ा चौंके, क्योंकि उन्हें पता था कि शर्मा के बेटे की तबीयत ज्यादा खराब है। इस पर उन्होंने शर्मा को समझाया कि अभी आपकी जरूरत आपके बेटे को ज्यादा है। उसकी तबीयत ऐसी नहीं है कि आप उसे छोड़कर फील्ड में काम कर पाओ। उनकी समझाइश के बाद अनीता शर्मा घर तो लौट आईं, लेकिन मन विचलित ही रहा।

जैसे-तैसे उन्होंने 180 में से 73 दिन अवकाश के रूप में काटे। बेटे की तबीयत थोड़ी ठीक हुई तो उसे पिता के भरोसे छोड़कर वे फिर से थाने पहुंची और ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए थाना प्रभारी से कहा। उनके जज्बे को देखकर TI ने इस बार उन्हें ड्यूटी करने की इजाजत दे दी। ड्यूटी करते हुए हेड कांस्टेबल ने बेटे की देखभाल में भी कसर नहीं छोड़ी। सुबह ड्यूटी पर निकलने से पहले उसके खाने-पीने से लेकर अन्य सभी जरूरतों को जुटाती थीं। दवाई के समय भी घर पर कॉल करतीं और पूछतीं की बेटे को दवा दे दी क्या।

शर्मा पिछले साल से ड्यूटी पर जो तैनात हुईं, उसके बाद उन्होंने पूरा लॉकडाउन निकाला। फिर अनलॉक हुआ। फिर मार्च में कोराेना ने विकराल रूप लिया तो कोरोना कर्फ्यू , अब जनता कर्फ्यू वे लगातार ड्यूटी करती चली आ रही हैं।

अनीता सुबह उठकर सबसे पहले कैरी का पना तैयार करती हैं।
अनीता सुबह उठकर सबसे पहले कैरी का पना तैयार करती हैं।

झाबुआ के रहने वाले बुजुर्ग को रोता देख आंखें भर आईं
शर्मा ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लगा तो सबकुछ सूना हो गया। चारों ओर सन्नाटा था, न कोई आता दिखता था न कोई शोर। ऐसे में हम जहां ड्यूटी करते थे, पास में ही एक बुजुर्ग रह रहे थे। वे झाबुआ के रहने वाले थे। यहां मजदूरी करने आए थे। लॉकडाउन के कारण सब बंद हुआ, तो उनके खाने की समस्या खड़ी हो गई। इसके बाद हम उन्हें दोनों टाइम का खाना देने लगे। जैसे-तैसे उन्होंने कुछ दिन तो काट लिए, लेकिन एक दिन वे जोर-जोर से रोने लगे। हमने कारण पूछा, तो बाेले- मुझे घर जाना है।

हमने कहा कि दादा कोई साधन नहीं है। आप तो आराम से रहो, हम आपके खाने की व्यवस्था कर ही रहे हैं, पर वे बस एक ही बात कहते रहे, कैसे भी घर भेज दो। उनकी बातें सुन हमारी आंखें भर आईं। इसके बाद हम उन्हें घर भेजने की जुगत में लग गए। उनके बेटे से बात की, लेकिन उसने कहा कि लॉकडाउन में कैसे आऊं मैडम। इस पर एक दिन पता चला कि एक वाहन झाबुआ की ओर जा रहा है। इस पर हमने उससे संपर्क किया। कहा कि तुम हमसे किराया ले लो, लेकिन बुजुर्ग को उनके घर तक छोड़ दो। इसके बाद हमने उन्हें उनके घर रवाना किया।

अब तो पुलिसकर्मी रोज ऑटो के आने का इंतजार करते हैं।
अब तो पुलिसकर्मी रोज ऑटो के आने का इंतजार करते हैं।

80 से 100 लीटर रोज सुबह बनाती हैं पना
शर्मा ने बताया, मेरे जैसे ही कई लोग फील्ड में उतरकर सेवा में लगे हैं। गर्मी और धूप से निजात पाने के लिए इस समय कैरी का पना जरूरी है। ऐसे में मैं सुबह उठती हूं। सबसे पहले 80 से 100 लीटर कैरी का पना तैयार करती हूं। ड्यूटी पर निकलने के साथ ही उस पने को जार में भरकर ऑटो में रखवाती हूं। इसके बाद हमारे पुलिसकर्मी साथी, मेडिकल टीम, निगमकर्मी सहित अन्य जो भी आता है, उसे पना बांटती हूं। यह अब मेरे रुटीन में आ गया है।



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