ग्वालियर के भितरवार सर्कल का ईटमा गांव, जहां 3 दिन पहले तक उनके लिए कोरोना मजाक था। वे इसे शहर की बीमारी बता रहे थे। मास्क नहीं लगाते थे और सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर शादियों में सैकड़ों की भीड़ जुटाते थे। अब यह गांव हॉट स्पॉट बना हुआ है। यहां सिर्फ एक दिन की सैंपलिंग में 80 से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं।
ताबड़तोड़ संक्रमित मिलने से गांव में दहशत का माहौल है। कोरोना के डर से लोगों ने घर से निकलना बंद कर दिया है। घर-घर में सर्दी, खांसी-जुकाम के मरीज हैं। सिर्फ 3 दिन में गांव के लोग मास्क पहनना और घर में भी सोशल डिस्टेंस का पालन करना सीख गए हैं।
इतना ही नहीं, गांव के जिस हैंडपंप पर सुबह-शाम पानी भरने के लिए महिलाओं, बच्चों की भीड़ लगती थी, वह अब सूना पड़ा है, क्योंकि उसके पास ही संक्रमित मिले हैं। गांव के रास्तों को प्रशासन ने सील कर दिया है। 24 घंटे पुलिस का पहरा है। गांव में बाहर के लोगों का आना-जाना पूरी तरह बंद है।
शादियां बन गईं सुपर स्प्रेडर
शहर में इस समय भितरवार का ईटमा गांव चर्चाओं में है। शहर से गांव की दूरी करीब 50 किलोमीटर है। इसकी आबादी करीब 3500 से 4 हजार है। 2700 वोटर्स हैं। यहां 10 दिन पहले तक शादियां हो रही थीं। लोग बेधड़क उसमें शामिल हो रहे थे। नतीजा, कोविड संक्रमण ने गांव में पांव जमा लिए। शादियां और उसमें नाचते गाते लोग कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन गए।
तेजी से सर्दी, खांसी, जुकाम फैला। एक भी घर ऐसा नहीं बचा है, जहां यह सर्दी, खांसी नहीं पहुंची हो। अब जब संक्रमित निकलना शुरू हुए, तो रुकने का नाम नहीं ले रहे। तीन दिन पहले सैंपलिंग हुई थी, उसमें 73 संक्रमित मिले थे। इसके बाद अभी तक 80 से ऊपर संक्रमित मिल चुके हैं। यह तो तब है, जब एक दिन ही सैंपलिंग हुई है।
ईटमा गांव की सीमाएं सील कर दी गई हैं।
पुलिस का पहरा, गलियां सुनसान
गांव में कोरोना की इतनी दहशत है कि सुबह से लेकर शाम तक गांव की सड़कें, गलियां सुनसान रहती हैं। शाम को जरूर चौपाल पर कुछ बुजुर्ग एकत्रित होते हैं, लेकिन यह भी मास्क और सोशल डिस्टेंस का पूरा पालन करते नजर आते हैं।
गांव के रास्ते पर तैनात पुलिस जवान पहरा दे रहे हैं
रास्ते सील, पुलिस के हटते ही लापरवाही शुरू
एक साथ इतने संक्रमित आने के बाद प्रशासन ने गांव का आसपास के गांव से संपर्क काट दिया। गांव के दोनों ओर रास्तों को बंद कर पुलिस का पहरा बैठा दिया है। जब तक पुलिस जवान मौजूद रहते हैं। गांव के लोग गांव से बाहर नहीं निकलते, लेकिन पुलिस जवान जरा भी इधर-उधर हुए, तो सील रास्तों को खोलकर गाड़ियां निकलना शुरू हो जाता है।
सिर्फ पानी भरने निकल रहे लोग
गांव में वैसे तो दहशत का माहौल है, क्योंकि यहां अफसर भी चेतावनी दे चुके हैं। हर घर में खांसी-जुकाम के मरीज हैं, इसलिए लोग घरों से नहीं निकल रहे। पानी के लिए लोगों को बाहर निकलना पड़ता है। गांव के लोग अपने-अपने खेतों पर ट्यूबवेल से पानी लाने पर विवश हैं।
अधिकारी भी आए चपेट में
गांव में वायरस का प्रकोप इतना तेज है कि तीन दिन पहले यहां समझाइश देने और गांव के लोगों की सैंपलिंग कराने पहुंचे चीनोर के तहसीलदार, चार पटवारी समेत एक दर्जन अधिकारी-कर्मचारी की टीम भी कोविड की चपेट में आ गई। एक बार कलेक्टर भी गांव हो आए हैं, लेकिन गांव के बाहर से ही दिशा-निर्देश देकर वह लौट आए थे।
गांव की सूनी गलियां बता रही हैं कि यहां कोरोना की दहशत का क्या आलम है।