भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमितों की जान बचाने की उम्मीद वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी नहीं रुक रही है। भोपाल में इंजेक्शन बेचने की फिराक में घूम रहे मेडिकल स्टोर संचालक समेत दो लोगों को गांधी नगर पुलिस ने गुरुवार रात करीब ढाई बजे गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से दो इंजेक्शन भी मौके से बरामद हुए।
पकड़े गए आरोपियों ने 19 हजार रुपए में इंजेक्शन खरीदी थे। वे इसे 27 हजार रुपए में बेचने जा रहे थे। पुलिस अब आरोपियों को इंजेक्शन बेचने वाले की तलाश कर रही है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, ड्रग अधिनियम समेत महामारी अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया है।
टीआई गांधी नगर अरुण शर्मा के अनुसार रात ढाई इलाके में दो युवकों के इंजेक्शन की कालाबाजारी किए जाने की सूचना मिली थी। ड्यूटी पर तैनात एसआई समेत तीन लोगों की टीम को आरोपियों की तलाश में लगाया गया। रात तीन बजे गांधी नगर तिराहे पर दो युवक बाइक पर जाते मिले।
टीम ने घेराबंदी कर दोनों को पकड़ लिया। तलाशी लेने पर उनके पास से दो इंजेक्शन बरामद हुए। पूछताछ में आरोपियों ने अपना नाम छोला मंदिर निवासी सर्जन सिंह राजपूत चौपड़ा कला और सूखीसेवनिया निवासी गौरव लोधी बताया।
सर्जन मेडिकल संचालक है और गौरव साथ में काम करता है। पूछताछ पर दोनों ने बताया कि उन्होंने यह इंजेक्शन रेमडेसिविर है। वे इसे बेचने के लिए निकले थे। उन्होंने इसे 19 हजार रुपए में एक व्यक्ति से खरीदा था। इसे वह 27 हजार रुपए में बेचना चाह रहे थे।
पुलिस को आंशका बड़ी कालाबाजारी की
टीआई अरुण शर्मा ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक कर पैसा कमाने की योजना बनाई थी। इसके लिए गौरव ने इंजेक्शन का इंतजाम कर लिया। इसकी खीरीदी की रकम सर्जन ने दी थी। इस पूरे खेल में दोनों को इंजेक्शन बेचने वाला मुख्य कड़ी है। उसके पड़े जाने पर इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हो पाएगा। आरोपियों के बताए अनुसार उनकी तलाश की जा रही है।
कुछ नहीं बता रहे
टीआई शर्मा ने बताया कि आरोपी शातिर हैं। वह पुलिस को ज्यादा जानकारी नहीं दे रहे हैं। अब तक की पूछताछ में उन्होंने यह भी नहीं बताया कि वे इसे किसे बेचने जा रहे थे। दूसरी तरफ उन तक यह इंजेक्शन पहुंचाने वाले के बारे में भी कुछ नहीं बता रहे हैं। पुलिस आरोपियों के फोन रिकॉर्ड निकाल रही है, ताकि सभी जानकारी मिल सके।
इसलिए गंभीर मामला
रेडेमिसियर इंजेक्शन पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में है। यह खुले मॉर्केट में बेचने के लिए नहीं है। इसे सरकार के निर्देश पर सीधे अस्पतालों को उनकी जरूरत के अनुसार पहुंचाया जा रहा है। ऐसे में इस तरह इंजेक्शन का खुले मॉर्केट में होना पुलिस और प्रशासन के लिए चिंता का विषय है।
जेके अस्पताल का स्टाफ भी धराया था
इससे पहले भोपाल के जेके अस्पताल की नर्स और उसके प्रेमी को भी रेमडेसेविर की कालाबाजारी के मामले में आरोपी बनाया गया था।