मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी की रफ्तार भले ही स्थिर है, लेकिन मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में कोरोना से अब तक 6,160 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें से 2,146 मौतें 1 अप्रैल से 5 मई के बीच में हुई। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मांग की है कि कोरोना से मरने वालों के अधिकांश आश्रितों के सामने आर्थिक संकट है। ऐसे में सरकार कोरोना को प्राकृतिक आपदा घोषित करे और मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दे।
कमलनाथ ने कहा है कि मध्य प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं एंव अन्य दुर्घटनाओं से जनहानि होने पर राजस्व पुस्तक परिपत्र 6(4) के अंतर्गत मृतक के आश्रितों को 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। वर्तमान हालातों को देखते हुए इस परिपत्र में संशोधन कर कोरोना को प्राकृतिक आपदा घोषित किया जाए।
बता दें कि सरकारी कर्मचारियों के लिए मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा योजना चल रही है। जिसमें कोरोना से मौत के बाद उनके आश्रितों को 50 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। सरकार ने हाल ही में मंडी कर्मचारी की यदि कोरोना से मौत होती है तो उसके परिजनों को 25 लाख रुपए की सहायता निधि देने का निर्णय लिया है। यह फैसला हाल ही में मंडी कर्मचारियों की कोरोना से हुई मौत के बाद लिया गया है। लेकिन उपार्जन के दौरान किसान कोरोना से संक्रमित होता है और उसकी मौत हो जाती है तो उसे कोई आर्थिक सहायता का प्रावधान नहीं किया गया है।
दिग्गी बोले- 20% से अधिक पॉजिटिविटी रेट चिंताजनक
पूर्व मुख्यमंत्री िदग्विजय सिंह ने शिवराज को पत्र लिखा है। जिसमें कहा है कि मध्यप्रदेश में कोविड महामारी के अनियंत्रित होने और संक्रमण दर लगातार 20% से अधिक बने रहना चिंता का विषय है। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में प्रतिदिन 12 हजार से अधिक नए संक्रमित मिल रहे है। जबकि वास्तव में इनकी संख्या कई गुना अधिक है। उन्होंने क्योंकि पर्याप्त संख्या में टेस्टिंग नही होने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण के बढ़ने से वास्तविक स्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल है। दिग्विजय ने ग्रामीण क्षेत्रों मंे कोरोना के नियंत्रण के लिए शिवराज को कई सुझाव दिए हैं।