सतना। मैहर से भाजपा के विधायक नारायण त्रिपाठी ने कोरोना काल में फिर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्ठी लिखी है। इस बार अंदाजे बयां कुछ और हैं। वे कह रहे हैं कि मेरी चिट्ठी, मांग या सुझाव को हमेशा बगावत ही क्यों समझ लिया जाता है। मैं तो अपनी बात रखता हूं। इसके तुरंत नीचे वे राम चरित मानस का एक दोहा लिख देते हैं- सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस। राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास।। दोहे के जरिए गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि मंत्री, वैद्य और गुरु ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर ) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः ) राज्य,शरीर एवं धर्म इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है। बता दें कि रामचरित मानस के सुन्दरकाण्ड अध्याय की दोहा 37 में यह जिक्र है। यह रावण, विभीषण संवाद से जुड़ा है। मतलब अगर मंत्री और सरकार, राज्य की प्रजा को नहीं देखेगा तो राज्य का नाश हो जाएगा। वहीं वैद्य का काम है शरीर को स्वस्थ्य रखना और गुरु का काम है धर्म की रक्षा करना। अगर ये तीनों अपने कार्य से विमुख हुए तो सबका नाश होना तय है। इस चिट्ठी ने फिर से त्रिपाठी की नाराजगी को उजागर कर दिया है।
क्या लिखा पत्र में
विधायक ने 3 मई के पत्र में लिखा है कि वर्तमान समय में कोरोना महामारी का इलाज निजी अस्पतालों में महंगा है। ऐसे में लोग मजबूरन घर में या आसपास के अस्पतालों में ही रहकर आत्महत्या करने को मजबूर है। वे जान रहे है कि महंगे इलाज के आभाव में हमारी मृत्यू हो जाएगी। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बेड खाली नहीं है। रोज हम लोग अपनों को खो रहे है। सक्षम लोग निजी अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे है। क्योंकि उनका बिल लाखों रुपए में होता है। शासन द्वारा निर्धारित दरों का कोविड के इलाज में कहीं पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में निजी अस्पताल निर्धारित राशि से पांच से छह गुना ज्यादा पैसे वसूल रहे है। फिर भी कोई रोक टोंक करने वाला नही है। आपदा के समय पर हर घर से कोई न कोई बीमार है। कई घरों में तो पूरा परिवार बीमार है। ऐसे में इलाज कराया सामान्य परिवार के लिए कतई लाभ कारी नहीं हो सकता है।
गरीब मर रहे अस्पतालों में
भाजपा विधायक यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा है कि अक्षम और गरीब लोग घर व सरकारी अस्पतालों में मर रहे है। जबकि आम संवेदनशील मुख्यमंत्री है, प्रदेशवासियों के प्राण की रक्षा करना आपकी जिम्मेदारी है। इसलिए निवेदन है कि कोविड मरीज अस्पतालों में भयंकर लूट का शिकार हो रहे है। कई मरीजों से तो इलाज के नाम पर पांच लाख से 10 लाख तक वसूली हो चुकी है। इससे बचने का सही तरीका यह होगा कि निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों का बिल भुगतान सरकार करें। जिससे गरीब और कमजोर वर्ग को महामारी में राहत मिलेगी। साथ ही अस्पताल में मची लूट पर लगाम लग जाएगी। साथ ही आप कोरोना मरीजों के हित में यह निर्णय अवश्य लेंगे कि इस महामारी के दौर में सबका इलाज नि:शुल्क होगा। वहीं निजी एंबुलेंस के मनमाने किराये पर रोक लगाई जाए।
पहले भी सरकार के खिलाफ कर चुके है बगावत
गौरतलब है कि अक्सर नारायण त्रिपाठी सुर्खियों में रहते है। 3 मई के पहले भी वे शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कोरोना के बिगड़े हालातों की याद दिलाई थी। उन्होंने कहा था कि वर्चुअल मीटिंग के तमाशे से कुछ नहीं होने वाला है। प्रदेश के अस्पतालों के हाल-बेहाल हैं और लगभग हर जगह स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई हैं। मरीजों को अस्पताल में इलाज नहीं मिल पा रहा हैं। दवाइयां नहीं हैं, वेटिंलेटर और ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हैं। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द अस्पतालों में व्यवस्थाएं दुरुस्त करनी चाहिए जिससे कि लोगों को सही इलाज मिल सके। वहीं कोरोना के पहले नारायण त्रिपाठी विंध्य प्रदेश की मांग करते हुए आंदोलन की मुहित छेड़ रखी थी। जिससे आए दिन वे सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते थे। हालांकि प्रदेश संगठन उनसे थोड़ा नाराज जरूर था। लेकिन नारायण त्रिपाठी को कोई फर्क नहीं पड़ा।