भोपाल: मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी थी. अब थोड़ी राहत की ख़बर सामने आई है. संक्रमण की रफ्तार में कमी आना शुरू हो गई है. ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. 5 दिन में रिकवरी रेट 2% बढ़ गया है. प्रदेश के चारों बड़े शहरों की स्थिति में भी सुधार है. यहां मरीज़ तेजी से रिकवर हो रहे हैं. ठीक होने वालों का आंकड़ा भी नए संक्रमितों से ज़्यादा है. प्रदेश में 28 अप्रैल को रिकवरी रेट 82% से थोड़ा कम था जबकि संक्रमण दर 21% से ज्यादा थी. 2 मई को रिकवरी रेट 84% पर पहुंचा गया.
ताज़ा आँकड़े
इंदौर
इंदौर के आंकड़ों की बात की जाए तो 5 दिन बाद आंकड़ा 18,00 से नीचे आया है. इंदौर के लिए लगातार राहत की ख़बर आ रही है. अब तक यहां रोजाना 18,00 से ज्यादा मरीज आ रहे थे लेकिन 24 घंटे में यह संख्या घटकर 1,787 हो गई. एक दिन पहले 1,821 नए मरीजों की पहचान हुई थी. संक्रमण दर भी 1% घटकर 17% हो गई है. 2,161 मरीज ठीक भी हुए हैं.
भोपाल
भोपाल में सबसे ज्यादा 12 मौतें हुई. 3 दिन में संक्रमण दर 1% बढ़ी है. राजधानी में 24 घंटे में सबसे ज्यादा 12 मौतें हुई हैं. यहां 6,700 सैंपल की जांच में 1,669 संक्रमित मिले हैं जबकि 1,939 मरीज ठीक हो गए. यहां संक्रमण दर में मामूली बढ़ोतरी हुई है. यह 25% हो गई है. तीन दिन पहले यह 24% पर आ गई थी.
ग्वालियर
ग्वालियर में संक्रमण दर 29% है. ठीक होने वाले ज्यादा यहां तीन दिन से सैंपल की जांच में कमी की वजह से संक्रमितों की संख्या में लगातार कमी आ रही है लेकिन संक्रमण दर में अंतर नहीं आ रहा है. यह 29% पर है. 24 घंटे में 3,172 लोगों की रिपोर्ट आई. इनमें से 910 नए संक्रमित मिले. शहर में इलाज करा रहे मरीज 8,757 से घटकर 8,682 हो गए हैं.
जबलपुर
जबलपुर में सरकारी रिकॉर्ड में 8 मौतें हुई हैं जबकि 47 अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल से हुए है. ज़िले में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 39 हजार के पार हो जाएगी. यहां अब तक 38,480 मरीज इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं. बीते कुछ दिनों से यहां रोजाना 7,00 से अधिक नए मरीज मिल रहे थे.24 घंटे में 739 नए संक्रमित मिले हैं. शहर में अभी 5,832 मरीजों का इलाज चल रहा है.
वहीं इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संकट को लेकर केंद्र से विचार करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा विचार के लिए कहा है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा
केंद्र और राज्य कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार करें.
अदालत कमजोर तबके पर पड़ने वाले लॉकडाउन के सामाजिक-आर्थिक नतीजों का ध्यान रखें.
अस्पताल लोकल आईडी प्रूफ के नाम पर मरीज को भर्ती करने या जरूरी दवाएं देने से इनकार न करें.
केंद्र अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने के मुद्दे पर दो हफ्ते में नेशनल पॉलिसी बनाए. इस पॉलिसी को सभी राज्यों को मानना अनिवार्य होगा.