भिंड। 76 साल की उम्र। फेफड़े के 60% हिस्से में संक्रमण। सांस लेने में तकलीफ। लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर भी उन्होंने कोरोना से से हार नहीं मानी। उन्होंने कोरोना के डर को काबू किया और हरा कर अब अपने परिवार वालों के साथ हैं। कोराेना से यह जंग जीतने वाले भिंड शहर के हाउसिंग कॉलोनी में सेवानिवृत्त शिक्षक राजेंद्र जैन हैं।
राजेंद्र जैन खांसी, बुखार से पीड़ित हो गए। इस उम्र में खांसी बुखार से पीड़ित हुए तो उन्होंने काेविड टेस्ट कराया, रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मेडिकल जांच में लंग्स में 60 फीसदी इंफेक्शन हो चुका था। इसके बाद उन्होंने दिमाग में कोविड का डर को हावी नहीं होने दिया। 15 दिन के उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ होकर घर वापस आए।
कोविड बीमारी को लेकर राजेंद्र का कहना है कि इस उम्र तक आते-आते जीवन में कई बार सर्दी, बुखार और जुकाम से पीड़ित हुए। यह बीमारी भी उसी तरह से थी। सांसें लेने में तकलीफ हुई तो ऑक्सीजन के माध्यम से समस्या दूर हो गई थी। आठ से दस दिन तक ऑक्सीजन पर रहे। लेकिन कभी कोविड का डर स्वयं पर हावी नहीं होने दिया।
वे बताते हैं कि खाना खाने की इच्छा खत्म हो चुकी थी। इसलिए सादा पानी की जगह नारियल पानी का उपयोग ज्यादा किया। हॉस्पिटल में दालों का सेवन किया। अब स्वस्थ होकर सामान्य दिनचर्या अपना रहा है। खाने पीने में सादा भोजन ले रहा हूं।
पिता की तबियत बिगड़ी तो डॉक्टर बेटा ने ली छुट्टी
राजेंद्र जैन के दो बेटे और एक बेटी है। एक बेटा हैदराबाद में इंजीनियर है। तो दूसरा बेटा विदिशा में सरकारी चिकित्सक आलोक जैन है। डॉक्टर आलोक, लंबे समय से अवकाश पर घर नहीं आए थे। पिता के अस्वस्थ होने की जानकारी लगी तो वे इमरजेंसी लीव पर आए। पिता की देखभाल में परिवार का सहयोग किया। डॉक्टर आलोक जैन का कहना है कि पिता की हिम्मत नहीं टूटने दी। इस उम्र में लंग्स में 60 फीसदी खराब हो चुके थे। रिकवरी करने में समय लगता है। इसके लिए इलाज के साथ स्वयं के आत्मबल भी बहुत जरूरी हाेता है। तभी बीमारी से जीता जा सकता है।