मध्य प्रदेश के 'लव जिहाद' कानून को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती, इस संस्था ने दाखिल की याचिका

Posted By: Himmat Jaithwar
5/1/2021

भोपालः मध्य प्रदेश के धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020, जिसे लव जिहाद कानून के रूप में जाना जाता है, उसे जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. यह चुनौती मानवाधिकार संगठन नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्युमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन (NCHRO) ने दी है. संगठन की तरफ से कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस कानून को खारिज करने की मांग की गई है. 

संगठन की प्रदेश सचिव अधिवक्ता शिल्पी रंगारी ने एक बयान जारी कर बताया है कि संगठन की प्रदेश अध्यक्ष आराधना भार्गव ने यह याचिका दाखिल की है. याचिका में कानून को देश के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए कथित लव जिहाद कानून को खारिज करने की मांग की गई है. 

शिल्पी रंगानी ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लाया गया कानून संविधान के अध्याय 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है. याचिका में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 25 देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छा के अनुसार, किसी भी धर्म को अपनाने, उसका पालन करने और उसके प्रचार प्रसार का अधिकार देता है, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 नागरिकों के इस अधिकार का हनन करता है. 

शिवराज सरकार ने बनाया था कानून
बता दें कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने बीते साल प्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2020 लागू किया था. इस कानून के तहत दोषी पाए गए लोगों को 10 साल तक की कैद और एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. इस कानून में एमपी में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन शून्य घोषित होगा और धर्म परिवर्तन करके किया गया विवाह भी शून्य माना जाएगा. लेकिन इस शादी से पैदा हुई संतान वैध मानी जाएगी और उसे अपने पिता की संपत्ति में अधिकार भी प्राप्त होगा.  



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