कोरोना से अब तक स्वस्थ हुए 80 हजार; प्लाज्मा दिया सिर्फ 2 हजार ने

Posted By: Himmat Jaithwar
4/30/2021

इंदौर। कोरोना संक्रमण के बीच एक बार फिर प्लाज्मा की मांग बढ़ने लगी है। प्लाज्मा के लिए अप्रैल महीने में ही अब तक 10 हजार से अधिक कॉल्स ब्लड बैंक में आ चुके हैं, लेकिन डोनेशन अपेक्षित संख्या में नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि अब तक शहर में कोरोना से 80 हजार से ज्यादा लोग स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन सिर्फ दो हजार लोगों ने ही प्लाज्मा डोनेट किया है। इसको देखते हुए शहर में विभिन्न विभागों के सहयोग से प्लाज्मा डोनेशन के लिए नई मुहिम शुरू की जा रही है, ताकि कोरोना पीड़ितों के इलाज में राहत मिल सके। हालांकि एमवायएच में बीते कई दिनों से प्लाज्मा डोनेशन नहीं हो रहा है। इक्का-दुक्का प्लाज्मा दिए जा रहे हैं। ब्लड कॉल सेंटर से जरूर अब तक 350 यूनिट प्लाज्मा डोनेशन करवा चुका है।

डोनेशन करने वालों के घर जाकर होगा एंटीबॉडी टेस्ट
प्लाज्मा डोनेशन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की जा रही मुहिम के तहत डोनेशन के इच्छुक लोगों के घर जाकर टीम उनका एंटीबॉडी टेस्ट करेगी, ताकि उन्हें बार-बार अस्पताल नहीं आना पड़ेगा। नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि डोनर को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा। प्लाज्मा डोनेशन के लिए भी ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा। डीन डॉ. संजय दीक्षित के अनुसार, हमारे पास ठीक हो चुके मरीजों का डेटा उपलब्ध है। श्रीगोपाल जगताप एवं उनकी टीम उन लोगों से संपर्क कर उन्हें प्लाज्मा डोनेशन के लिए प्रेरित करेगी।

प्लाज्मा डोनेशन में 4 बड़ी चुनौतियां

  1. 18 से 20 हजार रु. तक ले रहे अस्पताल- प्लाज्मा डोनेशन के लिए अस्पताल 18 से 20 हजार रुपए तक शुल्क वसूल रहे हैं। जबकि डोनेशन के लिए किट 7-8 हजार रुपए की ही आती है। एमवायएच के ब्लड बैंक में इसके लिए 9 हजार रुपए ही लिए जा रहे हैं।
  2. टीका लगा है तो रुकना पड़ेगा- भारत सरकार की सामान्य गाइडलाइन के तहत यदि किसी व्यक्ति ने कोई टीका लगाया हो तो वह कम से कम 28 दिन तक ब्लड-डोनेशन नहीं कर सकता है। यही बात प्लाज्मा-डोनेशन पर भी लागू होती है इसलिए प्लाज्मा डोनर्स ढूंढने में काफी दिक्कत आ रही है।
  3. डोनेशन का सिस्टम नहीं- फिलहाल प्लाज्मा डोनेशन के लिए कोई सिस्टम नहीं है। जिन लोगों को डॉक्टर सजेस्ट करते हैं, उन्हीं के परिजन डोनर ढूंढकर अस्पताल लाते हैं और डोनेशन कराते हैं जबकि पिछली लहर में करीब 1 हजार प्लाज्मा का बैकअप इंदौर में बन गया था। लोगाें को काफी राहत मिली।
  4. संक्रमण का डर ज्यादा- अस्पताल जाने से लोग आमतौर पर कतरा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं वहां जाकर वे फिर संक्रमण के शिकार न हो जाएं। अन्य अस्पतालों को कोविड बनाने से वहां भी दिक्कत आ रही है। एमवाय में ऊपर की मंजिल पर संकरे से गलियारे के बाद ब्लड बैंक आती है।

कौन दे सकता है प्लाज्मा

  • 18 से 60 साल के लोग, वजन 50 किग्रा से ज्यादा हो।
  • कोविड संक्रमण मुक्त होने के 14 दिन बाद।
  • एंटीबॉडी टायटर 1.64 से ज्यादा या न्यूट्रलाइज्ड एंटीबॉडी 1.80।

सामान्य मरीजों में 80 फीसदी तक कारगर
​​​​​​​चेस्ट फिजिशियन डॉ. रवि डोसी के अनुसार, प्लाज्मा थैरेपी चुनिंदा केस में ही दी जाना चाहिए। माइल्ड तीव्रता वाले मरीजों को इसका फायदा मिलता है। इनमें इसका सक्सेस रेट 70 से 80 फीसदी है। वेंटिलेटर या बायपेप मशीन वाले गंभीर मरीजों में 30 फीसदी तक ही इसका असर देखा गया है। इसके अलावा जिनमें एंटीबॉडी का लेवल 12 से ज्यादा हो तो यह फायदेमंद है। अब तो परिजन खुद मांग कर रहे हैं कि आप हमारे मरीज को प्लाज्मा लगा दो।

टायटर टेस्ट से आसान हुई डोनर की पहचान
​​​​​​​पिछले साल मरीजों को बचाने के लिए प्लाज्मा थैरेपी के ट्रायल शुरू हुए थे, उस समय तक एंटीबॉडी का लेवल पता करने की सटीक प्रणाली नहीं थी। हालांकि अभी भी इसमें काफी गुंजाइश है, लेकिन अब एंटीबॉडी टायटर से पता लगाया जा सकता है कि संबंधित व्यक्ति डोनेशन कर सकता है या नहीं। ब्लड कॉल सेंटर के अशोक नायक बताते हैं कि टीकाकृत नहीं होने की शर्त के कारण दिक्कत आ रही है। एमवाय ब्लड बैंक के डायरेक्टर डॉ. अशोक यादव कहते हैं कि हमने नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल से मार्गदर्शन मांगा है कि आगे क्या रणनीति अपनाई जाए।

डॉ. पवन शर्मा कमिश्नर, इंदौर- 100 में से 30 भी तैयार हो गए तो बहुत मदद मिल जाएगी​​​​​​​

लोग अस्पताल आने को ही तैयार नहीं, डोनेशन कैसे होगा?​​​​​​​यह समस्या देखने में आ रही है। इसी के मद्देनजर इस बार डोनर के घर जाकर एंटीबॉडी टेस्ट किया जाएगा और डोनेशन भी सुरक्षित जगह कराएंगे।कोविड संक्रमण मुक्त होने के 14 दिन बाद।18 से 60 साल के लोग, वजन 50 किग्रा से ज्यादा हो।

नियमों में कई पेचीदगियां हैं, उनका क्या करेंगे?
सरकार की गाइड लाइन सेहत की स्थिति को देखते हुए ही बनाई गई है। हमारे पास 80 हजार लोगों का डाटा है। उनमें से हम सही लोगों को चुनकर, उनसे संपर्क करेंगे और उन्हें प्लाज्मा डोनेशन के लिए प्रेरित करेंगे।

डॉक्टर्स का कहना है कई टेस्ट के बाद मुकर जाते हैं?
​​​​​​​इसमें भी कोई परेशानी नहीं है। यदि 100 लोगों का एंटीबॉडी टेस्ट होता है और उसमें से 30 भी डोनेशन के लिए तैयार हो जाते हैं तो यह भी बहुत होगा।

संसाधन की कमी से तो दिक्कत नहीं होगी?
एमवायएच की ब्लड बैंक में हमारे पास तीन मशीन है। महू में भी संसाधन है। शिविर लगाकर प्लाज्मा डोनेशन कराया जा सकता है। जरूरत के मुताबिक सारे संसाधन और स्टाफ हमारे पास उपलब्ध है।



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