रतलाम: रमज़ान माह, मुस्लिम समाज के लिए बहुत पाक होता है रमज़ान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है. इस महीने में मुस्लमान अल्लाह की इबादत पूरे दिल से करता है. लेकिन कोरोनकाल ने सभी त्योहारों की रौनक फीकी कर दी है. लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है. हालांकि मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग भी मानते है कि अभी सबसे ज़्यादा जरूरी घरों में रहकर खुद को परिवार को सुरक्षित रखना है यही वजह है कि इस बार रमज़ान का पाक महीना में भी घरों में रहकर ही इबादत की जा रही है . इस बार भी बाज़ारों में रौनक नहीं हैं. मस्जिदें सुनी है.
माह-ए- रमज़ान को जाने
माह-ए-रमज़ान इस्लामिक कैलेंडर का मुकद्दस महीना कहा जाता है. इस महीने में मुसलमान सुबह सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक रोजा रखते हैं. इस्लाम में मान्यता है की रमज़ान में रहमत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर शैतानों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है. रमज़ान के महीने में की जाने वाली इबादतों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है. एक महीने तक रोजे रखने के बाद ईद की खुशियां मनाई जाती हैं.
लेकिन पिछले वर्ष भी रमज़ान में लोगो को घरों से इबादत करना पड़ी थी और इस साल तो कोरोना की दूसरी लहार ने कोहराम मचा दिया है लॉकडाउन के कारण इस वर्ष भी मुस्लिम समाज अपने अपने घरों से रमज़ान में इबादत कर रहे है.
विश्व प्रसिद्ध हुसैन टेकरी हुई सूनी, 12 माह रहती थी रौनक
रतलाम के जावरा में प्राचीन देश मे विख्यात मुस्लिम धर्म स्थल हुसैन टेकरी भी इस कोरोना काल मे सुनसान है यहां 12 माह लोगों का आना जाना लगा रहता था .बीमार लोग यहां कई दिनों तक रहकर अल्लाह की इबादत करते और ठीक होकर जाते थे लेकिन इन दिनों यहां कोई नज़र नही आ रहा.
रतलाम में लॉकडाउन के कारण सामूहिक नमाज़ प्रतिबंधित है ऐसे में मस्ज़िदे सुनी पड़ी है यहां ताले लगे है. लोग घरों में रहकर खुदा की इबादत कर रहे है. घरों में रहकर ही नमाज़ हो रही है.
रमज़ान में एक ही दुआ, अल्लाह कोरोना को करें जल्द अलविदा!
मुस्लिम समाज के लोगों का कहना है कि इस कोरोना काल में हर मुस्लिम की एक ही दुआ है कि महामारी कोरोना से सबको निजात मिले, सभी बीमार ठीक हो जाये, ये कोरोना बीमारी खत्म हो जाये और दोबारा सभी अमन चैन के साथ पहले की तरह खुशनुमा हो.
मुस्लिम धर्मालुयों के संदेश
हमारी टीम ने कई लोगों से बात करके उनकी राय जानी तो एक मुस्लिम धर्मालु सिकंदर पटेल ने कहा कि अपने घर में रमज़ान की दुआ पड़ते है परिवार एक साथ रोज़ा इफ्तारी और सेहरी करते है .यदि कोरोना नहीं होता तो अलग ही रौनक होती.
वहीं मुस्लिम समाज के अनवर भाई कहते है कोरोना का दौर है सभी से यही गुजारिश है कि घरो में रहकर इबादत कर रहे है हमने कभी नही सोचा था कि कभी मदजीदे बंद भी हो जाएगी, ये भी अल्लाह की तरफ से एक हमारी आजमाइश है.
उस्मान भाई कहते है यदि कोरोना नहीं होता तो बाज़ार खुले होते हर तरफ रौनक होती मस्जिदों में नमाज़ इबादत होती लेकिन अब हमें अपनी सुरक्षा के लिए घरो में रहना है इस बीमारी से बचे रहना है.
मुस्लिम समाज के लिए रमज़ान का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है इस माह में मुस्लिम समाज के लोग पूरे माह रोजे रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पड़ना, कुरान तिलावत करना, एतेकाफ बैठना, जकात देना बहुत ही जरूरी माना जाता है लेकिन कोरोना काल में सभी मुस्लिम धर्मालु अपने घरों में रहकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सभी इस बीमारी से बचाने में मददगार बन रहे है.