इंदौर। मन में इच्छा शक्ति हो तो व्यक्ति क्या कुछ नहीं करता। कोरोना में भी कई ऐसे लोग हैं, जो कि इच्छाशक्ति से महामारी को हराने में लगे हैं। इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती रुचि खंडेलवाल नाम की युवती ने सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड किया है। इसमें युवती ने लोगों को महामारी से लड़ने के कुछ टिप्स बताए हैं। इन्हीं टिप्स और इच्छा शक्ति के बल पर ही वह बीमारी पर जीत के करीब पहुंच गई है।
वीडियो में युवती का कहना है, जब वह अस्पताल में भर्ती हुई थी, तब उसे 85% लंग इन्फेक्शन था, लेकिन इच्छाशक्ति और कई तरीकों से इंफेक्शन को 55% पर आ गया है। रुचि का कहना है, कभी भी आप यह ना मानें कि आपको कोई बीमारी है, क्योंकि बीमारी दिमाग में घर कर जाती है। युवती ने वीडियो में प्रोन वेंटिलेशन के बारे में भी जानकारी दी।
प्रोन वेंटिलेशन
युवती ने बताया कि फेफड़ों की बनावट सामने की तरफ पतली होती है, क्योंकि आगे हृदय होता है। वहीं, पीठ की तरह फेफड़े का आकार चौड़ा होता है। संक्रमण से फेफड़ों के सामने का भाग ज्यादा प्रभावित होता है। ऐसे में पीठ के बल सोने से फेफड़ों के निचले भाग का उपयोग नहीं होता, जबकि पेट के बल सोने से फेफड़ों के निचले भाग का उपयोग होने लगता है।
इससे ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेवल बढ़ जाता है। जानवर भी इसी प्रक्रिया के जरिए सांस लेते हैं। इसी कारण से जानवरों में कोरोना संक्रमण नहीं पाया गया। दूसरा फायदा है कि मनुष्य की सांस की नली आगे की तरफ होती है। पेट के बल सोने से कफ नीचे की तरह आ जाता है और पेट में जाकर मल के जरिए बाहर निकल जाता है।
बैलून फुलाने से भी स्वस्थ होते हैं फेफड़े
कोरोना संक्रमण से ठीक होने की स्थिति (पोस्ट कोविड) में मरीजों को स्पाइरोमीटर और बैलून फुलाने का अभ्यास कराया जा रहा है। स्पाइरोमीटर में सांस फूंकने का अभ्यास कराया जाता है। इससे फेंफड़े फैलते हैं। कोरोना से राहत मिलने के बाद फाइब्रोसिस से बचाव के लिए यह जरूरी है। बैलून फुलाने से भी फेंफड़े का व्यायाम होता है। वहीं, प्राणायाम के नियमित अभ्यास से भी फेंफड़े का फैलाव होता है।