इंदौर। दवा इंजेक्शन का अता-पता नहीं, ऑक्सीजन बिना मनुज तड़प - तड़प मर गए! रेमडेसिविर के लिए काली कमाई देख, भारत माता के नेत्र आंसुओं से भर गए। ये लाइनें कोरोना की भयावहता बताने के लिए काफी हैं। दर्द भरी पंक्तियां इंदौर के ख्यात कवि और वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन की हैँ। करीब 40 वर्षों से मंचों पर कविता के जरिए बेबाकी से देश समाज और राजनीति को आईना दिखाने वाले सत्तन गुरु ने एक बार फिर से अपनी कलम से कोरोना के भयावह स्थिति को कविता के रूप में उतारने की कोशिश की है। उन्होंने शासन प्रशासन के साथ ही आईसीयू में दम तोड़ रही मेडिकल व्यवस्था पर भी कटाक्ष किया है। उनकी ये कविता अपनी ही सरकार की हकीकत बयां कर रही है।
कविता की पंक्तियां
'कोरोना से पीड़ित जनता मर रही यहां, आपने बंगाल में प्रभु रैलियां सजाई हैं! भाषण में जनता से दूरियां रखने की सीख, थाली मंजीरे और घंटियां बजाई हैं!
महामारी के चलते मर गए हजारों लोग, उन्हें भुला वोट मांगने की दी दुहाई है! आप प्रजा पालक का धर्म तो निभा न सके, उल्टे जनजीवन को सौंप दी रुलाई है!
दवा इंजेक्शन का कोई अता पता नहीं, ऑक्सीजन बिना मनुज तड़प-तड़प मर गए! रेमडेसिविर के लिए काली कमाई देख, भारत माता के नेत्र आंसुओं से भर गए!
कोविड से निपटने का काम प्रशासन पर छोड़, अपना दायित्व आप उनके सिर धर गए! बंगाल में अपनी सत्ता शासन के लिए, प्रथम जनसेवक के पद से बिखर गए!
तुम्हें चुनाव से फुरसत मिले तो आ जाना, कितने भाषण और रैलियां कीं, सब बता जाना! जीत कर भी हार पहनने के काबिल हो, बिना दवाई के मरे उन्हें जिला जाना!
ये कविता लिखी है सत्यनारायण सत्तन ने।