जबलपुर। जबलपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचने वाले दो आरोपियों पर रासुका (NSA) लगा दी गई है। दोनों आरोपियों को छह महीने तक सेंट्रल जेल में बंद करने का आदेश जारी हुआ है। शुक्रवार को ओमती पुलिस सेंट्रल जेल में बंद दोनों आरोपियाें को नोटिस तामिल कराएगी। MP में इस तरह की यह पहली कार्रवाई है। वहीं अब अस्पतालों को मरीजों का मोबाइल नंबर देने के बाद ही रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रशासन देगा।
22 अप्रैल को ही CM शिवराज सिंह चौहान ने दवाओं की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ रासुका लगाने के लिए कहा था। इसके बाद यह जबलपुर में कार्रवाई की गई है। एसडीएम आशीष पांडे की अगुवाई में एक टीम ने 11 अप्रैल को मढ़ाताल स्थित न्यू मुनीष मेडिकोज में दबिश दी थी। टीम ने वहां से पुष्पक नगर निवासी सुदामा और कटियाघाट गौर निवासी नितिन को रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक करते पकड़ा था। ओमती थाने में 12 अप्रैल को ड्रग इंस्पेक्टर फूड एण्ड एडमिनिस्ट्रेशन रामलखन पटेल ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
18 हजार रुपए में हुआ था इंजेक्शन का सौदा
आरोपियाें ने कार्तिक अग्निहोत्री से 18 हजार रुपए में रेमडेसिविर का सौदा किया था। 13 अप्रैल को दोनों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। इस मामले में मेडिकल स्टोर संचालक कामेश राजानी व कांचघर निवासी गौरव शर्मा की गिरफ्तारी होनी है।
एसपी ने NSA का तैयार कराया था प्रतिवेदन
SP सिद्धार्थ बहुगुणा ने इस मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ ओमती पुलिस को NSA का प्रतिवेदन तैयार करने का निर्देश दिया था। प्रतिवेदन एसपी की ओर से जिला दंडाधिकारी कर्मवीर शर्मा के समक्ष पेश किया गया। इसके बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ जिला दंडाधिकारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) 1980 की धारा 3, सहपठित धारा 2 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हुए एनएसए में निरूद्ध करने का आदेश जारी किया गया।
कालाबाजारी रोकने के लिए देना होगा मोबाइल नंबर
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रोकने के लिए कलेक्टर ने अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए मोबाइल नंबर देना अनिवार्य कर दिया है। शुक्रवार से इंजेक्शन का आवंटन होगा। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को डॉक्टर के पर्चा सहित पेशेंट का मोबाइल नंबर भी सूची में डिस्ट्रीब्यूटर को सौंपना होगा। एसडीएम आशीष पांडे के मुताबिक शहर के सभी निजी अस्पतालों को भर्ती मरीजों की जरूरत के अनुसार रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। यदि निजी अस्पताल ने निर्धारित प्रारूप में मरीजों का ब्योरा नहीं दिया तो आवंटन नहीं मिलेगा।