होशंगाबाद। कोरोना की दूसरी लहर ने लॉकडाउन के डर से एक बार फिर से रोजगार के लिए महाराष्ट्र, मुंबई पहुंचे मजदूरों को गांव लौटने पर मजबूर कर दिया है। लोग ट्रेनों के माध्यम से गांव लौट रहे हैं। स्थिति यह है कि ट्रेनों के कोचों में क्षमता से दोगुनी, तिगुनी यात्री बैठकर यात्रा कर रहे। पिछले 15 दिनों से महाराष्ट्र से यूपी, बिहार जाने वाली ट्रेनें यात्रियों से खचाखच भरा कर जा रही है।
मंगलवार दोपहर होशंगाबाद स्टेशन पर एलटीटी गोरखपुर कुशीनगर ट्रेन जनरल और स्लीपर कोच सभी में एक जैसी स्थिति नजर आई। एक बर्थ पर 6,7 यात्री बैठे थे। साथ ही टॉयलेट और दरवाजे के पास बैठे यात्रा करने को यात्री मजबुर है।
ट्रेन बंद होने और पैदल चलने का डर, इसलिए कंफर्म टिकट के बगैर यात्रा
मंगलवार दोपहर 1.30 बजे होशंगाबाद पहुंची स्पेशल एलटीटी गोरखपुर काशी एक्सप्रेस के स्लीपर कोच में मुंबई से बस्ती जा रहे यात्री धर्मेंद्र चौधरी ने बताया कि टिकट कन्फर्म नहीं है। लेकिन डर है कि पिछले साल जैसी ट्रेनें बंद न हो जाएं, इसलिए पहले ही ट्रेन से घर जा रहे है।
मुंबई में कोरोना की बेकार स्थिति है। पिछले साल जैसा देशभर में पूर्ण लॉक डाउन लगा और ट्रेन बंद हुई तो बेकार हम लोगों की बेकार स्थिति हो जाएगी। पिछले साल महाराष्ट्र से यूपी बस्ती जाने कई किमी की यात्रा पैदल करना पड़ा था।
गेट पर बैठकर सफर करते यात्री।
स्टेशन पर आने जाने वालों की नहीं हो रही जांच
इधर, होशंगाबाद शहर में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना की चेन तोड़ने के लिए 30 अप्रैल तक कोरोना कर्फ्यू लागू है। लेकिन रेलवे स्टेशन पर प्रशासन अलर्ट नहीं है। रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाले यात्रियों को लेकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट नहीं है। स्टेशन पर स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ बैठन बंद हो गया है। जिससे आने - जाने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य की जांच और जानकारी का रिकार्ड नहीं रखा जा रहा।