जबलपुर। 32 साल के अर्पित दुबे छह बहनों के इकलौते भाई थे। कोरोना की जंग मंगलवार को हार गए। बेटे की मौत से अनजान पिता विक्टोरिया जिला अस्पताल में मौत से संघर्ष कर रहे हैं। सदर की गली नंबर 16 में टेंट व्यवसायी राय परिवार में कोहराम मचा हुआ है। यहां एक सप्ताह के अंतराल पर दो भाइयों ने कोरोना से जान गंवा दी। कृष्णा कॉलोनी में भी एक ही परिवार के दो लोगों की मौत के बाद परिवार की चीखें सबकी आंखें नम कर दे रही हैं। मंगलवार को जबलपुर में ऐसे ही दर्द समेटे 79 लोगों की चिताएं जली।
जानकारी के अनुसार सूखा सूरतलाई निवासी अर्पित दुबे (32) सात बहन-भाई में सबसे छोटे थे। मल्टीनेशनल कंपनी का जॉब छोड़कर पांच महीने पहले पिता उमाशंकर दुबे के पास रहने के लिए आ गए थे। एक सप्ताह पहले पिता-पुत्र एक साथ संक्रमित हुए। दोनों की हालत बिगड़ी तो विक्टोरिया में एक साथ भर्ती कराए गए। वहां से अर्पित को गंभीर देख रैफर कर दिया गया था। मंगलवार सुबह अर्पित की मौत हो गई। जबकि पिता उमाशंकर दुबे विक्टोरिया में अभी भी इलाजरत हैं। अर्पित की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। मां ने बेटियों के साथ मिलकर बेटे का स्वयंसेवी संस्था मोक्ष की मदद से अंतिम संस्कार कराया।
एक सप्ताह में चल बसे सगे भाई
सदर गली नंबर 16 में मंगलवार को इसी तरह की दिल काे झकझोर देने वाली खबर पहुंची। टेंट व्यवसायी अखिलेश राय (42) और उनके बड़े भाई राजू राय (50) सहित परिवार के आठ लोग 20 दिन पहले संक्रमित हुए थे। दोनों भाई एक साथ व्यवसाय संभाल रहे थे। संयुक्त परिवार की खुशियों को किसी की नजर लग गई। बुजुर्ग मां के सामने एक सप्ताह पहले छोटे बेटे अखिलेश ने दम तोड़ दिया। वहीं मंगलवार को राजू राय की भी सांसें थम गईं। हालांकि परिवार के अन्य सदस्य अब कोरोना से ठीक हो चुके हैं। हिंदू धर्म सेना के योगेश अग्रवाल ने बताया कि दोनों भाईयों की मौत से पूरा सदर स्तब्ध है।
एक ही परिवार के दो लोगों की हुई मौत
गोहलपुर क्षेत्र अंतर्गत कृष्णा कॉलोनी में भी इसी तरह की सन्न कर देने वाली घटना सामने आई। यहां भी एक ही परिवार के दो लोगों की एक सप्ताह के अंदर कोरोना से मौत ने घरवालों को तोड़ दिया है। जबलपुर रेलवे अस्पताल में सोमवार रात से मंगलवार दोपहर तक पांच लोगों की मौत हुई। इसमें एसएसई राकेश गुप्ता, लोको पायलट आरके निगम, एसएसई शशिकांत चौरसिया, सीटीआई आरके विश्वकर्मा, एएसएम प्रदीप कुमार शामिल हैं।
79 मौतों में सबसे अधिक चौहानी मुक्तिधाम में हुआ अंतिम संस्कार
मंगलवार को भी कोरोना संक्रमितों की मौत का आंकड़ा 70 पार कर गया। कुल 79 मौतों में सात की मौत घरों में हुई। 19 का अंतिम संस्कार तिलवारा घाट में हुआ। वहीं अन्य का चौहानी मुक्तिधाम, रानीताल कब्रिस्तान और बिलहरी कब्रिस्तान में हुआ। इसमें 25 शवों का मोक्ष संस्था की ओर से और अन्य का अंतिम संस्कार नगर निगम व परिजनों द्वारा किया गया। इसमें 35 मौतें अकेले मेडिकल में हुई हैं।
दोपहर बाद शुरू होता है अंतिम संस्कार
एक तरफ कोविड से मरने वालों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। ऊपर से सरकारी व्यवस्था लोगों को रुला दे रही है। रात में होने वाली मौतों के बाद भी परिजनों को शव मिलने में 12 से 18 घंटे लग जा रहे हैं। नगर निगम की टीम दोपहर बाद सक्रिय होती है। यदि रात के शवों का सुबह आठ बजे से मुक्तिधामों में अंतिम संस्कार करें तो परिजनों का भटकाव खत्म हो जाएगा। शहर के एमएच अस्पताल में सुबह से तीन शव पड़े थे, लेकिन उनका अंतिम संस्कार शाम छह बजे हो पाया।
मौत की थी सूचना, टीम पहुंची तो सांसें चल रही थीं
संजीवनी नगर में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया। यहां एक वृद्ध की मौत की सूचना परिजनों ने मोक्ष संस्था को दी। संस्था के लोग पहुंचे और वृद्ध को उठाया तो देखा कि उनकी सांसें चल रही थी। फिर उन्हें टीम ने मेडिकल में भर्ती कराया। परिजनों ने बताया कि बेड नहीं मिलने की वजह से वह घर में ही होम आइसोलेट थे। मंगलवार की सुबह अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी। लगा कि अब वे नहीं हैं।