इंदौर। रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत से जूझ रहे इंदौर सहित मध्यप्रदेश के लिए मंगलवार का दिर राहतभरा रहा। रेमडेसिविर इंजेक्शन की एक बड़ी खेप दोपहर में इंदौर एयरपोर्ट पर उतरी। 312 बॉक्स में करीब 15 हजार इंजेक्शन बैंगलुरु से लेकर स्टेट प्लेन इंदौर पहुंचा। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने इंजेक्शन के बंटवारे के संबंध में बताया कि प्रदेश को रेमडेसिविर की खेप मिली है। जिसे 7 संभागों के मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग में आवश्यकतानुसार वितरित किया गया है।
संभागायुक्त डॉक्टर पवन शर्मा ने बताया कि पहले की तरह ही स्टेट प्लेन और हेलीकॉप्टर से रेमडीशिविर को इंदौर से अन्यत्र पहुंचाया जा रहा है। रेमडेसिवीर की इस खेप मे इंदौर को 56 रेमडेसिविर इंजेक्शन के बॉक्स मिले हैं। इसमं 17 बॉक्स इंदौर मेडिकल कॉलेज, 5 बॉक्स खंडवा मेडिकल कॉलेज और 34 बॉक्स इंदौर स्वास्थ्य विभाग को दिए गए हैं। ADM अजय देव शर्मा एयरपोर्ट पर व्यवस्था के लिए मौजूद रहे
इंदौर एयरपोर्ट से अन्य जगहों के लिए इंजेक्शन भेजे गए।
बैंगलुरु से आए रेमडेसिविर इंजेक्शन का हुआ बंटवारा
शहर |
बॉक्स |
भोपाल |
57 |
जबलपुर |
50 |
ग्वालियर |
50 |
रीवा |
32 |
उज्जैन |
41 |
सागर |
26 |
क्या फायदा है रेमडेसिविर इंजेक्शन का
एक मरीज काे 4 से 10 इंजेक्शन लग सकते हैं : कोरोना संक्रमित को केवल रेमडेसिविर इंजेक्शन देने से उसकी सेहत में कोई बदलाव नहीं होता, लेकिन संक्रमण की शुरुआत में लक्षण सामने आना की स्टेज में स्टेरॉयड दवा के साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन देने पर मरीज को आराम मिलता है। लेकिन गंभीर और अति गंभीर श्रेणी के संक्रमित मरीज को स्टेरॉयड के साथ रेमडेसिविर देने से उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं होता।
वजह: इस श्रेणी के मरीजों में स्टेरॉयड दवा भी बेअसर होती है। कोविड संक्रमित एक मरीज को 4 से 10 इंजेक्शन तक लगाए जाते हैं।
यह मॉडरेट पेशेंट के हॉस्पिटल स्टे को कम करता है : कोविड संक्रमित मरीज को शुरुआत में गले और फेफड़ों में सूजन आती है। फिर बुखार के साथ कोरोना के लक्षण उभरने लगते हैं। यह कोविड की मॉडरेट स्टेज है। इस स्टेज में मरीज को डॉक्टर्स स्टेरॉयड दवा देते हैं। यदि स्टेरॉयड के साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन दिया जाता है तो मरीज की सेहत में तेजी से सुधार होता है। नतीजतन, सिर्फ स्टेरॉयड दवा लेने वाले मरीज की तुलना में ज्वाइंट डोज लेने वाला मरीज 2 से 4 दिन पहले स्वस्थ हो जाते हैं।
किसे जरूरत है इस इंजेक्शन: कुछ दिन पहले इंदौर के डॉक्टरों की बैठक हुई थी इसमें अधिकतर डॉक्टरों का कहना था, यह इंजेक्शन केवल उन्हीं मरीजों के लिए है, जिनके फेफड़ों में 30 से 40% से अधिक संक्रमण है। आम जनता में यह भ्रम फैल चुका है कि यह इंजेक्शन सभी कोरोना पेशेंट को लगाना अनिवार्य है।