इंदौर। इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी रुक नहीं रही है। इस धंधे में दवा व्यापारी, डॉक्टर, नर्स से लेकर लैब टेक्नीशियन तक उतर चुके हैं। कनाडिया थाना क्षेत्र में रेमडेसिविर के 2 इंजेक्शन के साथ लैब टेक्नीशियन को पकड़ा गया है। वह दो इंजेक्शन जरूरतमंद मरीज के परिजन को 52 हजार रुपए में बेच रहा था।
थाना प्रभारी राजीव भदौरिया ने बताया कि पीड़ित ने रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे जाने की शिकायत की थी। पुलिस घेराबंदी करके सोमवार को पंजाब राव निवासी आजाद नगर को गिरफ्तार कर लिया। वह नोबल लैब में टेक्नीशियन है। पीड़ित व्यक्ति से 52 हजार रुपए में 2 इंजेक्शन देने की बात हुई थी।
इसके पहले रविवार को बापट चौराहा स्थित बारोड़ हॉस्पिटल के आईसीयू में कार्यरत नर्स कविता चौहान 70 हजार रुपए में दो इंजेक्शन बेचते रंगे हाथों पकड़ी गई थी। उसके दो साथी रेमडेसिविर निर्माता कंपनी जेडेक्स में एमआर शुभम पिता पुरुषोत्तम परमार व उसके भाई बीएचएमएस डॉक्टर भूपेंद्र पिता पुरुषोत्तम परमार भी गिरफ्तार किए गए। ग्राहक बनकर पहुंची राजेंद्र नगर टीआई अमृता सोलंकी ने उन्हें डिलीवरी के लिए बापट चौराहे बुलाया और गिरफ्तार कर लिया। जो इंजेक्शन बरामद हुए हैं, वे जेडेक्स के बजाय अन्य कंपनी के हैं।
ब्लैक में रेमडेसिविर बेचते ये भी पकड़े गए
एसटीएफ ने गुरुवार को चिड़ियाघर के पास रेमडेसिविर बेच रहे एमआर राजेश पिता जगदीश पाटीदार निवासी राऊ और उसके दोस्त ज्ञानेश्वर पिता धनराज बारसकर निवासी भमौरी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में कबूल किया है, ये इंजेक्शन वे विजयनगर स्थित राज मेडिकल के अनुराग पिता घनश्याम सिंह निवासी स्कीम 114 से खरीद कर लाए थे। तीनों से 12 इंजेक्शन जब्त किए गए थे।
पीथमपुर स्थित फार्मा कंपनी इपोक के मालिक डॉक्टर विनय शंकर त्रिपाठी निवासी रानीबाग से 20 लाख रुपए के 400 इंजेक्शन जब्त किए गए थे। क्राइम ब्रांच एएसपी गुरुप्रसाद पाराशर के अनुसार वह हिमाचल में अवैध रूप से इंजेक्शन बनाकर यहां बेचने लाया था।
10 दिन पूर्व सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पीड़ित पक्ष ने नर्स पर इंजेक्शन बेचने का आरोप लगाया गया था। उसका भी वीडियो वायरल हुआ था, लेकिन मामले में कार्रवाई नहीं हुई।
राजेंद्र नगर पुलिस ने नीलेश नाम के व्यक्ति को रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़ा था। उसने पीड़ित परिवार से इंजेक्शन देने के लिए 22 हजार रुपए में सौदा किया था।