जबलपुर। कोरोना में इंसानों के साथ इंसानियत भी दम तोड़ती नजर आ रही है। डर के इस माहौल में इंसानियत और हमदर्दी जैसे शब्द बौने साबित होने लगे हैं। ऐसी ही रुला देने वाली घटना रांझी में हुई। यहां बुजुर्ग मां की मौत के बाद अकेली रह रही बेटी और नातिन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मोहल्ले वालों ने मदद नहीं की। अपने घरों की खिड़की-दरवाजे बंद कर लिए। यह खबर क्षेत्र के कुछ युवाओं को लगी तो वे आगे आए।
नई बस्ती रांझी निवासी गीता रामटेके (70) की शुक्रवार को अचानक तबीयत खराब हुई। उल्टी-दस्त के बाद बेटी ललिता शनिवार को विक्टोरिया अस्पताल ले गई। वहां डॉक्टरों ने इलाज के बाद कोरोना का सैंपल लिया। रविवार सुबह छुट्टी दे दी। बेटी मां को लेकर घर पहुंची। थोड़ी देर बाद गीता की मौत हो गई।
दोपहर तक मां के शव के साथ बैठी रही बेटी।
दोपहर तक शव घर में ही पड़ा रहा
पड़ोसी मदद की जगह अपने घरों की खिड़की और दरवाजे तक बंद कर लिए। दोपहर तक शव घर पर ही पड़ा रहा। कांधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिल रहे थे। बेटी ने निगम से लेकर कई स्वयंसेवी संस्थाओं को फोन लगाए। कोई आगे नहीं आया। थक हार कर वह मां की लाश के पास ही बदहवासी की हालत में अचेत हो गई। उसकी आठ साल की बेटी भी मां के आंचल को पकड़ कर सो गई।
क्षेत्र के युवकों ने पेश की नजीर
इस परिवार के दर्द की जानकारी क्षेत्र के युवकों को हुई। संवेदना के आगे कोरोना का खौफ भी जाता रहा। युवकों ने आपस में मिलकर दो पीपीई-किट की व्यवस्था की। युवाओं का हौसला देख मकान मालिक भी आगे आए। अर्थी का प्रबंध किया गया। फिर शव को श्मशान घाट पहुंचाने की परेशानी खड़ी हो गई। कई वाहन वालों ने हाथ खड़े कर दिए।
संक्रमण के खौफ के बीच वृद्धा को दिया कांधा
फिर युवकों का अपना संपर्क काम आया। एक दोस्त की लोडिंग गाड़ी बुलवाई। ललिता को हौसला दिया। संक्रमण के खौफ के बीच वृद्धा को कांधा दिया। इसके बाद शव को कोविड प्रोटोकाॅल के तहत मुक्तिधाम ले गए। बेटी ललिता ने मां को मुखाग्नि दी।
युवकों ने पेश की मिशाल।
मां के शव के पास ही अचेत पड़ी थी ललिता
घटना के संबंध में खेरमाई मंदिर के समीप सर्रापीपल रांझी निवासी मनीष अवस्थी ने बताया कि गीता रामटेके किराए के मकान में रहती थी। तीन दिन से वह उल्टी दस्त से परेशान थी। बेटी ललिता ने शनिवार शाम उन्हें विक्टोरिया अस्पताल मे भर्ती कराया था। जहां से रविवार सुबह घर भेज दिया गया। गीता के रक्त में आक्सीजन का स्तर काफी घट गया था, जिसके बाद उन्होंने सांस लेने में कठिनाई हो रही थी।
मनीष अवस्थी ने बताया कि एक स्थानीय निजी डॉक्टरों ने भी कोरोना की आशंका जताई थी। रविवार सुबह गीता की मौत हो गई। मां के अंतिम संस्कार की चिंता में बेटी ललिता बेहाल हो गई थी। हम लोग पहुंचे तो वह मां के शव के पास ही अचेत पड़ी थी। हमारे हौसले के बाद उसने मां का अंतिम संस्कार किया।
लोडिंग गाड़ी से ले गए मुक्तिधाम।