भोपाल। कोरोना मरीजों के लिए जीवनरक्षक माने जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल से चोरी हो गए। चोरों ने सेंट्रल स्टोर की ग्रिल काट कर 853 रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी कर ले गए। रेमडेसिविर किल्लत के बीच MP में सरकारी अस्पताल से पहली बार इंजेक्शन चोरी होने का मामला सामने आया है। सरकार ने भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में ये इंजेक्शन गंभीर मरीजों के इलाज के लिए भेजे गए थे। इंजेक्शन गायब होने की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
- देशभर में कोरोना के गंभीर मरीजों को लगाया जाने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार से गायब हो गया था। MP के भोपाल-इंदौर में तो इसके लिए लंबी लाइनें लगी थीं। ऐसे में सरकारी अस्पतालों से यह इंजेक्शन देने की व्यवस्था शुरू की गई। प्रदेश के प्रमुख शहरों में हेलिकॉप्टर से इंजेक्शन पहुंचाए गए। हमीदिया अस्पताल के मरीजों के लिए सरकार ने 853 रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजे थे। शुक्रवार को ये इंजेक्शन अस्पताल पहुंचे थे और शनिवार को इन्हें मरीजों काे लगाया जाना था।
अस्पताल में पुलिस अफसरों के साथ पहुंचे चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग।
अस्पताल के अधीक्षक बोले- चोरी ही हुई, मामले की जांच पुलिस कर रही है
स्टोर रूम से शनिवार सुबह जब मरीजों को लगाने के लिए स्टोर रूम में इंजेक्शन निकाले जाने थे, तो उसके बॉक्स वहां मौजूद नहीं थे। जीवन रक्षक इंजेक्शन गायब होने के बाद हड़कंप मच गया। अस्पताल प्रबंधन ये पता लगा रहा है कि इंजेक्शन के साथ किसी और दवा की चोरी हुई है या नहीं? इस मामले में अस्पताल के अधीक्षक आईडी चौरसिया ने कहा, इंजेक्शन चोरी होने की जानकारी मिली है। मामले की पुलिस जांच कर रही है।'
भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल का सेंट्रल स्टोर, जहां से इंजेक्शन चोरी हुए हैं।
मध्य प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर हुई मारा-मारी के बीच सरकार ने इसकी आपूर्ति के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी। इसके मुताबिक भोपाल, इंदौर, उज्जैन व देवास को छोड़कर अन्य जिलों में 50% इंजेक्शन आवंटन के कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं। इसी तरह अनुबंधित अस्पताल से कोई राशि नहीं ली जाएगी, जबकि प्राइवेट अस्पताल से प्राप्त राशि ( प्रति इंजेक्शन 1568 रुपए) रेडक्राॅस में जमा कराई जाएगी।
रेमडेसिविर क्या है?
रेमडेसिविर एक एंटी-वायरल दवा है, जो कथित तौर पर वायरस के बढ़ने को रोकती है। 2009 में अमेरिका के गिलीड साइंसेस ने हेपेटाइटिस सी का इलाज करने के लिए इसे बनाया था। 2014 तक इस पर रिसर्च चला और तब इबोला के इलाज में इसका इस्तेमाल हुआ। रेमडेसिविर का इस्तेमाल उसके बाद कोरोना वायरस फैमिली के मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स या MERS) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स या SARS) के इलाज में किया गया है।
यह फॉर्मूला शरीर में वायरस के फलने-फूलने के लिए आवश्यक एंजाइम को काबू करता है। अमेरिकी रेगुलेटर US-FDA ने 28 अक्टूबर 2020 को रेमडेसिविर को कोविड-19 के इलाज के लिए मंजूरी दी थी। उस समय डोनाल्ड ट्रम्प इन्फेक्ट हुए तो उन्हें भी रेमडेसिविर दी गई थी।
सरकार ने रेमडेसिविर के निर्यात पर रोक लगाई
केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही रेमडेसिविर के निर्यात पर रोक लगाई है। इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों का भी निर्यात नहीं हो सकेगा। संक्रमण के मामले अचानक बढ़ने से देश भर में इस इंजेक्शन की शॉर्टेज हो गई है। आने वाले दिनों में मांग और बढ़ने की संभावना को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया था।