भोपाल। मर के भी चैन न पाया तो कहां जाएंगे...कोरोना की दूसरी लहर ने मौत के आगोश में समाते लोगों के सामने यही हालात बना दिए हैं। श्मशान घाट से आ रहीं डरावनी तस्वीरों के बाद अब शहर के कब्रिस्तानों का दम भी फूलता नजर आने लगा है। कोविड से मौत की तरफ जा रहे शवों को दफनाने के लिए चिन्हित झदा कब्रिस्तान अब फुल हाउस का बोर्ड लगाए खड़ा दिखाई दे रहा है। यहां कब्र खोदने वालों के हाथ छालों से भर गए हैं, कब्र खोदने के लिए अब जेसीबी मशीनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
झदा कब्रिस्तान पर शवों की अंतिम क्रिया को पूरा करवाने में सहयोग कर रहे पूर्व पार्षद रेहान गोल्डन ने बताया कि सुबह से शाम तक लगातार पहुंच रहे जनाजों को दफन करने के लिए जगह कम पड़ रही है। एक साल से इसी कब्रिस्तान में कोरोना से मरने वालों के शवों को दफनाया जा रहा है।
आने वाले जनाजों की बड़ी तादाद को देखते हुए यहां एडवांस में भी कब्र खोदीं जा रही हैं, लेकिन ये व्यवस्था भी कम पड़ती नजर आ रही है। रेहान ने बताया कि लगातार कब्र खोदने के चलते यहां खुदाई करने वालों के हाथों में छाले हो गए हैं। इस स्थिति के चलते अब जेसीबी मशीनों से खुदाई का काम करवाना पड़ रहा है।
मिट्टी की भी होने लगी कमी
झदा कब्रिस्तान में रोज कोरोना से मरने वालों की 7 से 10 शव पहुंच रहे हैं। इसके कारण यहां मिट्टी की कमी हो गई है। कब्रिस्तान के लिए 1500 से 2 हजार ट्रॉली मिट्टी की जरूरत है। कब्रिस्तान में मिट्टी डलवाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान और कलेक्टर मांगी गई है।
एक दिन में सत्रह जनाजे
गुरुवार को झदा कब्रिस्तान में सबसे ज्यादा जनाजे पहुंचने का रिकॉर्ड दर्ज किया गया। कमेटी प्रबंधक रेहान गोल्डन ने बताया कि यहां 17 जनाजे पहुंचे, जिनमें से 10 अस्पतालों से आए कोरोना मृतक थे। 7 ऐसे थे, जिनकी मौत घर पर हुई थी। उन्होंने बताया कि एक अप्रैल से अब तक झदा कब्रिस्तान में 65 कोरोना जनाजे पहुंच चुके हैं। इनमें 52 ऐसे हैं, जिनकी मौत घरों पर विभिन्न बीमारियों के कारण हुई है। रेहान का कहना है कि मौत का सिलसिला पिछली बार की तुलना में दोगुना जैसा है।
बाकी कब्रिस्तान में भी दफन
कोरोना के लिए चिन्हित झदा कब्रिस्तान के अलावा शहर के अन्य कब्रिस्तानों बड़ा बाग, अशोका होटल वाला, छावनी, बाग फरहत अफजा समेत अन्य कब्रिस्तानों में जनाजे के दफन का सिलसिला जारी है।