लोगों ने सड़क पर शव रख किया प्रदर्शन, दोषी पर FIR की मांग; मंत्री की समझाइश के बाद डॉक्टर ने वापस लिया इस्तीफा

Posted By: Himmat Jaithwar
4/11/2021

भोपाल। जयप्रकाश जिला अस्पताल में मरीज तख्त सिंह की मौत का मामला तूल पकड़ रहा है। रविवार सुबह 10.30 बजे परिवार वालों ने सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन किया। लोगों ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच हो। दोषी डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। साथ ही, परिजनों को आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी दी जाए। इधर, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने रविवार को कोविड नोडल अधिकारी डॉ. योगेंद्र श्रीवास्तव से फोन पर बात की। इसके बाद डॉक्टर ने इस्तीफा वापस ले लिया।

रविवार सुबह कोलार तिराहा पर लोगों ने शव रखकर सड़क पर प्रदर्शन किया। सड़क के दोनों ओर वाहन और लकड़ी रखकर जाम लगा दिया। दूसरी तरफ लॉकडाउन के बावजूद भीम नगर इलाके से बड़ी संख्या में लोग घरों से निकल सड़क किनारे खड़े हो गए। करीब 20 मिनट तक मौके पर सिर्फ एक पुलिसकर्मी ही पहुंचा था। काफी देर बाद कुछ और पुलिसकर्मी मौके पर आए। उन्होंने परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन तख्त सिंह के रिश्तेदार मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच के साथ दोषी डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए। उनकी मांग है कि तख्तसिंह के तीन बच्चे हैं। उनके परिवार को आर्थिक सहायता देने के साथ परिवार में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए।

कोरोना संकटकाल में डॉक्टरों की जरूरत है

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि डॉ. श्रीवास्तव से फोन पर चर्चा हुई है। मरीज के परिजनों के बदसलूकी से आहत होकर उन्होंने त्यागपत्र देने की पेशकश की थी। 'मैंने उनसे कहा कि काेरोना संकटकाल में डॉक्टरों की सेवाओं की बहुत जरूरत है। मेरा आग्रह है आप त्याग पत्र वापस ले लें। घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।' इसके बाद डॉ. श्रीवास्तव ने अपना इस्तीफा ले लिया।

ये है मामला

भीम नगर निवासी तख्त सिंह (40) को परिजन सांस लेने में दिक्कत होने पर जयप्रकाश अस्पताल लेकर गए थे। तख्त सिंह की कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आई थी। शनिवार को अस्पताल पहुंचने पर मरीज को डॉक्टरों ने भर्ती कर लिया था। दो घंटे बाद मरीज की मौत हो गई थी। परिजनों ने डॉक्टरों पर ऑक्सीजन का मास्क हटाने से मौत का आरोप लगाया था। वहीं, जेपी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर योगेन्द्र श्रीवास्तव ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि उन्होंने मरीज को भर्ती किया था।

दो घंटे तक वह खुद इमरजेंसी में मरीज को देखते रहे। उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन 30 था। फिर भी उसे बचाने का प्रयास किया। इस बीच दो घंटे बाद मौत हो गई थी। इसके बाद अस्पताल पहुंचे कुछ लोगों ने उनके साथ बदसलूकी की। इसके बाद डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया था।



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