हावड़ा। हिंदी भाषी बहुल हावड़ा को जीतने के लिए BJP ने पूरी ताकत झोंक दी है। नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर योगी आदित्यनाथ तक की यहां सभाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद जमीन पर BJP अभी TMC से आगे नहीं नजर आ रही है। हालांकि इस बार की कुछ सीटों पर BJP मजबूत दिख रही है, क्योंकि यहां TMC के कई बड़े नेता BJP में शामिल हुए हैं। हिंदीभाषियों की तादाद अच्छी है और TMC की लोकल लीडरशिप को लेकर कई सीटों पर नाराजगी है।
अधिकतर सीटों पर लोग कहते दिख रहे हैं कि, 'बंगाल में दीदी, दिल्ली में दादा अच्छे'। पश्चिम बंगाल की इंडस्ट्रियल सिटी कहलाने वाले हावड़ा में हिंदी भाषियों की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि एक सीट पर तो यह 60 फीसद से भी ज्यादा हैं। उत्तर हावड़ा में 63%, मध्य में 42%, दक्षिण में 32%, पांचला में 23%, बाली में 22%, शिवपुर में 16% और साइंकराइल में 14% हिंदी भाषी हैं। हिंदी भाषियों के चलते ही BJP ने हावड़ा को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी है, लेकिन यहां जो बांग्ला वोटर हैं, वो ममता बनर्जी के साथ ही खड़े नजर आ रहे हैं।
पिछले दिनों हावड़ा में एक रोड शो के दौरान ममता बनर्जी। यहां दीदी को बांग्ला वोटरों का साथ मिलता दिख रहा है।
बैशाली से लोग खुश नहीं, बाली में लेफ्ट आगे
हावड़ा में आने वाली बाली विधानसभा से BJP ने बैशाली डालमिया को उम्मीदवार बनाया है। वे TMC की टिकट पर 2016 में चुनाव जीतीं थीं, लेकिन चुनाव के कुछ दिनों पहले उन्हें TMC से निष्कासित कर दिया गया। अब वे BJP कैंडिडेट हैं। TMC ने उनके खिलाफ डॉ. राणा चटर्जी को मैदान में उतारा है, लेकिन इन दोनों पर ही CPI-M की कैंडिडेट दीप्सिता धर भारी पड़ रही हैं। 27 साल की दीप्सिता JNU की स्टूडेंट हैं। युवा उन्हें एजुकेशन और जॉब देने के वादे के चलते पसंद कर रहे हैं। BJP से दूरी इसलिए बना रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बैशाली डालमिया ने बीते पांच सालों में क्षेत्र में कोई काम नहीं किया और चुनाव के पहले अपना फायदा देखकर BJP में चली गईं। डॉ. चटर्जी बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। बाली वैसे भी CPM का पुराना गढ़ रहा है।
BJP परिवर्तन का ही नारा दे रही, जमीनी मुद्दे गायब
हावड़ा के हिंदी भाषी बेल्ट पर भाजपा का फोकस है। वह पूरे इलाके में मजबूती से कैंपेन कर रही है। हर जगह पार्टी के बड़े नेताओं के पोस्टर लगे हैं।
हावड़ा मध्य से TMC ने अरूप राय को उतारा है। वे सरकार में मंत्री रहे हैं और क्षेत्र में अच्छे-खासे लोकप्रिय हैं। उनके खिलाफ उतरे BJP के संजय सिंह थोड़े फीके नजर आ रहे हैं। यहां भी BJP के पास ऐसा कोई मुद्दा नहीं है, जिससे लोग सीधे जुड़ सकें। BJP परिवर्तन का ही नारा दे रही है। लेकिन लोग TMC ने सड़क, बिजली, पानी, राशन को लेकर जो काम किया है, उससे संतुष्ट दिख रहे हैं। शिवपुर से BJP ने TMC से ही आए डॉ. रतिंद्रनाथ चक्रवर्ती को उतारा है, लेकिन उनके सामने क्रिकेटर मनोज तिवारी हैं।
मनोज शिवपुर के ही हैं और सेलिब्रिटी होने के चलते भी उन्हें फायदा मिलता दिख रहा है। हावड़ा उत्तर में जरूर BJP मजबूत नजर आ रही है क्योंकि यहां TMC के कैंडिडेट गौतम चौधरी से लोग खुश नहीं दिख रहे। इस सीट पर BJP के आगे दिखने की दूसरी वजह यहां हिंदी भाषियों की आबादी 60% से भी ज्यादा होना है। इनमें अधिकतर UP, बिहार और राजस्थान के लोग हैं। जो सालों से बंगाल में ही रह रहे हैं। BJP ने हावड़ा नगर निगम का एक वॉर्ड जीता था, वो भी इसी विधानसभा में आता है।
राजीव बनर्जी के आने से डोमजूर में खिल सकता है कमल
हावड़ा उत्तर में भाजपा मजबूत नजर आ रही है, क्योंकि यहां के लोग TMC के उम्मीदवार से नाराज दिख रहे हैं।
डोमजूर सीट भी BJP जीतती दिख रही है क्योंकि यहां से BJP ने TMC से आए राजीव बनर्जी को टिकट दिया है। राजीव का पूरे हावड़ा में असर है और स्थानीय लोग भी उनसे खुश नजर आ रहे हैं। उनका मानना है कि क्षेत्र में राजीव ने तो विकास की कोशिश की, लेकिन TMC के सिंडिकेट के आगे वो कुछ कर नहीं पाए। इसलिए इस सीट पर कमल खिल सकता है। हावड़ा दक्षिण में TMC मजबूत है क्योंकि यहां उसके पुराने वोटर्स हैं और हिंदी भाषियों की संख्या भी कम है।
सांकराइल और पांचला सीट पर TMC-BJP में कांटे की टक्कर दिख रही है, लेकिन इन दोनों ही सीटों पर TMC का संगठन काफी मजबूत है। जिसका फायदा उसे मिल सकता है। हावड़ा की सीनियर जर्नलिस्ट खुशबु सिंह कहती हैं- शहरी इलाके की नौ में से 2 और ग्रामीण की 2 सीटों पर BJP जीतती नजर आ रही है। एक सीट CPI-M को जाती दिख रही है, बाकी पर TMC के ही जीतने की संभावना है। लेकिन हवा बता रही है कि BJP, TMC के गढ़ में इस बार घुस जरूर जाएगी।