भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज होने के बाद ऑक्सीजन का संकट क्यों बना गया। इसकी मुख्य वजह है महाराष्ट्र सरकार। महाराष्ट्र सरकार ने शिवराज सरकार को एक पत्र लिखकर ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी। यह पत्र मंत्रालय में 3 दिन पहले पहुंचा, लेकिन तब तक अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत सार्वजनिक हो चुकी थी। तब 30 टन ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए भिलाई स्टील प्लांट से दो गुना (60 टन) रोज सप्लाई का करार किया गया।
मंत्रालाय सूत्रों ने बताया कि भिलाई स्टील प्लांट से 9 अप्रैल को 40 टन ऑक्सीजन की पहली खेप इंदौर पहुंच गई है। इसके बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। देर शाम उन्होंने करोना की समीक्षा बैठक के बाद मांग से 3 गुना अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध होने का दावा किया।
महाराष्ट्र सरकार के ऑक्सीजन की सप्लाई राेकने के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार हाई कोर्ट भी गई थी। इंदौर खंडपीठ ने स्थगन भी दिया, लेकिन हालात बिगड़ते देख पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बात कर भिलाई स्टील प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई कराई। बता दें कि राज्य सरकार का इस प्लांट से प्रतिदिन 60 टन ऑक्सीजन की सप्लाई का करार हुआ है। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने हाईकोर्ट से स्टे मिलने की पुष्टि की है।
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प्रदेश में 4 अप्रैल तक 60 टन आक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी, जो 6 अप्रैल को बढ़कर 132 टन हो गई और अगले दो दिन में मांग बढ़कर 177 टन हो गई। यानी 5 दिन में 117 टन मांग बढ़ गई। हालांकि अफसरों का कहना है कि सरकार ने 250 टन प्रतिदिन आक्सीजन की व्यवस्था कर ली है। इसमें से 180 टन गुजरात और यूपी से आ रही है
अब सरकार का दावा- प्रदेश में ऑक्सीजन की वर्तमान खपत 234 टन है। इसके मुकाबले 264 टन ऑक्सीजन उपलब्ध है। बोकारो, राउरकेला स्टील प्लांट से भी अतिरिक्त ऑक्सीजन के लिए चर्चा हो चुकी है। भिलाई से भी ऑक्सीजन टेंकर मध्य प्रदेश आ रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश के ही एमएसएमई सेक्टर से 80 मीट्रिक टन की आपूर्ति संभव हुई है।