रतलाम (तेजइंडिया)। पुरानी कहावत सूनी होगी कि किसी भी बीमार का हाल जानते समय कहा जाता था कि दवा दारू कीजिये, इस कहावत के मायने जो भी रहे हो लेकिन वर्तमान के रतलाम जिला प्रशासन ने इसे चरितार्थ कर दिया है, दरसल रतलाम में 2 दिनों का लॉकडाउन है ऐसे में लोग 2 दिनों तक घर से बाहर निकल नही सकते, सरकार और और प्रशासन की यह कारवाई लॉकडाउन, लोगों को कोरोना बीमारी के संक्रमण से बचाने की कवायद बताई जा रही।
ऐसे में लॉकडाउन के दौरान रतलाम में दवा की दुकाने आवश्यक सेवा में चालु रखी गयी है, लेकिन शराब की दुकान लॉकडाउन के दौरान चालू रखने की व्यवस्था किसी के गले नही उत्तर रही।
इस व्यवस्था को देखकर पुरानी कहावत बीमार की दवा दारू चरितार्थ हो रही है लेकिन इस व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे है, कि दवा को ऐसी परिस्थिति में आवश्यक माना जा रहा ठीक है लेकिन क्या शराब लोगोॆ के लिए अन्य वस्तुओं से ज्यादा आवश्यक है।
यह कैसी व्यवस्था है। जब लोग घरों में बंद है और उन्हें दवा के साथ दारू के लिए बाहर निकलने की छूट है, घर में लोग 2 दिन ताज़ी सब्जियां नहीं खरीद सकते, अपने घर में बीमार व्यक्ति के लिए फल फ्रूट नहीं खरीद सकते, लेकिन उसी लॉकडाउन में घूमने के लिए शराब की बोतल पास का काम करेगी, लोग शराब की दुकान जाकर बेरोकटोक लॉकडाउन में शराब के लिए आ जा सकेंगे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों रतलाम से नशा मुक्ति के शपथ दिलाकर पूरे प्रदेश को नशा मुक्त करने का अभियान शुरू किया था, लेकिन लॉकडाउन में उसी नशे को छूट देकर अपने ही अभियान पर खुद सवाल खड़े कर दिए हैं।
सरकार की ऐसी भी क्या मजबूरी की लॉकडाउन में लोग रोजगार नहीं कर सकते लेकिन सरकार का रोजगार शराब हर हाल में चालू रहेगा।
फिलहाल एक कारवाई प्रशासन ने जरूर की है कि कोई भी शराब घर ले जा सकता है लेकिन अहाते बन्द कर दिए गए हैं।
फिलहाल देखना यह होगा कि 2 दिन लॉकडाउन में सरकार की शराब नीति से जनता को कितनी राहत मिलती है या सरकार के आबकारी विभाग को।