भोपाल। मुस्लिम समाज की जिस शादी में नाच-गाना, बैंड-बाजा, डीजे और पटाखे का इस्तेमाल किया जाएगा, वहां अब शहर काजी समेत अन्य निकाह खां निकाह नहीं पढ़ाएंगे। यह फैसला शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई उलेमाओं की एक बड़ी बैठक में हुआ। बंदों से भी अपील की गई कि जिन शादियों में फिजूलखर्ची नजर आए, उनमें शिरकत न करें। इस संबंध में अब मस्जिदों से भी बंदों को पुन: हिदायत दी जाएगी।
मुस्लिम समाज में शादी-ब्याह के आयोजन अब सादगी के बदले भव्य रूप में होने से शहर काजी समेत अन्य उलेमा इससे खफा हैं। ऐसे आयोजन को वह शरीअत और मजहबी हिदायतों के खिलाफ मानते हैं। इस संबंध में पिछले 3 साल से शहर काजी समेत अन्य उलेमा मस्जिदों में अपनी तकरीरों में बंदों को समझाइश देने का काम कर रहे थे, लेकिन अपेक्षित परिणाम दिखाई नहीं देने पर गुरुवार को मसाजिद कमेटी के दफ्तर में बैठक हुई।
मजहब सादगी पसंद
इस्लाम सादगी पसंद मजहब है। हमारे पैगम्बर और कुरान का भी यही संदेश है। शादियों में फिजूलखर्ची से गुरबत से घिरा बंदा हीन भावना का शिकार होता है। इस वजह से उलेमाओं ने आम राय से तय किया है कि ऐसे आयोजनों में हम लोग निकाह नहीं पढ़ाएंगे।
-सैयद मुश्ताक अली नदवी, शहर काजी